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आत्मनिर्भर भारत |
आत्मनिर्भर भारत
प्रस्तावना
आत्मनिर्भर होना जितना जरूरी व्यक्ति के लिए है उतना ही जरूरी किसी एक
राज्य या देश के विकास के लिए भी है। जब हम आत्मनिर्भरता की बात करते हैं तो उसमें
आत्मविश्वास, स्वावलंबन, स्वदेशी जैसे भारतीय संस्कार स्वत: ही आ जाते है। हर व्यक्ति के लिए
आत्मनिर्भरता ही सबसे बड़ा और अच्छा गुण होती है। इसके साथ ही यह उसके लिए बड़ा
सहारा भी बनती है। यदि व्यक्ति आत्मनिर्भर रहेगा तो उसको किसी दूसरे की बहुत ही कम
जरूरत पड़ेगी और वह खुद बड़ी से बड़ी मुश्किल का आसानी से मुकाबला कर सकता है।
आत्मनिर्भर भारत
हमारा भारत देश एक बड़ा और हर संसाधन से परिपूर्ण देश है। भारत में हर
संसाधन पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है और हर प्रकार की वस्तु या सामग्री का
निर्माण खुद कर सकता है। इसके लिए किसी दूसरे देश पर आश्रित रहने की जरूर नहीं
पड़ेगी। ऐसा करने के लिए देश के हर युवा के लिए इच्छाशक्ति और कार्य में कुशलता
होनी बहुत जरूरी है। ऐसा नहीं है कि हमारे देश में ऐसे लोगों की कमी है। भारत का
युवा विश्व में अपने कौशल, बुद्धि का लोहा
मनवा चुका है अब समय आ गया है कि हम ऊर्जा और कौशल से परिपूर्ण नई पीढ़ी का
आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य में सदुपयोग करें।
आत्मनिर्भरता से यह तात्पर्य है कि हमारा देश हर क्षेत्र में खुद पर
निर्भर हो, उसको किसी भी दूसरे की मदद
नहीं लेनी पड़े। वह वस्तु का निर्माण करें जिसका उपयोग हम करते है। चाहे वो छोटी स
छोटी सुई और बड़ी बड़ी से बड़ी वस्तु ही क्यों न हो। ऐसी वस्तुओं के लिए किसी दूसरे
देश के सामने हाथ नहीं फैलाना पड़े।
आत्मनिर्भर भारत अभियान क्या है
आत्मनिर्भर भारत योजना में भारत को हर उस क्षेत्र में सक्षम होना है, जिसमें वह दूसरे देशों की मदद लेता है। आत्मनिर्भर
भारत अभियान का उद्देश्य भारत के संसाधन को भारत में ही अधिक उपयोग में लाना है।
भारत में अधिक उद्योगों को सुचारू करना और यहां के हर युवा को रोजगार के लिए
प्रोत्साहित करना और आत्मनिर्भर बनाना है।
आत्मनिर्भर भारत में हर उस क्षेत्र पर ध्यान दिया जाएगा, जिसमें भारत किसी दूसरे देश की मदद लेता है। फिर
उस क्षेत्र में सक्षम बनना है। इससे देश के विकास में बहुत लाभ मिलेगा और भारत एक
आत्मनिर्भर राष्ट्र बनेगा।
आत्म निर्भर भारत
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वर्तमान
वैश्वीकरण के युग में आत्मनिर्भरता की परिभाषा में बदलाव आया है। आत्मनिर्भरता, आत्मकेंद्रित से अलग है।
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भारत ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ की
संकल्पना में विश्वास करता है। चूँकि भारत दुनिया का ही एक हिस्सा है, अतः भारत प्रगति करता है तो ऐसा करके वह दुनिया की प्रगति में भी
योगदान देता है।
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“आत्मनिर्भर भारत”
के निर्माण में वैश्वीकरण का बहिष्कार नहीं किया जाएगा अपितु
दुनिया के विकास में मदद की जाएगी।
