Mere Bachpan Ke Din Class 9 Summary/मेरे बचपन के दिन पाठ का सारांश कक्षा 9/ Mere Bachpan Ke Din Class 9 Question Answer

Mere Bachpan Ke Din Class 9 Summary

मेरे बचपन के दिन पाठ का सारांश कक्षा 9 

मेरे बचपन के दिन एक संस्मरण हैं। जिसकी लेखिका महादेवी वर्मा जी हैं। महादेवी वर्मा ने मेरे बचपन के दिनमें अपने बचपन व स्कूल , कॉलेज के दिनों की खट्टी मीठी यादों को संजोया हैं। उन्होंने उस वक्त के सामाजिक जीवन लड़कियों के प्रति लोगों के दृष्टिकोण , अपने घर का माहौल , उनके प्रति उनके माता-पिता का सकारात्मक रवैया व अपने स्कूल के सहपाठियों के बारे में बताया हैं।

इस पाठ में लेखिका ने यह बताया है कि उस वक्त लोगों का लड़कियों के प्रति व्यवहार अच्छा नहीं था। उनको पैदा होते ही मार दिया जाता था। कुछ भाग्यशाली अगर बच भी जाती , तो उनके साथ जन्म से ही भेदभाव शुरू हो जाता था। लेकिन लेखिका खुश किस्मत थी कि उनके घर में इस तरह का माहौल नहीं था। गाँधी जी के असहयोग आंदोलन में उन्होंने भी छोटा सा सहयोग दिया था। 

कहानी की शुरुआत करते हुए लेखिका कहती हैं कि उनके परिवार में 200 वर्ष बाद किसी लड़की ने जन्म लिया। और उस लड़की को प्राप्त करने के लिए उनके दादाजी ने माता दुर्गा की पूजा आराधना की थी। उनके पिताजी बहुत ही खुले विचारों के व्यक्ति थे। वो चाहते थे कि उनकी पुत्री पढ़ लिखकर विदुषी बने।

उनके पिता अंग्रेजी जानते थे और घर में उर्दू और फारसी सभी लोग जानते थे। उनकी माताजी  जबलपुर की थी जो हिंदी और संस्कृत जानती थी। इसीलिए हिंदी और संस्कृत पढ़ना उन्होंने अपनी माता से सीखा। लेखिका कहती हैं कि उनकी माता ने उन्हें पंचतंत्र की कहानियां पढ़ने की प्रेरणा दी। पंचतंत्र की कहानियां नैतिक शिक्षा की प्रेरणा देती हैं।

लेखिका की उर्दू , फारसी में बिल्कुल भी रुचि नहीं थी। इसलिए उन्होंने उर्दू , फारसी पढ़ने से मना कर दिया। उनकी मां बहुत ही धार्मिक प्रवृत्ति की महिला थी। वह मीरा के पदों को बहुत सुंदर तरीके से गाती थी तथा गीता का पाठ भी करती थी। लेखिका ने अपनी मां से बहुत कुछ सीखा।

अब लेखिका को स्कूल भेजने का समय आ गया था। इनको मिशनरी स्कूल में भेजा गया। वहां का वातावरण बिल्कुल ही अलग था। इसीलिए वहां उनका मन बिल्कुल नहीं लगा और उन्होंने स्कूल जाना बंद कर दिया।

फिर उनके पिता ने उन्हें क्रास्थवेट गर्ल्स कॉलेज में भेजा। जहां उन्हें सीधे पांचवी क्लास में प्रवेश मिला। यहां का माहौल लेखिका के घर के जैसा ही था। वहां पर एक मैस भी थी जहां बिना लहसुन प्याज का खाना मिलता था। यहां लेखिका का मन पढ़ाई में लगने लगा। वो छात्रावास में रहती थी। जहां एक कमरे पर चार लड़कियां एक साथ रहती थी। 

छात्रावास में उनकी पहली सहेली सुभद्रा कुमारी चौहान बनी , जो उस समय सातवीं कक्षा में पढ़ती थी। छात्रावास में सब सुभद्रा कुमारी चौहान को कवयित्रीके नाम से जानते थे। यहां लेखिका भी अब कविताएं लिखने लगी थी। लेकिन वह किसी को इस बारे में बताती नहीं थी। लेकिन एक दिन सुभद्रा कुमारी चौहान जी को इस बारे में पता चल गया। तब उन्होंने छात्रावास के सभी लोगों को इस बारे में जानकारी दी।

