मेरे जीवन का लक्ष्य पर निबंध – Essay On My Aim In Life In Hindi
भूमिका : किसी
भी व्यक्ति का निरुद्देश्य घूमना सफलता की राह से हमें दूर ले जाता है, इसलिए व्यक्ति को कोई-न-कोई
लक्ष्य अवश्य निर्धारित कर लेना चाहिए। जिस प्रकार पथिक घर से निकलने से पूर्व ही
अपनी मंजिल तय कर लेता है कि उसे कहाँ जाना है, और वह मंजिल की ओर कदम बढ़ा
देता है। उसी प्रकार मनुष्य को भी लक्ष्य निर्धारित कर उसे पाने की ओर कदम बढ़ा
देना चाहिए। मैंने अपने जीवन में अध्यापक बनने का लक्ष्य निर्धारित किया है। मैंने
बचपन में ही अपने अध्यापक को संत कबीर का यह दोहा पढ़ाते हुए देखा-सुना था
“गुरु गोविंद दोऊ खड़े, काके लागूं पाय।
बलिहारी गुरु आपनो, गोबिंद दियो बताया।”
उपरोक्त दोहे का भावार्थ यह है कि गुरु ने ही भगवान से परिचय कराया। अतः उसका स्थान ईश्वर से भी ऊँचा है। बस तभी से मेरे मन में अध्यापक बनने की धुन सवार हो गई।
अध्यापक बनने का लक्ष्य : अध्यापक
बनने के लिए मैंने अभी से सभी विषयों की गहन पढ़ाई शुरू कर दी है। मैं बारहवीं
परीक्षा ‘ए’ ग्रेड में उत्तीर्ण करना चाहता
हूँ। मैं ग्रेड के साथ-साथ विषयों का गहन अध्ययन करूँगा ताकि चाहे अंकों के आधार
पर चयन हो या प्रतियोगी परीक्षा के आधार पर अध्यापक प्रशिक्षण कार्यक्रम में अवश्य
प्रवेश ले सकूँ और सफलतापूर्वक प्रशिक्षण पूरा कर चयन के लिए होने वाली परीक्षा
उत्तीर्ण कर अध्यापक बन सकूँ।
राष्ट्र निर्माता अध्यापक : अध्यापक
को राष्ट्र-निर्माता कहा जाता है। ऐसे में उसका कार्य और दायित्व दोनों ही
महत्त्वपूर्ण बन जाते हैं। वह अपने व्यक्तित्व को आदर्श बनाकर छात्रों को उच्च
चरित्र निर्माण और अच्छे संस्कार अपनाने के लिए प्रेरित कर सकता है। मैं
विद्यार्थियों को उच्चकोटि के साहित्यकारों और विचारकों की रचनाएँ और लेख पढ़ने के
लिए प्रेरित करूँगा ताकि वे भी चरित्रवान बन सकें, उनमें देश-प्रेम, देशभक्ति की उत्कट भावना विकसित
हो और वे सुयोग्य नागरिक बन सकें।
अध्यापक का कर्तव्य : अध्यापक
बनकर भी मैं पढ़ने से अपना नाता बनाए रखूगा ताकि स्वयं को नित नए परिवर्तनों से
अवगत रख सकूँ और अपने छात्रों को अवगत कर सकूँ। मैं उनके स्तर पर उतरकर उनको
रुचिकर पद्धति से पढ़ाऊँगा ताकि वे पढ़ाई में रुचि लें। मैं कमजोर छात्रों पर
विशेष ध्यान देकर उनकी समस्याओं पर व्यक्तिगत रूप से ध्यान दूंगा। मैं आर्थिक रूप
से कमजोर छात्रों की यथासंभव सहायता करके आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता रहूँगा।
उपसंहार : एक आदर्श अध्यापक के रूप में मेरा लक्ष्य धन कमाना न होकर राष्ट्र-सेवा तथा निष्ठा एवं ईमानदारीपूर्वक अपने कर्तव्य का निर्वाह करना होगा। मैं ऐसा करके एक सफल एवं योग्य अध्यापक बनने का प्रयास करूँगा।
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