एक कदम हरित एवं स्वच्छ ऊर्जा पर निबंध। 

एक कदम हरित एवं स्वच्छ ऊर्जा पर निबंध। 

बढते औधोगीकरण से सिमित होते उर्जा भण्डार

पृथ्वी पर मौजूद ऊर्जा के अनवीनकरणीय स्रोत सिमित मात्रा में है। इन भंडारों को एक बार समाप्त होने के बाद दोबारा बनने में हजारों साल लग सकते है। इसलिए हमें पट्रोल , डीज़ल, कोयला तथा प्राकृतिक गैस का इस्तेमाल सिमित मात्रा में करना चाहिए। इन स्रोतों का अत्याधिक उपयोग ही वायु प्रदूषण और ग्रीन हाउस प्रभाव का मुख्य कारण है।


जल के अंधाधुंध दोहन और बढते तापमान से पानी का गिरता हुआ भू-स्तर पुरे विश्व के लिए चिंता का विषय बना हुआ है। देश विदेश में ऐसे कई शहर है जहाँ पीने के लिए पानी की मात्रा बहुत कम होती जा रही है और वहाँ सूखा पड़ने जैसी स्तिथि आ गई है। कार्बन उत्सर्जन से बढ़ने वाले तापमान से पर्वतों के बड़े-बड़े ग्लेशियर पिघल रहे हैं। जिसके कारण समुद्रों में जलस्तर लगातार बढ़ता चला जा रहा है। कई ऐसे तटीय क्षेत्र में बसने वाले शहर हैं, जो डूबने की कगार पर है। सन 1987 में मालदीव के तात्कालीन राष्ट्रपति द्वारा संयुक्त राष्ट्र संघ को इस खतरे के बारे में एक पत्र लिखकर संसार का ध्यान दिलाने का प्रयास किया गया था उन्होंने लिखा था कि ग्रीनहाउस गैसों के असर से होने वाले दुष्प्रभाव के कारण हमारा पूरा देश (मालदीव) समुद्र में डूब जाएगा। उनके इस वक्तव्य से आने वाले खतरे का अंदाजा लगाया जा सकता है।

स्वच्छ और हरित ऊर्जा के उपयोग की जरुरत क्यों

ऊर्जा अर्थव्यवस्था की रीढ है, यह औद्योगिक प्रक्रियाओं को मजबूती प्रदान करती है और लोगों का जीवन स्तर सुधारने में अहम भूमिका भी निभाती है। प्रकृति में ऊर्जा के स्रोतों की एक सीमित व्यवस्था है। भारत की प्रति व्यक्ति ऊर्जा खपत बहुत कम है जो वैश्विक औसत का लगभग 30% है। ऐसे में, भारत जब अपनी अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ बनाने और लोगों को आजीविका के बेहतर अवसर प्रदान करने के लिये कदम उठायेगा तब ऊर्जा की खपत भी बढ़ेगी।

अतः हम हरित एवं स्वच्छ ऊर्जा (नवीनीकरण ऊर्जा) का उपयोग करके वातावरण को स्वच्छ रखने के साथ-साथ भविष्य में अनवीनकरणीय स्रोतो को भी बचा पाएँगे। यह ग्रीन हाउस प्रभाव को कम करने के लिए महत्वपूर्ण कार्य में से एक है।जो भारत के लिए एक बहुत बड़ी चुनौती होगी।

पर्यावरण को साफ सुथरा बनाने के प्रयास में भारत ने ग्रीन एनर्जी (हरित ऊर्जा) एवं स्वच्छ ऊर्जा को अपनाने के लिए कदम बढ़ाए है। जीवाश्म ईंधन के मामले में भारत की स्थिति ज्यादा ठीक नहीं है। भारत में आर्थिक विकास और ऊर्जा की ख़पत निचले स्तर पर होने के बावजूद भी वायु प्रदूषण और अन्य पर्यावरण के खतरे चिंताजनक स्थिति में है। हमें यह देखना होगा कि भारत अपनी ऊर्जा चुनौतियों की व्यवस्था कैसे करता है। जो कि आर्थिक और सामाजिक विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।

भारत के पास प्राकतिक संसाधनों की बात करे तो दुनिया का केवल 0.6% प्राकृतिक गैस और 0.3% तेल भंडार यहाँ मौदूद है। कच्चे तेल के लिए भारत खाड़ी देशो पर निर्भर रहता है।  तेल की कीमत लगातार बढती जा रही है इससे भारत के व्यापार घाटे पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। वैश्विक स्तर पर भारत अभी भी कार्बन उत्सर्जन करने वाला तीसरा सबसे बड़ा देश है। बिजली के उत्पादन में इस्तेमाल होने वाले स्रोत (कोयला) ग्रीनहाउस गैस को वातावरण में बढाने में मददगार साबित हो रहे है।

