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Padmanabhaswamy Temple History In Hindi Kerala | पद्मनाभ स्वामी मंदिर का इतिहास
श्री पद्मनाभ
स्वामी मंदिर Padmanabhaswamy Temple केरल की राजधानी में तिरुवनंतपुरम में मौजूद एक
प्रमुख धार्मिक मंदिर है। यह मंदिर पर सोने की परत चढ़ाई गई है। आपको बता दे की
पद्मनाभ मंदिर 108 दिव्य स्थानों में से एक माना जाता है।
पद्मनाभ मंदिर में आनेवाले पर्यटक और भक्तो के
लिए एक विशिस्ट प्रकार का ड्रेस पहनना पड़ता है। पद्मनाभ मंदिर के ऐसे नियमो के
होते हुवे भी बड़ी भारी संख्या में भक्तो की संख्या दर्शन करने के लिए आते है। अगर
आप शांति का अनुभव करना चाहते है तो आपको इस पद्मनाभ मंदिर का प्रवास करना चाहिए।
पद्मनाभ मंदिर उसके सख्त नियमो के लिए और पद्मनाभ मंदिर रहस्य से पहचाना जाता है।
पद्मनाभ स्वामी मंदिर Bhagwan Padmanabha Temple in hindi में सबको बता दे कि
वैष्णववाद धर्म के पूजा करने का मुख्य स्थान है। पद्मनाभ मंदिर में भगवान विष्णु
के अवतार पद्मनाभ स्वामी की पूजा की जाती है। पद्मनाभ
स्वामी मंदिर padmanabh mandir भारत के उन मंदिरो में से एक है जहा पर फ़क्त
हिन्दू धर्म लोगो को ही प्रवेश कर सकते है। पद्मनाभ मंदिर का रहस्य और मंदिर की
भव्यता सब लोगो को अपनी और आकर्षित करता है। अगर आप भी इस मंदिर के बारे में जानना
चाहते है तो हमारे लेख पद्मनाभ स्वामी मंदिर Swami Padmanabha temple history in hindi के बारे में पूरा पढियेगा जरूर।
पद्मनाभ स्वामी मंदिर का इतिहास Padmanabhaswamy Temple History In
Hindi –
मंदिर
का नाम |
श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर (Padmanath swami mandir) |
स्थान |
तिरुवनंतपुरम |
राज्य |
केरल |
पुन:
निर्माणकर्ता |
मार्तण्ड राजा |
स्थापनाकाल |
कलियुग का पहला दिन |
स्थापना
साल |
950वे
साल |
पद्मनाभस्वामी मंदिर का इतिहास –
केरल में स्थित पद्मनाभस्वामी मंदिर का रहस्य और इतिहास 8वी शताब्दी का माना जाता है। भारत के पवित्र
दिव्य 108 विष्णु मंदिरो मे से एक माना जाता है। त्रावणकोर
के राजाओने यह प्रख्यात मार्तड वर्मा ने पद्मनाभ मंदिर का जीर्णोद्वार करवाया था। इसके बाद पद्मनाभ मंदिर के परिणाम स्वरूप में
वर्तमान समय में पद्मनाभ स्वामी मंदिर padmanabhaswamy temple history की संरचना करवाया गया। पद्मनाभ मंदिर में मुरजपम
और भाद्र जैसे त्योहारों का प्रारंभ मार्तण्ड वर्मा ने किया था।
मुराजपम शब्द का अर्थ होता है प्रार्थनाओ का
निरंतर जप करना। यह त्यौहार पद्मनाभ स्वामी मंदिर padmanabhan mandir में 6 साल में एक बार इस त्यौहार का आयोजन किया जाता
है। ई.स 1750 के समय में महाराज मार्तण्ड वर्मा द्वारा भगवान
पद्मनाभ को त्रावणकोर राज्य का विस्तार समर्पित किया था। मार्तण्ड राजा ने कसम ली
की हमारा शाही परिवार भगवान पद्मनाभ की तरफ से राज्य का शासन संभालेंगे और उनके
शाही वंशज भगवान पद्मनाभ से सेवक के रूप में राज्य की और पद्मनाभ सेवा करते रहेंगे।
पद्मनाभस्वामी मंदिर के तहखाने का रहस्य –
केरल का पाटनगर यानि की राजधानी तिरुवनंतपुरम का
नाम इस पद्मनाभ स्वामी मंदिर padmanabhaswamy temple kerala भगवान के पीठासन देवता द्वारा मिला है इसे अनंत
भी नाम से भी जाना जाता है। तिरुवनंतपुरम का
अर्थ है की anantha padmanabha swamy temple की भूमि। पद्मनाभस्वामी के मंदिर का जिक्र कई
