‘नेताजी’ के नाम से विख्यात सुभाष चंद्र बोस एक महान
नेता थे जिनके अंदर देश-भक्ति का भाव कूट-कूट कर भरा हुआ था।नेताजी का जन्म सन् 1897 ई॰ के जनवरी माह की तेईस तारीख को कटक में हुआ। ये जानकीनाथ बोस (पिता)
और प्रभावती देवी (माता) के पुत्र थे। अपनी माता-पिता के 14 संतानों
में से ये 9वीं संतान थे। जिनके कुल 14 बच्चे थे। इसमें से 8 बेटे और 6 बेटियां थी। नेताजी अपने माता-पिता की नौवी संतान और पांचवे बेटे थे।
सुभाष चंद्र बोस ने अपनी प्रारंभिक स्कूली शिक्षा कटक से ली जबकि
मैट्रिकुलेशन डिग्री कलकत्ता से और बी.ए. की डिग्री कलकत्ता यूनिवर्सिटी (1918 में) से प्राप्त की। बचपन से
ही नेता जी पढ़ाई में काफी होशियार थे और देशभक्ति से काफी प्रेरित हुए थे।
देश को अंग्रेजी दासता से मुक्त कराने का सपना संजोए नेता जी कांग्रेस
के सदस्य बन गए। वे गाँधी जी के अहिंसा के मार्ग से पूरी तरह सहमत नहीं थे। “तुम
मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूँगा” का प्रसिद्ध नारा नेता जी द्वारा दिया गया था।
जर्मनी से पर्याप्त सहयोग न मिल पाने पर नेताजी जापान आए। यहाँ उन्होंने कैप्टन
मोहन सिंह एवं रासबिहारी बोस द्वारा गठित आजाद हिंदी फौज की कमान
सँभाली। वे पुन: जापान की ओर हवाई जहाज से जा रहे थे कि रास्ते में जहाज के
दुर्घटनाग्रस्त हो जाने से उनकी मृत्यु हो गई।
देश की आजादी में अनेक शूरवीरों ने अपना योगदान दिया है, उनमें से एक हैं नेताजी सुभाष
चंद्र बोस। जब इनकी मृत्यु हुयी तो ये केवल 48 वर्ष के थे।
नेताजी 1920 और 1930 के दौरान भारतीय
राष्ट्रीय कांग्रेस के स्वच्छंदभाव, युवा और कोर नेता थे।
केंद्र सरकार ने हाल में ही नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती यानी हर
साल 23 जनवरी को पराक्रम
दिवस के रूप में मनाने का ऐलान किया था। दूसरी तरफ पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री
ममता बनर्जी ने नेताजी की जयंती को ‘देश नायक दिवस’ के रूप में मनाने की
घोषणा की थी। दरअसल, नेताजी सुभाष चंद्र बोस भारत के बहादुर
स्वतंत्रता सेनानियों में से एक थे। इनका जन्म आज ही के दिन हुआ था। इनके योगदान
से ही भारत आजाद हुआ था। इन्होंने अंग्रेजों को धूल चटाने के लिए अपनी आजाद हिंद
फौज नाम की सेना तैयार कर ली थी।
सुभाष चंद्र बोस ने कहा था “तुम मुझे खून दो मैं तुम्हे आज़ादी
दूंगा।“
तुम मुझे खून दो मैं तुम्हे आज़ादी दूंगा का नारा देने वाले नेता जी
सुभाष चन्द्र बोस ने अपना पूरा जीवन देश को आजादी दिलाने की लड़ाई में जीवन समर्पण
कर दिया था। उन्होने जीवन में बहुत संघर्ष किया है ताकी भारत स्वतंत्र हो सके।
शिक्षा के दौरान ही सुभाष चंद्र बोस ने आजादी की मुहिम में खुद को
शामिल किया। देश को अंग्रेजों से स्वतंत्र करने के लिए देश के कई तत्कालीन दिग्गज
स्वतंत्रता सेनानियों के जिंदगी से प्रेरित होकर देश की आजादी की मुहिम में खुद को
शामिल किए थे। नेताजी देश को अंग्रेजों से मुक्त कराने के लिए दूसरों से अलग सोच
विचार रखते थे और वह अपने ही बलबूते पर देश के युवाओं को शामिल करते हुए आजाद हिंद
फौज का गठन भी किया था। देश को स्वतंत्र कराने में उनकी भूमिका को हमेशा याद रखा
जाएगा।
सुभाष चन्द्र बोस जी अरविन्द घोष और गाँधी जी के जीवन से बहुत अधिक
प्रभावित थे। सन् 1920 में गाँधी जी ने असहयोग आन्दोलन चलाया हुआ था जिसमें बहुत से लोग
अपना-अपना काम छोडकर भाग ले रहे थे। इस आन्दोलन की वजह से लोगों में बहुत उत्साह
था। सुभाष चन्द्र बोस जी ने अपनी नौकरी को छोडकर आन्दोलन में भाग लेने का दृढ
निश्चय कर लिया था। सन् 1920 के नागपुर अधिवेशन ने उन्हें
बहुत प्रभावित किया था। 20 जुलाई , 1921 में सुभाष चन्द्र बोस जी गाँधी जी से पहली बार मिले थे।
18 अगस्त 1945 को टोक्यो के लिए निकलने पर ताइहोकु हवाई अड्डे पर नेताजी का विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया और स्वतंत्र भारत की अमरता का जयघोष करने वाला, भारत मां का दुलारा सदा के लिए, राष्ट्रप्रेम की दिव्य ज्योति जलाकर अमर हो गया।
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