अगर हम हरित एवं स्वच्छ ऊर्जा की तरफ कदम बढ़ाते है तो यह हमारे वातावरण को विषैले ( कोयला और गैस) के प्रभावों से भी बहुत हद तक छुटकारा दिला सकती है। आज भी लगभग 300 करोड़ लोग खाना पकाने के लिए लकड़ी कोयला या गोबर से बने ईंधन पर निर्भर है। यह वायु प्रदूषण का सबसे महत्वपूर्ण कारण है। जो पुरे विश्व में हर वर्ष 9 मिलियन से ज्यादा लोगों की मृत्यु का कारण बनता है। भारत सरकार ने उज्ज्वला योजना के माध्यम से स्वच्छ उर्जा के प्रयोग के लिए और कार्बन उत्सर्जन रोकने में महत्वपूर्ण कार्य किया है। 

स्वच्छ और हरित ऊर्जा का उपयोग ही एकमात्र रास्ता  

भारत ने अपने बिजली क्षेत्र में अनवीनकरणीय स्रोतो का उपयोग कम करने लिए 2022  तक 175 गीगा-वाट तक बिजली का उत्पादन अक्षय ऊर्जा के माध्यम से करने का लक्ष्य रखा है। भारत सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा की कम लागत का फायदा उठाकर अपने यहां व्यवसाय में बिजली के लिए ज्यादा से ज्यादा अक्षय स्रोतों का उपयोग करने वाला पहला देश बन सकता है।

भारत का लक्ष्य वर्ष 2030 तक 400–450 गीगा-वाट बिजली उत्पादन अक्षय ऊर्जा (सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा) से हासिल करने का लक्ष्य रखा है। भारत को इसके लिए आर्थिक और तकनीकी रूप से तैयार होने की जरुरत है।

स्वच्छ नवीनीकरण ऊर्जा का उपयोग पर्यावरण पर पड़ने वाले दुष्प्रभाव को कम करने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है। यातायात में इस्तेमाल होने वाले कोयला , पट्रोल , डीज़ल का उपयोग कम करके हमें बिजली से चलने वाले वाहन  का इस्तेमाल करना चाहिए।

हरित एवं स्वच्छ ऊर्जा : भविष्य की उर्जा

पुरे विश्व को इस हरित एवं स्वच्छ ऊर्जा की तरफ एक साथ मिलकर कदम बढ़ाना है। जिसके लिए सभी देशो को मिलकर काम करना पड़ेगा। भारत ने अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर इस दिशा में सहयोग के लिए पहल भी की है। अन्तरराष्ट्रीय सौर गठबन्धन  (International Solar Alliance)  सौर ऊर्जा पर आधारित 121 देशों का एक सहयोग संगठन है। जिसका शुभारंभ भारत फ्राँस द्वारा 30 नवंबर 2015 को पैरिस में किया गया। यह भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा की गई पहल का परिणाम है जिसकी घोषणा उन्होंने सर्वप्रथम लंदन के वेंबली स्टेडियम में अपने उद्बोधन के दौरान की थी।

यह संगठन कर्क मकर रेखा के बीच स्थित राष्ट्रों को एक मंच पर लाएगा। ऐसे राष्ट्रों में धूप की उपलब्धता बहुलता में है। इस संगठन में ये सभी देश सौर ऊर्जा के क्षेत्र में मिलकर काम करेंगे। इस प्रयास को वैश्विक स्तर पर ऊर्जा परिदृश्य में एक बड़े बदलाव के रूप में देखा जा रहा है।

 सरकारों और आमजन द्वारा उठाये जाने वाले कदम: 

हमें आपूर्ति के लिए हरित एवं स्वच्छ ऊर्जा के मार्ग को अपनाना होगा जैसे :

भारत सरकार ने अपनी सरकारी वाहन खरीद में बिजली से चलने वाले वाहनों को प्राथमिकता दी है।

पनबिजली ऊर्जा, सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा अक्षय ऊर्जा के स्रोत हैं। इसलिए सौर ऊर्जा एवं बैटरी पर आधारित भंडारण को बढ़ावा देना।

बिजली कंपनियां की आर्थिक स्थिति में सुधार करने के लिए नवीकरण ऊर्जा उपकरणो को कम शुल्क में उपभोक्ताओं को उपलब्ध करवाना।

अनवीकरणीय परियोजनाओं जैसे : जैव ईंधन के लिए जंगलों की कटाई, जीवाश्म ईंधन का उपयोग करने पर अंकुश लगाना।