इसके बाद उन दोनों की गहरी दोस्ती हो गई। अब दोनों मिल बैठ कर कविताओं की तुकबंदी करती थी। उन दिनों हिंदी का बहुत प्रचार प्रसार हुआ करता था। लेखिका अपनी कविताएं छपवाने के लिए  स्त्री दर्पणपत्रिका में भेजने लगी। जब भी उस पत्रिका में उनकी कविताएं छपती। वो बहुत खुश हो जाती थी।

Mere Bachpan Ke Din Class 9 Summary

उसी वक्त गांधी जी ने भी असहयोग आंदोलन शुरू किया था और आनंद भवन इस असहयोग आंदोलन का केंद्र था। जहां पर खूब हिंदी भाषा का प्रचार प्रसार होता था। वहां पर अक्सर कवि सम्मेलन होते रहते थे और उन कवि सम्मेलनों में लेखिका भी भाग लेती थी। इन कवि सम्मेलनों के अध्यक्ष अयोध्या सिंह हरिओध , रत्नाकर , श्रीधर पाठक जी होते थे।

कवि सम्मेलनों में वो हमेशा ही प्रथम आती थी। लेखिका कहती कि उन्होंने 100 से अधिक मेडल जीते थे। एक बार लेखिका को एक चांदी का कटोरा इनाम के तौर पर मिला जिसमें बहुत ही सुंदर नक्काशी की गई थी। उन्होंने उस कटोरे को जब सुभद्रा कुमारी चौहान को दिखाया तो , उन्होंने खुश होकर लेखिका से उसी कटोरी में खीर खिलाने की फरमाइश कर दी।

गांधीजी अक्सर आनंद भवन आया करते थे और उनके छात्रावास की लड़कियां भी एक आना , दो आना बचा कर गांधीजी के असहयोग आंदोलन कोष में दान देती थी । जब लेखिका ने गांधीजी को वह चांदी का कटोरा दिखाया तो , गांधीजी ने उनसे वो कटोरा मांग लिया।

वापस घर आकर जब उन्होंने यह बात सुभद्रा कुमारी चौहान जी को बतायी , तो सुभद्रा कुमारी चौहान जी ने कहा कि खीर तो तुम्हें मुझे खिलानी ही पड़ेगी , चाहे तुम पीतल की कटोरी में खिलाओ या फूल की। 

इसके कुछ समय बाद सुभद्रा कुमारी चौहान उनके हॉस्टल से चली गई। उसके बाद कोल्हपुर की जेबुन्निसा उनके साथ उनके कमरे में रहने आयी। जो उनके काम में बहुत मदद करती थी। जिस वजह से उन्हें अपनी कवितायें लिखने का खूब समय मिल जाता था। वह मराठी बोलती थी। इसलिए लेखिका को भी उनसे मराठी सीखने का मौका मिला।

छात्रावास में अलग-अलग भाषाएँ बोलने वाली , अलग-अलग प्रदेशों से आयी सभी छात्राएं एक साथ रहती थी। सबके बीच प्रेम , अपनापन व सौहार्द था। कहीं भी कोई वैमनस्य नहीं था। इसके बाद लेखिका आगे की पढ़ाई के लिए विद्यापीठ चली गई।

 

लेखिका कहती हैं कि मेरे बचपन के संस्कार ताउम्र मेरे साथ रहे। इसके बाद लेखिका अपने पड़ोसी जवारा के नवाब साहब के बारे में बताती है जिनकी नवाबी अंग्रेजों ने छीन ली थी और वो उनके पड़ोस में आकर रहने लगे।

 

नवाब साहब की बीवी को लेखिका ताई कहती थी और उनके बच्चे लेखिका की माँ को चाची जान कहते थे। दोनों परिवारों के बीच बहुत अच्छा खासा मेलजोल था। दोनों परिवार सभी त्यौहार आपस में मिलकर जुलकर मनाते थे। लेखिका के छोटे भाई का नाम भी मनमोहननवाब साहेब की बीवी ने ही रखा था। जो आगे चलकर जम्मू और गोरखपुर यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर बने।   

 

अंत में लेखिका कहती है कि उस समय लोगों के बीच अपनापन व प्रेम था। समाज में सौहार्द व एकता का वातावरण था। लोग मिलजुल कर रहते थे। और एक दूसरे के तीज-त्यौहार मनाते थे। अब तो ऐसा लगता है जैसे यह सब एक सपना था। लेखिका कहती हैं कि काश अगर आज भी वही माहौल होता , तो आज भारत की कहानी कुछ और ही होती ।  

 

Mere Bachpan Ke Din Class 9 Question Answer

मेरे बचपन के दिन पाठ के प्रश्न उत्तर कक्षा 9

प्रश्न 1.

मैं उत्पन्न हुई तो मेरी बड़ी खातिर हुई और मुझे वह सब नहीं सहना पड़ा जो अन्य लड़कियों को सहना पड़ता है। इस कथन के आलोक में आप यह पता लगाएं कि ?