सारे पवित्र ग्रंथो में किया है। तयखाना का अर्थ और पद्मनाभ मंदिर जिक्र स्कन्द
पुराण, पद्मपुराण , ब्रह्मपुराण जैसे
पवित्र ग्रंथो में का जिक्र किया गया है।
anantha padmanabha swamy temple kerala सात परशुराम क्षत्रो में से एक पहचाना जाता है।
पद्मनाभ मंदिर के नजदीकी एक टेंक भी मौजूद है जिसको पद्म थीर्थम के नाम से भी जाना
जाता है। पद्म थीर्थम का मतलब होता है की कमल जरना होता है।
Padmanabhaswamy temple की वास्तुकला –
padmanabha temple की वास्तुकला की बात तो इस मंदिर को केरल वास्तुकला और द्रविड़ीय यानि
कोविल वास्तुशैली का मिश्रण देखने को मिलता है। यह शैली आसपास के कई सारे मंदिरो
में देखने को मिलता है। श्री पद्मनाभ मंदिर का गर्भगृह एक पत्थर के स्लेब
पर स्थित है। पद्मनाभ मंदिर की मुख्य प्रतिमा करीबन 18 फिट लंबी है। मंदिर का पूरा स्मारक पत्थर और
कांस्य के कई अत्यंत आकर्षित भित्ति चित्रों से सजाया गया है।
पद्मनाभ स्वामी मंदिर Padmanabhaswamy temple का दृश्य –
श्री padmanam mandir में एक स्वर्ण स्तंभ भी बनाया गया है। यह स्तंभ मंदिर की खूबसूरती को
और भी ज्यादा बढ़ाता है इसके अलावा मंदिर में कई सारे स्तंभो का निर्माण करवाया गया
है। और उन स्थम्भो पर सुन्दर और आकर्षक नक्काशी करवाई
गई है। यह डिजाइन मंदिर की भव्यता और आकर्षित नक्काशी पर्यटकों और भक्तो को मोहित
कर देता है।
श्री पद्मनाभ मंदिर की स्थापना से जुडी मान्यता –
पद्मनाभस्वामी मंदिर माहिती देखे तो मंदिर कई
हजारों साल पुराना माना जाता है। padmanava temple की स्थापना कब हुई थी इस बारे में कोई खास सबूत नहीं है। ऐसा माना
जाता है की यह मंदिर दो हजार साल पुराना माना जाता है। त्रावणकोर के इतिहासकार डॉ.एल.ए रवि वर्मा का के
दावे के अनुसार इस मंदिर की स्थापना कलियुग के पहले ही दिन की गई थी। इतिहास करो
के मतानुसार पद्मनाभ मंदिर स्थित भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापना कलियुग में 950वे साल में किया गया था।
श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर में खजाने का रहस्य –
padmanabhaswamy temple mystery केरल में स्थित तिरुवनंतपुरम में मौजूद श्री
पद्मनाभस्वामी मंदिर में बहोत सारी धन सम्पति है। कहा जाता है की पद्मनाभ मंदिर का
खजाना में करीबन 2 लाख करोड़ रुपये की दौलत मौजूद है। सरकार की
निगरानी में 2011 में पद्मनाभ मंदिर से करीबन 1 लाख करोड़ रुपये का खजाना निकाला जा चूका है।
पद्मनाभ मंदिम का अभीभी एक तयखाना खोलना बाकि है। इस द्वार खोलने का साहस कोई नहीं करता। क्योकि
इसके द्वार पर साप के निशान और इसके अंदर बहोत भयानक सापो का बसेरा हो सकता है ऐसा
माना जाता है। इस कारण padmanabha temple kerala में बहुत बड़ा खजाना होने के कारण इस मंदिर को
भारत के अमिर मंदिरो में इसको भी स्थान दिया गया है।
Padmanabhaswamy Temple से त्रावणकोर राजघराने का सबंध –
Sri Padmanabhaswamy temple Gold का मुख्य स्वरूप त्रावणकोर के राजाओंने बनवाया
था। ऐसा माना जाता है की ई.स 1750 में त्रावणकोर के
महारजा मार्तण्ड वर्मा ने अपने आप को पद्मनाभ स्वामी का भक्त बताया गया है। इसके
बाद पूरा शाही खानदान पद्मनाभ मंदिर की सेवा में लग गए थे।
Padmanabha temple history hindi में ऐसा माना जाता है की मंदिर में स्थित खजाना
त्रावणकोर शाही खानदान का है। ई.स 1947 में
