अभिव्यक्ति और माध्यम / जनसंचार माध्यम और लेखन/पत्रकारिता के विविध आयाम/विभिन्न माध्यमों के लिए लेखन/पत्रकारीय लेखन के विभिन्न रूप और लेखन प्रक्रिया/विशेष लेखन: स्वरूप और प्रकार  /Abhivyakti aur madhyam for class 11 and 12   


जनसंचार माध्यम

1. संचार:
 सूचनाओंविचारों और भावनाओं का लिखितमौखिक या दृश्य-श्रव्य माध्यमों के जरिये सफ़लता पूर्वक आदान-प्रदान करना या एक जगह से दूसरी जगह पहुँचना संचार है। इस प्रक्रिया को संपन्न करने में सहयोगी तरीके तथा उपकरण संचार के माध्यम कहलाते हैं।


2.जनसंचार:
 प्रत्यक्ष संवाद के बजाय किसी तकनीकी या यान्त्रिक माध्यम के द्वारा समाज के एक विशाल वर्ग से संवाद कायम करना जनसंचार कहलाता है।

3. जनसंचार के माध्यम:   अखबाररेडियोटीवीइंटरनेटसिनेमा आदि.

4. जनसंचार की विशेषताएँ:
·       इसमें फ़ीडबैक तुरंत प्राप्त नहीं होता।
·       इसके संदेशों की प्रकृति सार्वजनिक होती है।
·       संचारक और प्राप्तकर्त्ता के बीच कोई सीधा संबंध नहीं होता।
·       जनसंचार के लिये एक औपाचारिक संगठन की आवश्यकता होती है।
·       इसमें ढ़ेर सारे द्वारपाल काम करते हैं।  

5.  जनसंचार के प्रमुख कार्य:
·       सूचना देना
·       शिक्षित करना
·       मनोरंजन करना
·       निगरानी करना
·       एजेंडा तय करना
·       विचार-विमर्श के लिये मंच उपलब्ध कराना

 प्रश्न-अभ्यास-
1. संचार किसे कहते हैं ?
2. संचार के भेद लिखिए ।
3. जनसंचार से क्या अभिप्राय है ?
4. संचार तथा जनसंचार में क्या अंतर है?
5. जनसंचार के प्रमुख माध्यमों के नाम लिखिए ।
6. जनसंचार की कौन-कौन सी विशेषताएँ हैं?
7. जनसंचार के प्रमुख कार्यों को लिखिए ।


पत्रकारिता के विविध आयाम

6. पत्रकारिता:
 ऐसी सूचनाओं का संकलन एवं संपादन कर आम पाठकों तक पहुँचनाजिनमें अधिक से अधिक लोगों की रुचि हो तथा जो अधिक से अधिक लोगों को प्रभावित करती हों,  पत्रकारिता कहलाता है।

7. समाचार: समाचार किसी भी ऐसी ताजा घटनाविचार या समस्या की रिपोर्ट है,जिसमें अधिक से अधिक लोगों की  रुचि हो और जिसका अधिक से अधिक लोगों पर प्रभाव पड़ता हो ।

8. समाचार के तत्त्व:  पत्रकारिता की दृष्टि से किसी भी घटनासमस्या व विचार को समाचार का रूप धारण करने के लिए उसमें  निम्न तत्त्वों में से अधिकांश या सभी का होना आवश्यक होता है:   नवीनतानिकटताप्रभाव,जनरुचिसंघर्षमहत्त्वपूर्ण लोगउपयोगी जानकारियाँअनोखापन आदि ।

डेडलाइन- समाचार माध्यमों के लिए समाचारों को कवर करने के लिये निर्धारित समय-सीमा को डेडलाइन कहते हैं।

9. संपादन : प्रकाशन के लिए प्राप्त समाचार सामग्री से उसकी अशुद्धियों को दूर करके पठनीय  तथा प्रकाशन योग्य बनाना संपादन कहलाता  है।

10. संपादकीय:संपादक द्वारा किसी प्रमुख घटना या समस्या पर लिखे गए विचारत्मक लेख कोजिसे संबंधित समाचारपत्र की राय भी कहा जाता है,संपादकीय कहते हैं। संपादकीय किसी एक व्यक्ति का विचार या राय न होकर समग्र पत्र-समूह की राय होता हैइसलिए संपादकीय में संपादक अथवा लेखक का नाम नहीं लिखा जाता।