(क) – उस समय लड़कियों की दशा कैसी थी ?

उत्तर

पुरुष प्रधान समाज होने के कारण समाज में लड़कियों और महिलाओं की स्थिति अच्छी नहीं थी। बेटे को वंश का वारिस मानकर उसे खूब सम्मान व सभी अधिकार दिए जाते थे। जबकि बेटियों को पराया धन मानकर अत्यंत हीन दृष्टि से देखा जाता था। पहले तो लड़कियों को जन्म लेते ही मार दिया जाता था।

अगर कोई भाग्यशाली लड़की बच गई तो उसे पारिवारिक व सामाजिक भेदभाव के साथ-साथ अनेक सामाजिक बंधनों व कुरीतियों का भी सामना करना पड़ता था। उस समय महिलाओं को शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार भी नहीं था। इसीलिए उस वक्त बहुत कम महिलाएं शिक्षित थी । बाल विवाह की कुप्रथा व्याप्त थी। दहेज प्रथा भी इसका एक कारण हो सकता है। 

(ख)-

लड़कियों के जन्म के संबंध में आज कैसी परिस्थिति है ?

उत्तर

पहले की अपेक्षा आज महिलाओं व लड़कियों की सामाजिक स्थिति काफी बदल चुकी है। धीरे-धीरे ही सही बेटे और बेटियों में अंतर कम होता जा रहा है। आज बेटों की तरह बेटियों को भी उच्च शिक्षा के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।

माता-पिता खुद अपनी बेटियों को आगे बढ़ने तथा उनको उनकी मर्जी का काम करने की स्वतंत्रता दे रहे हैं। हालांकि आज भी बेटियों के साथ भेदभाव पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ है। दहेज हत्या व कन्या भ्रूण हत्या अभी भी समाज में व्याप्त है। बेटियों के साथ भेदभाव पूरी तरह से खत्म हो , इसके लिए सरकार व समाज दोनों को ही जागरूक होना पड़ेगा। 

प्रश्न 2.

लेखिका उर्दू-फारसी क्यों नहीं सीख पाई।

उत्तर

लेखिका के पिता ने लेखिका को उर्दू और फारसी पढ़ाने के लिए एक मौलवी को नियुक्त किया था।  मगर लेखिका की उर्दू और फारसी पढ़ने में बिल्कुल रुचि न होने के कारण वो सीख नहीं पाई।

प्रश्न 3.

लेखिका ने अपनी मां के व्यक्तित्व की किन विशेषताओं का उल्लेख किया है ?

उत्तर

लेखिका की माताजी बहुत ही धार्मिक विचारों वाली महिला थी। वो ईश्वर के प्रति गहरी आस्था रखती थी। सुबह सवेरे मीरा के भजनों को बहुत सुरीली आवाज में गाती थी। वह गीता का पाठ भी करती थी। नियमित पूजा पाठ करना उनकी आदत में शामिल था।

लेखिका ने अपनी मां से ही हिंदी और संस्कृत भाषा सीखी थी। लेखिका के जीवन में अच्छे संस्कारों व नैतिक मूल्यों को स्थापित करने में उनकी माता की अहम भूमिका रही। 

प्रश्न 4.

जवारा के नवाब के साथ अपने पारिवारिक संबंधों को लेखिका ने आज के संदर्भ में सपने जैसा क्यों कहा है ?

उत्तर

जब लेखिका छोटी बच्ची थी तो उस समय समाज में सामाजिक सौहार्द का वातावरण था। हिंदू और मुस्लिम दोनों मिलजुल कर प्यार-मोहब्बत से रहते थे। दोनों धर्मों के लोग एक दूसरे के तीज -त्योहारों को मिलजुलकर मनाते थे।

समय के साथ-साथ हिंदू और मुस्लिम के रिश्तों में फर्क आया हैं । अब पहले जैसा सामाजिक सौहार्द का वातावरण नहीं रहा। प्रेम , भाईचारे व एक दूसरे पर विश्वास में भी कमी आई है। इसीलिए लेखिका कहती है कि जब में बचपन की बातें याद करती हूं तो आज एक सपने जैसा ही प्रतीत होता है। 

रचना और अभिव्यक्ति 

Mere Bachpan Ke Din Class 9 Question Answer

प्रश्न 5.

जेबुन्निसा , महादेवी वर्मा के लिए बहुत काम करती थी। जेबुन्निसा के स्थान पर यदि आप होती /होते तो , महादेवी वर्मा से आपकी क्या अपेक्षा होती ?

