![]() |
मंगलेश डबराल जीवन परिचय / Manglesh Dabraal Jiwan Parichay in Hindi |
“मंगलेश डबराल” समकालीन हिन्दी कवियों में सबसे चर्चित नाम हैं। इनका जन्म 16 मई 1948 को टिहरी गढ़वाल, उत्तराखण्ड के काफलपानी गाँव में हुआ था, इनकी शिक्षा-दीक्षा देहरादून में हुई। दिल्ली आकर हिन्दी पैट्रियट, प्रतिपक्ष और आसपास में काम करने के
बाद वे भोपाल में मध्यप्रदेश कला परिषद्, भारत भवन से प्रकाशित साहित्यिक त्रैमासिक पूर्वाग्रह में सहायक संपादक रहे। इलाहाबाद और लखनऊ से प्रकाशित अमृत प्रभात में भी कुछ दिन नौकरी की तथा जनसत्ता में साहित्य संपादक का पद सँभाला। कुछ समय ‘सहारा समय’ में संपादन कार्य करने के बाद आजकल वे ‘नेशनल बुक ट्रस्ट’ से जुड़े हैं।
मंगलेश डबराल के पाँच काव्य संग्रह प्रकाशित
हुए हैं।– “पहाड़ पर लालटेन”, “घर का रास्ता”, “हम जो देखते हैं”, “आवाज भी एक जगह” है और “नये युग
में शत्रु”। इसके अतिरिक्त इनके दो गद्य संग्रह “लेखक की रोटी” और “कवि का अकेलापन” के साथ ही एक यात्रावृत्त “एक बार आयोवा” भी प्रकाशित हो चुके हैं।
दिल्ली हिन्दी अकादमी के साहित्यकार सम्मान, कुमार विकल स्मृति पुरस्कार और अपनी
सर्वश्रेष्ठ रचना हम जो देखते हैं के लिए साहित्य अकादमी द्वारा सन् 2000 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित मंगलेश डबराल की ख्याति अनुवादक के रूप में भी है।
मंगलेश की
कविताओं के भारतीय भाषाओं के अतिरिक्त अंग्रेज़ी, रूसी, जर्मन, डच, स्पेनिश, पुर्तगाली, इतालवी, फ़्राँसीसी, पोलिश और बुल्गारियाई भाषाओं में भी अनुवाद प्रकाशित हो चुके हैं। कविता के अतिरिक्त वे साहित्य,
सिनेमा, संचार माध्यम और संस्कृति के विषयों
पर नियमित लेखन भी करते हैं। मंगलेश की कविताओं में सामंती बोध एवं पूँजीवादी
छल-छद्म दोनों का प्रतिकार है। वे यह प्रतिकार किसी शोर-शराबे के साथ नहीं अपितु
प्रतिपक्ष में एक सुन्दर स्वप्न रचकर करते हैं। उनका सौंदर्यबोध सूक्ष्म है और
भाषा पारदर्शी।
0 टिप्पणियाँ