11: पत्रकारिता के प्रमुख प्रकार:

    (1) खोजी पत्रकारिता- जिसमें आम तौर पर सार्वजनिक महत्त्व के मामलोंजैसेभ्रष्टाचारअनियमितताओं और गड़बड़ियों की गहराई से छानबीन कर सामने लाने की कोशिश की जाती है। स्टिंग ऑपरेशन खोजी पत्रकारिता का ही एक नया रूप है।

    (2) वाचडाग पत्रकारिता- लोकतंत्र में पत्रकारिता और समाचार मीडिया का मुख्य उत्तरदायित्व सरकार के कामकाज पर निगाह रखना है और कोई गड़बड़ी होने पर उसका परदाफ़ाश करना होता हैपरंपरागत रूप से इसे वाचडाग पत्रकारिता कहते हैं।

    (3) एडवोकेसी पत्रकारिता- इसे पक्षधर पत्रकारिता भी कहते हैं। किसी खास मुद्दे या विचारधारा के पक्ष में जनमत बनाने के लिए लगातार अभियान चलाने वाली पत्रकारिता को एडवोकेसी पत्रकारिता कहते हैं।

  (4)  पीत पत्रकारिता-पाठकों को लुभाने के लिये झूठी अफ़वाहोंआरोपों-प्रत्यारोपोंप्रेमसंबंधों आदि से संबंधि सनसनीखेज  समाचारों से संबंधित पत्रकारिता को पीतपत्रकारिता कहते हैं।
  
(5)   पेज थ्री पत्रकारिता- एसी पत्रकारिता जिसमें फ़ैशनअमीरों की पार्टियों ,महफ़िलों और जानेमाने लोगों के निजी जीवन  के बारे में बताया जाता है।

प्रश्न-अभ्यास:
1. पत्रकारिता क्या है?
      2. पत्रकारिता के विकास में कौन-सा मूल भाव सक्रिय रहता है?
     संकेत: जिज्ञासा का
3. समाचार किसे कहते हैं?
4. कोई घटना समाचार कैसे बनती है?
5. समाचार के तत्त्व लिखिए ।
6. डेड लाइन किसे कहते हैं?
7. संपादकीय क्या है?
8. संपादकीय पृष्ठ से आप क्या समझते हैं?
9. पत्रकारिता के किन्हीं दो भेदों के नाम लिखिए।
10. वॉचडॉग पत्रकारिता क्या है?
11. पीतपत्रकारिता से आप क्या समझते हैं?
12. पेज-थ्री पत्रकारिता किसे कहते हैं?


विभिन्न माध्यमों के लिए लेखन
  
 1. प्रमुख जनसंचार माध्यम - प्रिंटटी०वी०रेडियो और इंटरनेट
   
  (1) प्रिंट माध्यम (मुद्रित माध्यम)-
·        जनसंचार के आधुनिक माध्यमों में सबसे पुराना माध्यम है ।
·        आधुनिक  छापाखाने का आविष्कार जर्मनी के गुटेनबर्ग ने किया।
·        भारत में पहला छापाखाना सन १५५६ में गोवा में खुलाइसे ईसाई मिशनरियों ने धर्म-प्रचार की पुस्तकें        छापने के लिए खोला था
·        मुद्रित माध्यमों के अन्तर्गत अखबारपत्रिकाएँपुस्तकें आदि आती हैं ।

   मुद्रित माध्यम की विशेषताएँ:
·         छपे हुए शब्दों में स्थायित्व होता हैइन्हें सुविधा अनुसार किसी भी प्रकार से पढा़ जा सकता है।
·         यह  माध्यम लिखित भाषा का विस्तार है।
·         यह चिंतनविचार- विश्लेषण का माध्यम है।
   
 मुद्रित माध्यम की सीमाएँ 
·        निरक्षरों के लिए मुद्रित माध्यम किसी काम के नहीं होते।
·        ये तुरंत घटी घटनाओं को संचालित नहीं कर सकते।
·        इसमें स्पेस तथा शब्द सीमा का ध्यान रखना पड़ता है।
·        इसमें एक बार समाचार छप जाने के बाद अशुद्धि-सुधार नहीं किया जा सकता।

