हिन्दी वर्णमाला-Hindi Varnmaala
हिन्दी वर्णमाला-Hindi Varnmaala

 वर्ण:

भाषा की सबसे छोटी इकाई जिसके खंड नहीं किए जा सकते वर्ण कहलाती है। मुख से निकली प्रत्येक स्वतंत्र ध्वनि भाषा की सबसे छोटी इकाई है। ध्वनियों का लिखित रूप वर्ण कहलाता है। वर्णों को अक्षर भी कहते हैं वर्ण तथा अक्षरों के मेल से ही शब्द बनते हैं। वस्तुतः वर्ण वह लिपि चिन्ह है जो विशेष ध्वनि के लिए लिखित रूप में प्रयुक्त होता है।

वर्णमाला :  वर्णमाला वर्णों का क्रमबद्ध व्यवस्थित समूह है

स्वर:

जिन वर्णों के उच्चारण में वायु बिना किसी रूकावट के मुंह से बाहर निकलती हैस्वर कहलाते हैं। हिंदी वर्णमाला में स्वर ग्यारह हैं। इनके उच्चारण के लिए किसी अन्य ध्वनि की सहायता नहीं होती। स्वर व्यंजनों के उच्चारण में सहायक होते हैं। 'को छोड़कर अन्य सभी स्वरों की मात्राएं होती है।

मात्रा के आधार पर स्वरों के तीन भेद हैं-


  •  हस्व स्वर :  जिन स्वरों के उच्चारण में सबसे कम (एक मात्रा का) समय लगता हैउन्हें हस्व स्वर कहते हैं ये चार हैं-ऋ।

  •  दीर्घ स्वर : जिन स्वरों के उच्चारण में हास्य स्वर से अधिक (दो मात्रा का) समय लगता हैउन्हें दीर्घ स्वर कहते हैं। यह सात हैं - औ।

  •  प्लुत स्वर:  प्लुत स्वर के उच्चारण में हस्व का तीन गुना समय लगता है। प्लुत स्वरों के आगे 3 का अंक लिखने की परंपरा रही हैकिंतु अब हिंदी में प्राय प्लुत का प्रयोग समाप्त हो गया है
     
      प्रकृति के आधार पर स्वरों के दो भेद हैं:- 


  •  मूल स्वर : वे स्वर जो दो या दो से अधिक स्वरों के से मिलकर नहीं बनेवे  मूल स्वर कहलाते हैं।  ये है- ओ। 

  •  संयुक्त स्वर: वह स्वर जो दो अथवा दो से अधिक स्वरों से मिलकर बने हैंउन्हें संयुक्त स्वर कहते हैं। ये हैं- =(+)  तथा =(+)
हिन्दी वर्णमाला-Hindi Varnmaala

व्यंजन:

वे ध्वनियाँ जिनके उच्चारण में मुंह से निकलने वाली वायु में रुकावट होती हैउन्हें व्यंजन कहते हैं। व्यंजनों  के उच्चारण के लिए स्वरों की सहायता आवश्यक है।

व्यंजनों के भेद :

हिंदी में व्यंजनों को तीन वर्गों में वर्गीकृत किया जाता है -

1.    स्पर्श व्यंजन
2.    अंतस्थ व्यंजन
3.    उष्म व्यंजन

  • स्पर्श व्यंजन :  ''  वर्ग से 'वर्ग तक के 25 व्यंजन स्पर्श व्यंजन है। क्योंकि इनके उच्चारण में वायु मुख के किसी किसी भाग को स्पर्श करते हुए निकलती है

  • अंतस्थ व्यंजन : हिंदी में केवल 4 अंतस्थ व्यंजन है- व। इन व्यंजनों के उच्चारण में अन्य व्यंजनों की तुलना में कम रुकावट से वायु निकलती है। इन्हें अंतस्थ व्यंजन कहा जाता हैक्योंकि यह स्पर्श ऊष्म व्यंजनों के मध्य में स्थित है।

  • उष्म व्यंजन :   के उच्चारण में मुख से निकलने वाली वायु कुछ गर्म हो जाती हैइसलिए ये चारों वर्ण उष्म व्यंजन कहलाते हैं।

        उच्चारण के आधार के आधार पर व्यंजन के भेद

        उच्चारण के आधार पर व्यंजन के दो भेद हैं-

  • अल्पप्राण :  जिन व्यंजनों के उच्चारण में कम समय लगे तथा कम ही प्रयत्न किया जाएउन्हें अल्पप्राण व्यंजन कहते हैं। जैसे   आदि।

  • महाप्राण : जिन व्यंजनों के उच्चारण में अधिक समय लगे तथा अधिक प्रयत्न करना पड़े, उन्हें महाप्राण कहते हैं। जैसे आदि।

     अयोगवाह -

  •  'अंइसे अनुस्वार कहते हैं व्यंजन के प्रत्येक वर्ग का पांचवा वर्ण अनुस्वार होता है इसके उच्चारण में नाक से हवा निकलती है


  •  ':' -  इसे विसर्ग कहते हैं। विसर्ग का उच्चारण हल्के रूप में 'की तरह होता है जैसे अतःप्रातः आदि