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छंद से क्या अभिप्राय है?
छंद से क्या अभिप्राय है?
छंद: छंद वह लयात्मक, नियमित तथा
अर्थपूर्ण वाणी है, जिसमें आमद होकर कोई वाक्य या वाक्यांश
पद का रूप धारण कर लेता है। छंद में मात्राओं, वर्णों तथा
यति के नियमों का पालन किया जाता है । वर्णों में भी लघु, गुरु
तथा गणों आदि के नियमों का पालन करना होता है।
छंदों
के प्रकार: छंदों के दो प्रकार होते हैं-
(1) मात्रिक छंद:- मात्रिक
छंद उन छंदों को कहते हैं, जिन छंदों में मात्राओं की गणना
की जाती है। इस प्रकार के छंदों को मात्रावृत्त या जाति भी कहते हैं।
(2) वर्णिक छंद:- वर्णिक
छंद उन छंदों को कहा जाता है, जिनमें वर्णों की गणना की जाती
है। ऐसे छंदों को वृत्त, वर्णवृत भी कहते हैं।
छंदों
के इन दोनों मुख्य प्रकारों के तीन उपभेद भी हैं:-
1. सम मात्रिक छंद
2. अर्ध सम मात्रिक छंद
3. विषम मात्रिक छंद
सम छंद: वे मात्रिक अथवा वर्णिक छंद जिसमें चार चरण होते हैं तथा चारों चरणों में
मात्राओं अथवा वर्णों की संख्या समान होती है। उन्हें सम मात्रिक छंद कहते हैं।
अर्धसम छंद : वे मात्रिक अथवा वर्णिक छंद जिनमें चार चरणों हों तथा विषम (प्रथम
व तृतीय) एवं सम (द्वितीय एवं चतुर्थ) चरणों में मात्राओं अथवा वर्णों की संख्या
समान होती है। उन्हें अर्थ सममात्रिक छंद कहते हैं।
विषम छंद: वे मात्रिक अथवा वर्णिक छंद, जिसमें चरणों की संख्या चार से कम या अधिक हो, उन्हें
विषम छंद कहा जाता है।
मात्रा से क्या अभिप्राय है? इसकी गणना किस प्रकार की जाती है?
मात्रा
एवं मात्राओं की गणना: मात्रा से अभिप्राय किसी वर्ण
को बोलने में लगने वाले समय से है।मात्राएं स्वरों के आधार पर निर्धारित होती हैं।
छंद शास्त्र के आधार पर स्वरों को दो श्रेणियों में बांटा जाता है तथा उन्हें लघु
एवं गुरु कहा जाता है।
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