     मुद्रित माध्यमों में लेखन के लिए ध्यान रखने योग्य बातें:
·        भाषागत शुद्धता का ध्यान रखा जाना चाहिए।
·        प्रचलित भाषा का प्रयोग किया जाए।
·        समयशब्द व स्थान की सीमा का ध्यान रखा जाना चाहिए।
·        लेखन में तारतम्यता एवं सहज प्रवाह होना चाहिए।

2. रेडियो (आकाशवाणी) :
   रेडियो एक श्रव्य माध्यम है । इसमें शब्द एवं आवाज का मह्त्व होता है। रेडियो एक रेखीय माध्यम है। रेडियो समाचर की संरचना उल्टापिरामिड शैली पर आधारित होती है। उल्टापिरामिड शैली में समाचर को तीन भागों बाँटा जाता है-इंट्रोबाँडी और समापन। इसमें तथ्यों को महत्त्व के  क्रम से  प्रस्तुत किया जाता हैसर्वप्रथम सबसे ज्यादा महत्त्वपूर्ण तथ्य को तथा उसके उपरांत महत्त्व की दृष्टि से घटते  क्रम में तथ्यों  को रखा जाता   है। 

रेडियो समाचार-लेखन के लिए बुनियादी बातें :
·        समाचार वाचन के लियेर तैयार की गई कापी साफ़-सुथरी ओ टाइप्ड कॉपी  हो ।
·         कापी को ट्रिपल स्पेस में टाइप किया जाना चाहिए।
·         पर्याप्त हाशिया छोडा़ जाना चाहिए।
·         अंकों को लिखने में सावधानी रखनी चाहिए।
·         संक्षिप्ताक्षरों के प्रयोग से बचा जाना चाहिए।

3. टेलीविजन(दूरदर्शन) : जनसंचार का सबसे लोकप्रिय  व सशक्त माध्यम है। इसमें ध्वनियों के साथ-साथ दृश्यों का भी  समावेश होता है। इसके लिए  समाचार  लिखते समय इस बात का ध्यान रखा जाता है कि शब्द व पर्दे पर दिखने वाले दृश्य में समानता हो।

  टी०वी० खबरों के विभिन्न चरण :
   दूरदर्शन मे कोई भी सूचना निम्न चरणों या सोपानों को पार कर दर्शकों तक पहुँचती है -
    (1) फ़्लैश या ब्रेकिंग न्यूज (2) ड्राई एंकर (3) फ़ोन इन (4) एंकर-विजुअल (5)एंकर-बाइट (6) लाइव (7) एंकर-पैकेज

4. इंटरनेट : संसार का सबसे नवीन व लोकप्रिय माध्यम है। इसमें जनसंचार के सभी माध्यमों के गुण समाहित हैं। यह जहाँ सूचनामनोरंजनज्ञान और व्यक्तिगत एवं सार्वजनिक सवादों के आदान-प्रदान के लिए  श्रेष्ठ माध्यम है,वहीं अश्लीलतादुष्प्रचार  व गंदगी फ़ैलाने का भी जरिया है ।

  इंटरनेट पत्रकारिता : इंटरनेट पर समाचारों का प्रकाशन या आदान-प्रदान इंटरनेट पत्रकारिता कहलाता है। इंटरनेट पत्रकारिता दो रूपों में होती है। प्रथम-समाचार संप्रेषण के लिए नेट का प्रयोग करना । दूसरा- रिपोर्टर अपने समाचार को ई-मेल  द्वारा अन्यत्र भेजने    समाचार को संकलित करने  तथा  उसकी सत्यताविश्वसनीयता सिद्ध करने तथा उसकी सत्यताविश्वसनीयता सिद्ध करने के लिए करता है।
   
इंटरनेट पत्रकारिता का इतिहास:

   विश्व-स्तर पर इंटरनेट पत्रकारिता का विकास निम्नलिखित चरणों में हुआ-
    (1) प्रथम चरण------- 1982 से 1992
    (2) द्वितीय चरण------1993 से 2001
    (3) तृतीय चरण-------2002 से अब तक