उत्तर

जेबुन्निसा की जगह अगर मैं होता तो , मैं महादेवी वर्मा जी से कविता , कहानियां लिखने की विधा सीखता। साथ ही साथ मेरी सीनियर होने के नाते मैं उनसे उम्मीद रखता कि वो मेरी पढ़ाई में भी मदद करें और मेरे साथ प्रेम पूर्वक व्यवहार करें।  

प्रश्न 6.

महादेवी वर्मा को काव्य प्रतियोगिता में चांदी का कटोरा मिला था। अनुमान लगाइए कि आपको इस तरह का कोई पुरस्कार मिला हो और वह देश हित में या किसी आपदा निवारण के काम में देना पड़ा तो , आप कैसा अनुभव करेंगे ?

उत्तर

देश के हर नागरिक को अपने देश से प्यार करना चाहिए और देश के प्रति अपने कर्तव्यों का निर्वहन पूरी ईमानदारी के साथ करना चाहिए। और अगर देश में कोई आपदा या कोई भी अन्य संकट आया हो तो , उस वक्त तन-मन-धन से कार्य करने को तत्पर रहना चाहिए।

यदि मेरे पास इस तरह का कोई चांदी का कटोरा होता तो , मैं बिना कुछ सोचे समझे उसे देश हित में या आपदा निवारण के सहयोग में दान कर देता। ऐसा करके मुझे प्रसन्नता व संतोष ही मिलता। मेरे लिए इससे बड़ा पुरस्कार और क्या होगा कि , मेरा पुरस्कार देशहित के काम आया। 

प्रश्न 7.

लेखिका ने छात्रावास में जिस बहुभाषी परिवेश की चर्चा की है। उसे अपनी मातृभाषा में लिखिए ?

उत्तर

क्योंकि मेरी मातृभाषा हिंदी है इसीलिए मैं हिंदी में लिख रहा हूं। लेखिका कहती हैं कि छात्रावास में अलग-अलग प्रदेशों से आई , अलग-अलग भाषाओं को बोलने वाली छात्राएं रहती थी। कोई उर्दू तो कोई मराठी और कोई अवधी भाषा बोलती थी। और एक प्रदेश से आई लड़कियां आपस में अपनी ही प्रदेश की भाषा में बोलती थी।

जैसे अवध की सारी लड़कियां आपस में अवधी बोलती थी। लेकिन अलग-अलग भाषाएं बोलने के बावजूद सारी छात्राएं एक दूसरे से हिंदी में भी बात करती थी। ताकि जो उनकी भाषा नहीं समझ पाता है। उनकी बातों को समझ जाए। छात्रावास में उन्हें हिंदी और उर्दू भी पढ़ाई जाती थी।

भाषा अध्ययन

प्रश्न 10.

पाठ से निम्नलिखित शब्दों के विलोम शब्द ढूंढ कर लिखिए ?

उत्तर

1.   विद्वान  मूर्ख

2.   अनंत  संक्षिप्त

3.   निरपराधी  अपराधी

4.   दंड  पुरस्कार

5.   शांति  अशांति

प्रश्न 11.

निम्नलिखित शब्दों के उपसर्ग / प्रत्यय अलग कीजिए और मूल शब्द बताइए ?

उत्तर

1.   निराहारी  – निर + आहार + ई

2.   सांप्रदायिकता – संप्रदाय + इक + ता

3.   अप्रसन्नता – अ + प्रसन्न + ता

4.   अपनापन  –  अपना + पन 

5.   किनारीदार – किनारा + ई + दार

6.   स्वतंत्रता = स्वतंत्र + ता

प्रश्न 12.

निम्नलिखित उपसर्ग -प्रत्ययों की सहायता से दो-दो शब्द लिखिए ?

उत्तर

उपसर्ग

1.   अन्  अनमोल , अनपढ़

2.    अमोल , अजान 

3.   सत  सत्चरित्र , सत्कर्म

4.   स्व  स्वराज , स्वाधीन

5.   दुर  दुर्जन , दुराचार 

प्रत्यय

1.   दार – समझदार , चौकीदार

2.   हार  होनहार , तारणहार

3.   वाला  सब्जीवाला , बर्तनवाला

4.   अनीय – पूजनीय, उल्लेखनीय

प्रश्न 13.

पाठ में आए सामासिक पद छांटकर विग्रह कीजिए ?

उत्तर

1.   पूजा-पाठ  पूजा और पाठ

2.   उर्दू -फारसी  उर्दू और फारसी

3.   पंचतंत्र  पांच तंत्रों से बना है जो

4.   दुर्गा पूजा  दुर्गा की पूजा

5.   छात्रावास  छात्रों का आवास 

 

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