आतंकवाद पर निबंध/essay on aatankwad in hindi


आतंकवाद पर निबंध/Essay on aatankwad in hindi

आतंकवाद एक ऐसी समस्या जिसने न केवल भारत अपितु पूरे विश्व को अपने लपेटे में ले रखा है जब हम बात अपने भारत की करते हैं तो हम पाते हैं कि आतंकवाद से हमारा देश बुरी तरह से प्रभावित है पिछले कई वर्षो में हुए भारत में आतंकवादी हमलों ने देश में रह रहे नागरिकों को झकझोर के रख दिया वह फिर चाहे 26/11 का आतंकवादी हमला हो या दिल्ली के बम धमाके हो या पुलवामा का आतंकवादी हमला, इन हम लोगों ने कयोंकि घर बर्बाद किए हैं किसी के हाथों की कलाई सुनी हो गई तो किसी के घर का चिराग बुझ गया, जब कभी भी मैं इन बेबस लोगों की कहानी सुनती हूं तो स्वयं पर इतना गुस्सा आता है कि हम क्या इन चंद लोगों के सामने इतना बेबस हो जाते हैं तब यही ख्याल आता है कि 70 वर्ष पूर्व की गई एक गलती का परिणाम हम सबको अपनी जान देकर चुकाना पड़ रहा है। हालांकि वर्तमान केंद्र सरकार ने इस तरफ बहुत ही प्रशंसनीय कार्य किया धारा 370 कश्मीर से हटाकर अब कश्मीर केंद्र शासित राज्य बन गया है शायद इससे आतंकवाद को काफी हद तक रोका जा सकेगा।
यदि हम आतंकवाद पर चर्चा करें तो इसे एक धर्म विशेष से जोड़कर देखा जाता है जो मेरे हिसाब से बिल्कुल गलत है मेरा ऐसा मानना है कि कोई भी धर्म हिंसा का समर्थन नहीं करता गीता, कुरान शरीफ, बाइबल एवं गुरु ग्रंथ साहिब जैसे महान ग्रंथ है जो सिर्फ और सिर्फ प्रेम की ही शिक्षा देते हैं इसलिए यह कहना कि किसी धर्म विशेष में इसे सही माना गया है गलत है यह धर्म के कुछ ठेकेदार हैं जो गरीब और मासूम जनता को भड़का के आपस में लड़ा देते हैं और स्वयं उसका फायदा उठाते हैं यदि आप किसी भी व्यक्ति को यह बता दीजिए कि उसकी मृत्यु 4 दिन बाद हो जाएगी तो भय के कारण वह 4 दिन से पहले ही मर जाएगा परंतु इन आतंकियों को पता होता है कि यदि वह किसी मिशन पर जा रहे हैं तो बचके नहीं आ पाएंगे फिर भी पूरे जोश के साथ अपना मिशन पूरा करते हैं इसके पीछे बेहद प्रभावशाली विचार होते हैं जो उन्हें अपना कार्य पूरा करने के लिए प्रेरित करते हैं सबसे पहले ऐसे विचारों को खत्म करने की आवश्यकता है।

आज के समय में भारत जितनी बाहरी आतंकवाद से प्रभावित नहीं है उतना आंतरिक आतंकवाद से प्रभावित है आंतरिक आतंकवाद से मेरा मतलब हमारे बीच के ही चंद लोग जो अपने विचारों के माध्यम से कहीं ना कहीं आतंकवाद को बढ़ावा देते हैं।
खैर सरकार जो कर रही है आतंकवाद की समस्या से लड़ने के लिए वह अत्यंत ही सराहनीय है परंतु एक देश के नागरिक होने के नाते हमारा भी यह कर्तव्य बनता है कि हमें राष्ट्रहित को सर्वोपरि रखते हुए ऐसे जयचंदो को भारत से निकाल फेंकना होगा मैंने जयचंद का नाम इसलिए लिया कि यदि जयचंद ने गद्दारी नहीं की होती तो पृथ्वीराज चौहान जैसे पराक्रमी राजा को हराना आसान न था भारत का इतिहास हमेशा से इस बात का प्रमाण देता आया है कि जब जब भारत गुलामी की बेड़ियों में जकड़ा है तब तक उसका कारण हमारे स्वयं के देश के जयचंद ही रहे हैं।
मेरा ऐसा मानना है कि आतंकवाद एक नकारात्मक विचारधारा है जिसको खत्म करने के लिए विचारों का शुद्ध होना अत्यंत आवश्यक है और सबसे बड़ी बात सही और गलत का बोध होना और यह कार्य करेगा कौन हम सब मिलकर इस समय मुझे विवेकानंद के वह वाक्य याद आते हैं कि उठो जागो और तब तक लड़ों जब तक सफलता ना मिल जाए आज यदि हम आतंकवाद को समाप्त करना चाहते हैं तो हर एक के अंदर एक नए स्वामी विवेकानंद या एक नई विचारधारा का उदय होना आवश्यक है तब शायद हम काफी हद तक आतंकवाद को खत्म कर सके।


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