भारत में इंटरनेट पत्रकारिता का पहला चरण 1993 से तथा दूसरा चरण  2003 से शुरू माना जाता है। भारत में सच्चे अर्थों में वेब पत्रकारिता करने वाली साइटें ’रीडिफ़ डॉट कॉम’, इंडिया इफ़ोलाइन’  ’सीफ़ी’ हैं । रीडिफ़ को भारत की पहली साइट कहा जाता है ।  वेब साइट पर विशुद्ध पत्रकारिता  शुरू करने का श्रेय  ’तहलका डॉट्कॉम’ को जाता है।

हिंदी में नेट पत्रकारिता वेब दुनिया’ के साथ शुरू हुई। यह हिन्दी का संपूर्ण पोर्टल है।  प्रभा साक्षी  नाम का अखबार  प्रिंट रूप में न होकर सिर्फ़ नेट पर ही उपलब्ध है। आज पत्रकारिता के लिहाज से हिन्दी की सर्व श्रेष्ठ साइट बीबीसी की हैजो इंटरनेट के मानदंडों के अनुसार चल रही है। हिन्दी वेब जगत में ’अनुभूति’, अभिव्यक्तिहिन्दी नेस्टसराय आदि साहित्यिक पत्रिकाएँ भी अच्छा काम कर रही हैं।  अभी हिन्दी वेब जगत की सबसे बडी़ समस्या मानक की बोर्ड तथा फ़ोंट  की है ।  डायनमिक फ़ौंट  के अभाव के कारण हिन्दी की ज्यादातर साइटें खुलती ही नहीं हैं ।


पत्रकारीय लेखन के विभिन्न रूप और लेखन प्रक्रिया

पत्रकारीय लेखन- समाचार माध्यमों मे काम करने वाले  पत्रकार अपने पाठकों  तथा श्रोताओं तक सूचनाएँ पहुँचाने के लिए लेखन के  विभिन्न रूपों का इस्तेमाल करते हैंइसे ही पत्रकारीय लेखन कहते हैं। पत्रकरिता या पत्रकारीय लेखन के अन्तर्गत  सम्पादकीयसमाचार , आलेखरिपोर्टफ़ीचरस्तम्भ तथा कार्टून आदि आते हैं। पत्रकारीय लेखन का प्रमुख उद्देश्य है- सूचना देना,शिक्षित करना तथा मनोरंजन आदि करना। इसके कई प्रकार हैं यथा- खोज परक पत्रकारिता’, वॉचडॉग पत्रकारिता और एड्वोकैसी पत्रकारिता आदि। पत्रकारीय लेखन का संबंध समसामयिक विषयोंविचारों व घटनाओं से है। पत्रकार को लिखते समय यह ध्यान रखना चाहिए वह सामान्य जनता के लिए लिख रहा हैइसलिए उसकी  भाषा सरल व रोचक होनी चाहिए। वाक्य छोटे व सहज हों। कठिन भाषा का प्रयोग नहीं किया जाना चाहिए। भाषा को प्रभावी बनाने के लिए  अनावश्यक विशेषणों, जार्गन्स (अरचलित शब्दावली) और क्लीशे (पिष्टोक्तिदोहराव) का प्रयोग नहीं होना चहिए।

पत्रकार के प्रकार--- पत्रकार तीन प्रकार के होते हैं ।
1.  पूर्ण कालिक
2. अंशकालिक (स्ट्रिंगर)
3.  फ़्रीलांसर या स्वतंत्र पत्रकार

 समाचर लेखन-- समाचार उलटा पिरामिड शैली में लिखे जाते हैंयह समाचार लेखन की सबसे उपयोगी और लोकप्रिय शैली है। इस शैली का विकास अमेरिका में गृह यद्ध के दौरान हुआ। इसमें महत्त्वपूर्ण घटना  का वर्णन पहले प्रस्तुत किया जाता हैउसके बाद महत्त्व की दृष्टि से घटते क्रम में घटनाओं को प्रस्तुत कर समाचार का अंत किया जाता है। समाचार में इंट्रोबॉडी और समापन के क्रम में घटनाएँ  प्रस्तुत की जाती हैं ।