आत्मनिर्भरता के फायदे
यदि देश आत्मनिर्भर होगा तो इसके कई सारे फायदे है जो निम्न है:
· किसी दूसरे देश के आगे हाथ नहीं फैलाना
पड़ेगा।
· देश में उद्योगों में बढ़ोतरी होगी।
· देश का हर युवा सफल, सक्षम होगा और साथ ही
उसके पास रोजगार होगा।
· देश बेरोजगारी के साथ साथ गरीबी से भी मुक्त होगा।
· देश के पास अधिक पैसा होगा और उसकी आर्थिक व्यवस्था मजबूत होगी।
· आयात की जगह पर निर्यात बढ़ेगा, जिससे विदेशी
मुद्रा का प्राप्त भंडार होगा।
· किसी भी प्राकृतिक आपदा के समय देश में खाद्यान की मांग बढ़ जाती है,
यदि देश आत्मनिर्भर होगा तो उसको किसी दूसरे देश पर निर्भर रहने
की जरूरत नहीं होगी।
आत्मनिर्भरता का अवसर
जैसा की हम सभी जानते ही है अभी हमारा देश कोरोना वायरस जैसी भयानक
महामारी से गुजर रहा है। इस संकट ने हमारे देश को आत्मनिर्भर बनने का अवसर दे दिया
है। इस भयानक महामारी में हमने सिद्ध कर दिया है कि चाहे हमारे देश में कैसी भी
विकट परिस्थिति आ जाये, हम देश के साथ है।
देश को किसी दूसरे देश पर आश्रित नहीं होने देंगे।
हम अभी तक कोरोना जैसी महामारी से लड़ने के लिए देश में पीपीई किट, वेंटिलेटर और सैनिटाइज़र आदि जैसे चीजों का उत्पादन कर चुके है। हमारे देश भारत में किसी भी संसाधन की कोई कमी नहीं है। पहले हमारे देश में पीपीई किट, वेंटिलेटर और सैनिटाइज़र आदि का बहुत ही कम मात्रा में उत्पादन होता था। लेकिन ऐसी भयानक स्थिति में खुद पर निर्भर होने बहुत ही बड़ा उदारहण हमने अन्य देशों को दिया है। कोरोना काल में भारत द्वारा विकसित वैक्सीन को विश्व के बहुत सारे देशों ने प्रयोग किया तथा इससे भारतीय आबादी को भी स्वस्थ रखने में बहुत मदद मिली। अगर हम वैक्सीन के निर्माण में आत्मनिर्भर नहीं होते तो कोरोना महामारी को रोका नहीं जा सकता था ।
इनका स्वयं उत्पादन करना आत्मनिर्भर भारत की ओर एक अहम और पहला कदम है
और यह सफल भी हुआ है। इससे हमारा देश दूसरे देशों की नजरों में और भी ऊँचा हो गया
है।
दूसरों पर निर्भर होने के नुकसान
यदि हमारा देश किसी दूसरे देश पर किसी संसाधन को लेकर निर्भर है तो
हमें भी उस देश के अनुरूप ही काम करना पड़ेगा और उस देश की हर वो शर्त को मानना
पड़ेगा जो हमें चाहे नामंजूर ही क्यों ना हो। इससे दूसरे देशों की आर्थिक स्थिति
मजबूत होती है। हमारे देश का पैसे दूसरे देशों के विकास में लगता है और हमारा देश
कई गुना पीछे रह जाता है। हमारे देश में गरीबी, बेरोजगारी जैसी भयानक समस्या आ जाएगी।
हम यदि यह ठान लें कि हमें और हमारे देश को हर क्षेत्र में आत्मनिर्भर
होना है तो हमारे देश को एक विकसित देश बनने से कोई रोक नहीं सकता है। जब हमारा
देश पूरी तरह से आत्मनिर्भर हो जायेगा तो वह सही तरीके से स्वतंत्र होगा।
उपसंहार
हमें हमारे देश को आत्मनिर्भर बनाने में हर संभव कोशिश करनी चाहिए और हर वो वस्तु उपयोग में लानी होगी जो देश में ही निर्मित हो। इससे हमारा देश आत्मनिर्भर होने के साथ ही आर्थिक रूप से मजबूत भी होगा और किसी दूसरे देश पर निर्भर रहने की जरूरत नहीं होगी।
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