भारत सरकार ने हैदराबाद के निजाम की सम्पति सरकार के आधीन कर लिया था। इस समय
त्रावणकोर राजधराने ने उनका सारा खजाना पद्मनाभ मंदिर में रख दिया था। तब उस समय
त्रावणकोर रियासत को भारत में विलय कर दिया। Padmanabhaswamy temple उस समय त्रावणकोर की संपत्ति भारत सरकार आधीन तो
की लेकिन मंदिर में स्थित खजाना मंदिर त्रावणकोर के राजघराने के पास ही रहा। इस
तरह राजघराने ने उनका खजाना बचा लिया। लेकिन
इस तरह का कोई प्रमाण अब तक सामने नहीं आया वर्तमान समय में पद्मनाभ मंदिर को शाही
खानदान द्वारा बनाया गया ट्रस्ट चलाता है।
श्री पद्मनाभ मंदिर में प्रवेश के लिए ड्रेस –
पद्मनाभ मंदिर दर्शन नियम का पालन किया जाता है
इस मंदिर में एक सख्त ड्रेस का कोड का पालन किया जाता है। पद्मनाभ मंदिर में
महिलाओको को साड़ी, स्कर्ट , ब्लाउज पहनना अति
आवश्यक है और पुरुषो को मुंडू नीरथुम करवाया जाता है। मंदिर में आनेवाली 12 साल से कम उम्र की युवा लड़कियो को गाउन पहन सकती
है और पुरुषो को मुंडू और धोती पहनना आवश्यक होता है। मंदिर के प्रवेश द्वार के
नजदीकी किराये पर धोती उपलब्ध है वर्तमान समय में भक्तो को असुविधा से छुटकारा
पाने के लिए थोड़ी छूट दी गई है।
Shree Padmanabhaswamy Temple Timings –पद्मनाभ मंदिर दर्शन समय और पूजा करने का समय :
सुबह की पूजा 03:30 बजे से 04:45 बजे
सुबह की पूजा 06:30 बजे से 07:00 बजे तक
Morning की पूजा
8.30 बजे से 10:00 बजे तक
सुबह की पूजा 10:30 बजे से 11:10 बजे तक
दोपहर की पूजा 11:45 बजे से
दोपहर 12:00 बजे तक
Padmanabhaswamy Temple में शाम को पूजा करने का समय :
शाम की पूजा 5:00 बजे से 6:15 बजे
शाम की पूजा 6:45 बजे से 7:20 बजे
पद्मनाभ मंदिर केरल के त्यौहार –
श्री पद्मनाथ स्वामी मंदिर में मनाये जाना वाला
उस्तव एक उनके जन्म दिन पर मनाया जाता है। उनके जन्म दिन को थिरुवोनम के उत्सव के रूप में
मनाया जाता है।
इस त्यौहार को कई पीढ़ियों पहले पूर्वजो
ध्वारा तय किये गए। प्राचीन पारम्परिक
आरती ,पूजा और रीती -रिवाजो के साथ इसकी धाम-धूम से
पूजा की जाती है। पद्मनाभ मंदिर में थुलम और मिनम के उस्तवो को हर
साल में दो बार मनाया जाता है। और इन उस्तवो को एक
त्यौहार दस दिवसय उस्तव है। इस त्योहार को
पद्मनाभस्वामी मंदिर
मनाया जाता है। यह उत्सव प्राचीन समय की तरह परंपरागत रूप से
प्रतिमाओ को हाथियों के इस्तेमाल करके ले जाते है। परन्तु वर्तमान में श्री पद्मनाभस्वामी टेम्पल के
ऐसे अनुष्ठान को बंध किया है। Padmnabh mandir में एक
और त्यौहार जिसको लक्षदीपम कहते है। जिस
त्यौहार में हजारो की संख्या में दीपको को जलाया जाता है। इस समय Padbhanabha swami temple का नजारा हर कोई व्यक्ति को मोहित कर लेता है।
श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर की यात्रा का सबसे अच्छा समय –
अगर आप भी श्री पद्मनाभस्वामी के दर्शन करना चाहते है। तो केरल में त्रिवेंद्र की यात्रा का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से फरवरी का माना जाता है। क्योकि सर्दियोका मौसम सबसे अच्छा सुहाना होता है। और सर्दियों का मौसम बहुत सबसे अच्छा और यात्रा के लिए सबसे बेस्ट समय माना जाता है। केरल में गर्मियों के समय में वहा बहोत ज्यादा गर्मी होने के कारन गर्मियों के समय में यात्रा करना कठिन होता है।
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