 समाचार के छ: ककार- समाचार लिखते समय मुख्य रूप से छ: प्रश्नों- क्या,कौनकहाँकब , क्यों और कैसे का उत्तर देने की कोशिश की जाती है। इन्हें समाचार के छ: ककार कहा जाता है। प्रथम चार प्रश्नों के उत्तर इंट्रो में तथा अन्य दो के उत्तर समापन से पूर्व बॉडी वाले भाग में दिए जाते हैं ।

फ़ीचर:  फ़ीचर एक सुव्यवस्थितसृजनात्मक और आत्मनिष्ठ लेखन है ।

फ़ीचर लेखन का उद्देश्य: फ़ीचर का उद्देश्य मुख्य रूप से पाठकों को सूचना देना, शिक्षित करना तथा उनका मनोरंजन करना होता है।

फ़ीचर और समचार में अंतर:  समाचार में रिपोर्टर को अपने विचरों को डालने की स्वतंत्रता नहीं होतीजबकि फ़ीचर में लेखक को अपनी राय , दृष्टिकोण और भवनाओं को जाहिर करने का अवसर होता  है । समाचार उल्टा पिरामिड शैली में में लिखे जाते हैंजबकि फ़ीचर लेखन की कोई सुनिश्चित शैली नहीं होती । फ़ीचर में समाचारों की तरह शब्दों की सीमा नहीं होती। आमतौर पर फ़ीचरसमाचार रिपोर्ट से बडे़ होते हैं । पत्र-पत्रिकाओं में प्राय: २५० से २००० शब्दों तक के फ़ीचर छपते हैं ।

विशेष रिपोर्ट: सामान्य समाचारों से अलग वे विशेष समाचार जो गहरी छान-बीनविश्लेषण और व्याख्या के आधार पर प्रकाशित किये जाते हैंविशेष रिपोर्ट कहलाते हैं ।

  विशेष रिपोर्ट के प्रकार:

(1) खोजी रिपोर्ट : इसमें अनुपल्ब्ध तथ्यों को गहरी छान-बीन  कर सार्वजनिक किया जाता है।

(2) इन्डेप्थ रिपोर्ट:  सार्वजानिक रूप से प्राप्त तथ्यों की गहरी छान-बीन कर उसके महत्त्वपूर्ण पक्षों को पाठकों के सामने लाया जाता है ।

(3) विश्लेषणात्मक रिपोर्ट : इसमें किसी घटना या समस्या का विवरण सूक्ष्मता के साथ विस्तार से दिया जाता है । रिपोर्ट अधिक विस्तृत होने पर कई दिनों तक किस्तों में प्रकाशित की जाती है ।

(4) विवरणात्मक रिपोर्ट : इसमें किसी घटना या समस्या को  विस्तार एवं बारीकी के साथ प्रस्तुत किया जाता है।

 विचारपरक लेखन : समाचार-पत्रों में समाचार एवं फ़ीचर के अतिरिक्त संपादकीयलेखपत्रटिप्पणीवरिष्ठ पत्रकारों व विशेषज्ञों के स्तम्भ छपते हैं । ये सभी विचारपरक लेखन के अन्तर्गत आते हैं ।

संपादकीय : संपादक द्वारा किसी प्रमुख घटना या समस्या पर लिखे गए विचारत्मक लेख कोजिसे संबंधित समाचारपत्र की राय भी कहा जाता है,संपादकीय कहते हैं ।  संपादकीय किसी एक व्यक्ति का विचार या राय न होकर समग्र पत्र-समूह की राय होता हैइसलिए संपादकीय में संपादक अथवा लेखक का नाम नहीं लिखा जाता।

स्तम्भ  लेखन:  एक प्रकार का विचारत्मक लेखन है । कुछ महत्त्वपूर्ण लेखक अपने खास वैचारिक रुझान एवं लेखन शैली   के लिए जाने जाते हैं । ऐसे लेखकों की लोकप्रियता को देखकर समाचरपत्र उन्हें अपने पत्र में नियमित स्तम्भ - लेखन की जिम्मेदारी प्रदान करते हैं । इस प्रकार किसी समाचार-पत्र  में किसी ऐसे लेखक द्वारा किया गया विशिष्ट एवम नियमित लेखन जो अपनी विशिष्ट शैली एवम वैचारिक रुझान के कारण समाज में ख्याति प्राप्त होस्तम्भ लेखन कहा जाता है । 

