अगस्त माह हेतु गीत | RSS August Maah ka geet | rss geet lyrics

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अगस्त माह हेतु गीत

 

लक्षलक्ष बढ़ते चरणों के, साथ चलते हैं कोटि चरण।

दूर ध्येय मंदिर हो फिर भी, मन में है संकल्प सघन।धृ।

 

व्रती भागीरथ ने यत्नों से, गंगा इस भू पर लाई।

गंगाधर सी शंखधार भी भारत भूमि पर है आई

अगणित व्रती  भागीरथ करते, नित्य-निरंतर प्राणार्पण। 1

 

चट्टानों से बाधाओं पर, चलो रचे हम शिल्प नया।

सेवा के सिंचन से मरू भू, पर विकसाये  तरु छाया।

सद्भावो  से ,संस्कारों से, भर देंगे यह जन -गण -मन। 2

 

जन- जन  ही अब जगन्नाथ बन, रथ को देता नई  गति।

मार्ग विषमता का हम छोड़े, प्रगटाये समरस रीती।

हिन्दू ऐक्य  का सूरज चमके, भेदभाव का हटे ग्रहण। 3


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