जनसंचार माध्यम
1. संचार:
सूचनाओं, विचारों और भावनाओं का लिखित, मौखिक या दृश्य-श्रव्य माध्यमों के जरिये सफ़लता पूर्वक आदान-प्रदान करना या एक जगह से दूसरी जगह पहुँचना संचार है। इस प्रक्रिया को संपन्न करने में सहयोगी तरीके तथा उपकरण संचार के माध्यम कहलाते हैं।
2.
जनसंचार:
प्रत्यक्ष संवाद के बजाय किसी तकनीकी या यान्त्रिक माध्यम के द्वारा समाज के एक विशाल वर्ग से संवाद कायम करना जनसंचार कहलाता है।
3. जनसंचार के माध्यम: अखबार, रेडियो, टीवी, इंटरनेट, सिनेमा आदि.
4. जनसंचार की विशेषताएँ:
· इसमें फ़ीडबैक तुरंत प्राप्त नहीं होता।
· इसके संदेशों की प्रकृति सार्वजनिक होती है।
· संचारक और प्राप्तकर्त्ता के बीच कोई सीधा संबंध नहीं होता।
· जनसंचार के लिये एक औपाचारिक संगठन की आवश्यकता होती है।
· इसमें ढ़ेर सारे द्वारपाल काम करते हैं।
5.
जनसंचार के प्रमुख कार्य:
· सूचना देना
· शिक्षित करना
· मनोरंजन करना
· निगरानी करना
· एजेंडा तय करना
· विचार-विमर्श के लिये मंच उपलब्ध कराना
प्रश्न-अभ्यास-
1. संचार किसे कहते हैं ?
2. संचार के भेद लिखिए ।
3. जनसंचार से क्या अभिप्राय है ?
4. संचार तथा जनसंचार में क्या अंतर है?
5.
जनसंचार के प्रमुख माध्यमों के नाम लिखिए ।
6. जनसंचार की कौन-कौन सी विशेषताएँ हैं?
7. जनसंचार के प्रमुख कार्यों को लिखिए ।
पत्रकारिता के विविध आयाम
6. पत्रकारिता:
ऐसी सूचनाओं का संकलन एवं संपादन कर आम पाठकों तक पहुँचना, जिनमें अधिक से अधिक लोगों की रुचि हो तथा जो अधिक से अधिक लोगों को प्रभावित करती हों, पत्रकारिता कहलाता है।
7. समाचार: समाचार किसी भी ऐसी ताजा घटना, विचार या समस्या की रिपोर्ट है,जिसमें अधिक से अधिक लोगों की रुचि हो और जिसका अधिक से अधिक लोगों पर प्रभाव पड़ता हो ।
8. समाचार के तत्त्व: पत्रकारिता की दृष्टि से किसी भी घटना, समस्या व विचार को समाचार का रूप धारण करने के लिए उसमें निम्न तत्त्वों में से अधिकांश या सभी का होना आवश्यक होता है: नवीनता, निकटता, प्रभाव,जनरुचि, संघर्ष, महत्त्वपूर्ण लोग, उपयोगी जानकारियाँ, अनोखापन आदि ।
डेडलाइन- समाचार माध्यमों के लिए समाचारों को कवर करने के लिये निर्धारित समय-सीमा को डेडलाइन कहते हैं।
9. संपादन : प्रकाशन के लिए प्राप्त समाचार सामग्री से उसकी अशुद्धियों को दूर करके पठनीय तथा प्रकाशन योग्य बनाना संपादन कहलाता है।
10.
संपादकीय:संपादक द्वारा किसी प्रमुख घटना या समस्या पर लिखे गए विचारत्मक लेख को, जिसे संबंधित समाचारपत्र की राय भी कहा जाता है,संपादकीय कहते हैं। संपादकीय किसी एक व्यक्ति का विचार या राय न होकर समग्र पत्र-समूह की राय होता है, इसलिए संपादकीय में संपादक अथवा लेखक का नाम नहीं लिखा जाता।
11: पत्रकारिता के प्रमुख प्रकार:
(1) खोजी पत्रकारिता- जिसमें आम तौर पर सार्वजनिक महत्त्व के मामलोंजैसे, भ्रष्टाचार, अनियमितताओं और गड़बड़ियों की गहराई से छानबीन कर सामने लाने की कोशिश की जाती है। स्टिंग ऑपरेशन खोजी पत्रकारिता का ही एक नया रूप है।
(2) वाचडाग पत्रकारिता- लोकतंत्र में पत्रकारिता और समाचार मीडिया का मुख्य उत्तरदायित्व सरकार के कामकाज पर निगाह रखना है और कोई गड़बड़ी होने पर उसका परदाफ़ाश करना होता है, परंपरागत रूप से इसे वाचडाग पत्रकारिता कहते हैं।
(3) एडवोकेसी पत्रकारिता- इसे पक्षधर पत्रकारिता भी कहते हैं। किसी खास मुद्दे या विचारधारा के पक्ष में जनमत बनाने के लिए लगातार अभियान चलाने वाली पत्रकारिता को एडवोकेसी पत्रकारिता कहते हैं।
(4) पीत पत्रकारिता-पाठकों को लुभाने के लिये झूठी अफ़वाहों, आरोपों-प्रत्यारोपों, प्रेमसंबंधों आदि से संबंधि सनसनीखेज समाचारों से संबंधित पत्रकारिता को पीतपत्रकारिता कहते हैं।
(5) पेज थ्री पत्रकारिता- एसी पत्रकारिता जिसमें फ़ैशन, अमीरों की पार्टियों ,महफ़िलों और जानेमाने लोगों के निजी जीवन के बारे में बताया जाता है।
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