संपादक के नाम पत्र : समाचार पत्रों में  संपादकीय पृष्ठ पर तथा पत्रिकाओं की शुरुआत में संपादक के नाम आए पत्र प्रकाशित किए जाते हैं । यह प्रत्येक समाचारपत्र का नियमित स्तम्भ होता है । इसके माध्यम से समाचार-पत्र अपने पाठकों को जनसमस्याओं तथा मुद्दों पर अपने विचार एवम  राय व्यक्त करने का अवसर प्रदान करता है ।

साक्षात्कार/इंटरव्यू:  किसी पत्रकार के द्वारा अपने समाचारपत्र में प्रकाशित करने के लिएकिसी व्यक्ति विशेष से उसके विषय में अथवा किसी विषय या मुद्दे पर किया गया प्रश्नोत्तरात्मक संवाद  साक्षात्कार कहलाता है ।

प्रश्न-अभ्यास:
1. पत्रकारीय लेखन किसे कहते हैं?
2. पत्रकारीय लेखन के उद्देश्य लिखिए।
3. पत्रकार कितने प्रकार के होते हैं?
4. उल्टा पिरामिड शैली का विकास कब और क्यों हुआ?
5. समाचार के छ: ककार लिखिए ।
6. इंट्रो क्या है?
7. फ़ीचर किसे कहते हैं?
8. फ़ीचर किस शैली में लिखा जाता है?
9. फ़ीचर व समाचार में क्या अंतर है?
10. विशेष रिपोर्ट से आप क्या समझते हैं?
11. विशेष रिपोर्ट के भेद लिखिए।
12. इन्डेप्थ रिपोर्ट किसे कहते हैं?
13. विचारपरक लेखन क्या है ? तथा उसके अन्तर्गत किस प्रकार के लेख आते हैं?
14 .संपादकीय में लेखक का नाम क्यों नहीं लिखा जाता ?
15. स्तम्भ लेखन क्या है ?
16. साक्षात्कार से क्या अभिप्राय है?

विशेष लेखन: स्वरूप और प्रकार

विशेष लेखन किसी खास विषय पर  सामान्य लेखन से हट कर किया गया लेखन है । जिसमें  राजनीतिकआर्थिकअपराधखेलफ़िल्म,कृषिकानून विज्ञान और अन्य किसी भी मत्त्वपूर्ण विषय से संबंधित विस्तृत सूचनाएँ प्रदान की जाती हैं ।

डेस्क : समाचारपत्रपत्रिकाओं , टीवी और रेडियो चैनलों में अलग-अलग विषयों पर विशेष लेखन के लिए निर्धारित  स्थल को डेस्क कहते हैं। और उस विशेष डेस्क पर काम करने वाले पत्रकारों का भी अलग समूह होता है । यथाव्यापार तथा  कारोबार के लिए अलग तथा खेल की  खबरों के लिए अलग डेस्क निर्धारित होता है ।

बीट : विभिन्न विषयों से जुडे़ समाचारों के लिए संवाददाताओं के बीच काम का विभाजन आम तौर पर उनकी दिलचस्पी और ज्ञान को ध्यान में रख कर किया जाता है। मीडिया की भाषा में इसे बीट कहते हैं ।

बीट रिपोर्टिंग तथा विशेषीकृत रिपोर्टिंग में अन्तर: बीट रिपोर्टिंग के लिए  संवाददाता में उस क्षेत्र के बारे में  जानकारी व दिलचस्पी का होना पर्याप्त है,साथ ही उसे  आम तौर पर अपनी बीट से जुडी़ सामान्य खबरें ही लिखनी होती हैं । किन्तु विशेषीकृत रिपोर्टिंग  में सामान्य समाचारों से आगे बढ़कर संबंधित विशेष क्षेत्र या विषय से जुडी़ घटनाओंसमस्याओं और मुद्दों  का बारीकी से विश्लेषण कर प्रस्तुतीकरण किया जाता है । बीट कवर करने वाले रिपोर्टर को संवाददाता तथा  विशेषीकृत रिपोर्टिंग करने वाले रिपोर्टर को विशेष संवाददाता कहा जाता है।

विशेष लेखन की भाषा-शैली: विशेष लेखन की भाषा-शैली सामान्य लेखन से अलग होती है। इसमें संवाददाता को संबंधित विषय की तकनीकी शब्दावली का ज्ञान होना आवश्यक होता हैसाथ ही यह भी आवश्यक होता है कि वह पाठकों को उस शब्दावली से परिचित कराए जिससे पाठक रिपोर्ट को समझ सकें। विशेष लेखन की कोई निश्चित शैली नहीं होती ।

विशेष लेखन के क्षेत्र : विशेष लेखन के अनेक क्षेत्र होते हैंयथा- अर्थ-व्यापार,खेलविज्ञान-प्रौद्योगिकीकृषिविदेशरक्षापर्यावरण शिक्षास्वास्थ्यफ़िल्म-मनोरंजनअपराधकानून व सामाजिक मुद्दे आदि ।

प्रश्न-अभ्यास:
1. विशेष लेखन क्या है?
2. विशेष लेखन के क्षेत्र लिखिए।
3. डेस्क किसे कहते हैं?
4. बीट से आप क्या समझते हैं?
5.  बीट रिपोर्टिंग क्या है?
6. बीट रिपोर्टिंग तथा विशेषीकृत रिपोर्टिंग में क्या अंतर है?
7. विशेष संवाददाता किसे कहते हैं?

जन संचार मध्यम और  लेखन : मह्त्त्वपूर्ण पृष्टव्य अभ्यास प्रश्न:
1. विज्ञापन किसे कहते हैं ?
2. भारत में नियमित अपडेट साइटों के नाम बताइए।
3. दूरदर्शन पर प्रसारित समाचार किन-किन चरणों से होकर दर्शकों तक पहुँचते हैं?
4. मुद्रित माध्यम की सबसे बड़ी विशेषता क्या है?
5. कम्प्यूटर के लोकप्रिय होने का प्रमुख कारण बताइए।
6. इलेक्ट्रोनिक मीडिया क्या है?
7. पत्रकारिता के विकास में कौन-सा मूल्भाव सक्रिय रह्ता है?
8. समाचारपत्र में संपादक की भूमिका क्या होती है?
9. फ़ीचर में न्यूनतम व अधिकतम शब्दों की सीमा कितनी होनी चाहिए?
10. फ़ीचर किस शैली में लिखा जाता है?
11. संपादन के किन्हीं दो सिद्धांतों को लिखिए।
12. आडिएंस से आप क्या समझते हैं?
13. कार्टून कोना क्या है?
14. स्टिंग आपरेशन क्या है?
15. ड्राई एंकर से क्या अभिप्राय है?
16. ऑप-एड पृष्ठ किसे कहते हैं
17. न्यूजपेग क्या है ?
18. एफ़०एम० क्या है?
19. अपडेटिंग से क्या अभिप्राय है?
20. सीधा प्रसारण किसे कहते हैं?

आलेख/फ़ीचर/रिपोर्ट संबंधी प्रश्न-अभ्यास

1. निम्नलिखित विषयों पर आलेख लिखिए-
·       बढ़ती आबादी देश की बरबादी
·       सांप्रदायिक सद्भावना
·       कर्ज में डूबा किसान
·       आतंकवाद की समस्या
·       डॉक्टर हड़ताल पर मरीज परेशान
·       वर्तमान परीक्षा प्रणाली

2. निम्नलिखित विषयों पर फ़ीचर लिखिए:
·       चुनावी वायदे
·       महँगाई के बोझतले मजदूर
·       वाहनों की बढ़ती संख्या
·       वरिष्ठ नागरिकों के प्रति हमारा नजरिया
·       किसान का एक दिन

3. निम्नलिखित विषयों पर रिपोर्ट तैयार कीजिए-
·       पूजा-स्थलों पर दर्शनार्थियों की अनियंत्रित भीड़
·       देश की महँगी होती व्यावसायिक शिक्षा
·       मतदान केन्द्र का दृश्य
·       आए दिन होती सड़क दुर्घटनाएँ
·       आकस्मिक बाढ़ से हुई जनधन की क्षति

निबंध-लेखन

निबंध-लेखन एक कला है,। इससे लेखक के ज्ञान की परख होती है। इसे लेखक के ज्ञान की कसौटी कह सकते हैं। निबंध एक प्रकार की बंधनहीन स्वच्छंद रचना होती हैकिंतु उसकी भाषाविचार एवम अभिव्यक्ति में कसावट की अपेक्षा रखी जाती है। इसके लिए शब्दों तथा समय की कोई सीमा नहीं होती किंतु परीक्षा में समय एवं शब्द-सीमा दोनों का ही ध्यान रखना आवश्यक होता है। सामान्यत: 5अंक का निबंध लगभग 250 शब्दों में तथा 10 अंक का निबंध लगभग 350 शब्दों में लिखा जाना चाहिए। दिए गए विषयों में से अपनी रुचि तथा विशेषज्ञता के आधार पर विषय का चुनाव करें।

निबंध लिखते समय ध्यान देने योग्य सामान्य बातें-
·       निबंध प्रस्तावनाविषय-विस्तार एवम उपसंहार के क्रम में लिखें।
·       विषय का क्रमबद्ध ब्यौर प्रस्तुत करें।
·       निबंध दिए गए विषय के अनुरूप होना चहिए।
·       निबंध का प्रारंभ किसी काव्यांशसूक्ति अथवा उद्धरण से करने पर निबंध की रोचकता बढ़ जाती है।
·       शुद्ध तथा रोचक विषयानुरूप भाषा का प्रयोग किया जाना चाहिए।
·       लेख साफ़-सुथरासुपाठ्य तथा सुन्दर हो।

 अभ्यास हेतु निबंध-
1. महानगरीय जीवन: अभिशाप या वरदान
2. आधुनिक शिक्षा पद्धति: गुण व दोष
3. विज्ञान-कला
4. बदलते जीवन मूल्य
5. नई शदी नया समाज
6. कामकाजी महिलाओं की समस्याएँ
7. राष्ट्र निर्माण में युवा पीढ़ी का योगदान
8. इंटरनेट की दुनियाँ
9. पराधीन सपनेहुँ सुख नाहीं
10. लोक्ततंत्र में मीडिया की भूमिका

पत्र-लेखन

विचारोंभावोंसंदेशों एवं सूचनाओं के संप्रेषण के लिए पत्र सहजसरल तथा पारंपरिक माध्यम है। पत्र अनेक प्रकार के हो सकते हैंपर प्राय: परीक्षाओं में शिकायती-पत्रआवेदन-पत्र तथा संपादक के नाम पत्र पूछे जाते हैं। 

इन पत्रों को लिखते समय निम्न बातों का ध्यान रखा जाना चाहिए:
·     पत्र के स्वरूप (फ़ॉर्मेट) का ध्यान रखें ।
·     पत्र-  प्रेषकदिनांकप्रेषतीविषयसंबोधनविषय-सामग्रीसमापनस्व-निर्देश व हस्ताक्षर के क्रम में लिखा जाना चाहिए।
·     भाषा शुद्धसरलस्पष्टविषयानुरूप तथा प्रभावकारी होनी चाहिए।

अभ्यासार्थ प्रश्न:-
1 .किसी दैनिक समाचार-पत्र के सम्पादक के नाम पत्र लिखिए जिसमें वृक्षों की कटाई रोकने के लिए सरकार का ध्यान आकर्षित किया गया हो।
2. हिंसा-प्रधान फ़िल्मों को देख कर बालवर्ग पर पड़ने वाले दुष्प्रभाव का वर्णन करते हुए किसी दैनिक पत्र के संपादक के नाम पत्र लिखिए।
3. अनियमित डाक वितरण की शिकायत करते हुए पोस्टमास्टर को पत्र लिखिए।
4. लिपिक पद हेतु विद्यिलय के प्राचार्य को आवेदन-पत्र लिखिए।
5. अपने क्षेत्र में बिजली संकट से उत्पन्न कठिनाइयों का वर्णन करते हुए अधिशासी अभियन्ता विद्युत बोर्ड को पत्र लिखिए।