Karwa chauth ki kahani/करवा चौथ की कहानी/Karwa chauth vart katha
करवा चौथ की कहानी ( Karwa
chauth ki kahani ) Karwa chauth vart katha
सुहागन औरतें अपने पति की रक्षा के लिए साक्षात यमराज से भी टकरा जाती हैं, करवा चौथ की कहानी मैं कुछ इसी प्रकार की सच्चाई है। भारतीय परंपरा और मान्यता के अनुसार सुहागिन औरत और सती हुई देवियों के पास एक दिव्य शक्ति थी जिसके कारण वह बड़े से बड़े ईश्वरीय शक्ति को सच्चाई के लिए झुकने का कार्य किया।
1. करवा चौथ की कहानी एवं व्रत
कथा
( Karva chauth famous story )
प्राचीन
समय की बात है एक साहूकार के सात पुत्र और एक पुत्री करवा थी। साहूकार अपने सभी संतानों
की परवरिश राजशाही तरीके से किया करते थे। धीरे-धीरे सभी भाई-बहन बड़े हुए। सात
भाइयों की की इकलौती बहन थी इसलिए सभी भाई अपनी बहन से खूब स्नेह करते थे। अपनी
बहन की शादी उन्होंने बड़ी धूमधाम के साथ एक नामी साहूकार के यहां किया।
एक दिन
बहन घर आई हुई थी, सभी
भाई उससे बड़ा प्रेम करते। एक साथ बिठाकर खाना खाते और अधिक से अधिक समय अपनी बहन
के साथ बिताते। बचपन की कहानियां साझा करके खूब आनंदित होते। सभी भाई पहले बहन को
खाना खिलाते और उसके बाद स्वयं खाना खाते आपस में इतना प्रेम था।
एक दिन
जब सभी भाई अपना कारोबार समेटकर संध्या समय जब घर लौटे तो उन्होंने पाया उनकी बहन
भूखी प्यासी और मुरझाइ सी घर में बैठी है।
सभी को चिंता हुई आखिर ऐसी क्या बात है ?
कारण
जाना तो पता चला आज करवा चौथ का व्रत बहन ने किया है और
चांद की प्रतीक्षा में वह सुबह से भूखी प्यासी बैठी है।
जब
चांद को देख लेगी तो अपना व्रत खोलेगी।
भाइयों
को उसका यह कष्ट देखा ना गया।
सबसे
छोटा भाई अपनी बहन से विशेष लगाव रखता था।
भूखा
प्यासा देख उसने युक्ति निकाली और गांव के बाहर पीपल के पेड़ पर चढ़ गया वहां एक
दीया जलाकर एक छन्नी में रख आया। पूरे गांव को ऐसा लगा जैसे चांद निकल आया हो। बहन
ने देखा चांद आसमान में निकल चुका है उसने झटपट अपना व्रत खोलने का सारा सामान
जुटाया और जल अर्पण कर अपना व्रत खोलने के लिए बैठी।
पहला
निवाला खाते ही उसे मुंह में बाल मिला उसे निकालकर एक किनारे रख दिया। दूसरा निवाला
जैसे ही जब आया दांत के नीचे कंकड़ जैसा आभास हुआ वह निवाला भी बहन ने एक किनारे
रख दिया।
तीसरा
निवाला खाते ही उसके पति की मृत्यु का समाचार प्राप्त हुआ।
बहन के
दुख की कोई सीमा नहीं थी वह खाना-पीना छोड़ रोने लगी। कुछ देर बाद उसे इस घटना के
कारण का पता चला। वह चांद भाई की गलती के कारण दिखाई दिया था , जिसके कारण देवता ने क्रोध
करते हुए उसके पति के प्राण हर लिए।
तमाम
युक्ति लगाने पर भी उसकी सांसे शरीर में वापस ना लौट सकी।
बहन ने
ठान लिया वह अपने पति का दाह संस्कार नहीं करेगी।
ऐसा ही
हुआ –
एक
वर्ष तक अपने पति के मृत्य शरीर के साथ बैठी रही। दाएं-बाएं से उगने वाले घास-फूस
को साफ करती और अपने पति के पार्थिव शरीर को अपने आंचल से धो पोंछ साफ करती।
ऐसा
करते एक वर्ष बीत गया और पुनः करवा चौथ का व्रत आया।
सभी
सुहागिनी ने इस व्रत को किया उसके सातों भाभियों ने भी व्रत किया।
एक यही
अभागिन थी जिसने अपने पति की सेवा में पूरा दिन गुजार दिया।
संध्या
के समय जब सभी भाभिया एक-एक करके अपनी ननद के पास आई और आशीर्वाद मांगने को कहा।
बहन ने सभी के पांव पकड़कर अपने पति को जीवित करने का आशीर्वाद मांगा। यह किसी
भाभी के वश में नहीं था,किंतु
बहन पागलों की तरह उनसे अपने पति के जीवन की मांग कर रही थी। अंत में छोटी भाभी आई
जिसके पति ने दीया जलाकर उसके व्रत को तुड़वाया था उसी भाभी के पैर पकड़ कर वह
विलाप करने लगी।
वह
अपने शक्ति से उसके पति को जीवित कर दें।
काफी
देर अनुनय विनय के बाद उन्होंने अपनी तर्जनी अंगुली को चीरकर अमृत का बूंद पार्थिव
शरीर के मुंह में डाला। अमृत की बूंद मुंह में जाते ही वह जीवित हो उठा और श्री गणेश,श्री गणेश करता हुआ उठ खड़ा हुआ।
इस
व्रत के करने से गौरी-शंकर स्वयं प्रसन्न होते हैं और
सुहाग की रक्षा करते हैं।
यह
व्रत सुहागिन औरतों को अवश्य करना चाहिए,इसके करने से उन्हें सुहाग के
साथ-साथ धन-धान्य और सुख समृद्धि की भी प्राप्ति होती है।
2. गणेश भगवान और बुढ़िया की
कहानी
( Karwa chauth ki kahani ganesh
ji )
उत्तर भारत के एक छोटे से गांव में एक गरीब बुढ़िया अपने बेटे और बहू के साथ रहती थी। वह आंखों से देख नहीं पाती थी। वह जन्म से ही अंधी(दृष्टिहीन) थी।
उसका
परिवार बेहद ही अभावग्रस्त स्थिति में था। दो वक्त का खाना भी ठीक से नसीब ना हुआ
करता था। बुढ़िया श्री गणेश महाराज की बचपन से ही भक्त थी। उसे विश्वास था उसके
जीवन में जो कुछ हो रहा है
उसके
ईश्वर को सब पता है। अगर वह दुख सह रही है तो उसमें उसके ईश्वर की इच्छा है।
ईश्वर
की इच्छा मानकर वह अभी तक उनकी भक्ति करती आ रही थी।
बुढ़िया
की भक्ति से प्रसन्न होकर गणेश जी उनके समक्ष प्रस्तुत होते हैं
और कहते हैं। माता! तूने मेरी जीवन भर सच्चे मन से भक्ति की है,मैं तेरी भक्ति से प्रसन्न
हूं, मैं
मनोवांछित वर देने के लिए आया हूं
तुम्हें
जो मांगना है वह मुझसे मांग सकती हो।
बुढिया
अपने जीवन के अंतिम दिन गिन रही थी,अर्थात जीवन के अंतिम पड़ाव
पर थी।
ऐसे
में उसने गणेश जी से कहा – मैंने
अपना सारा जीवन तो जी लिया है,मुझे किसी और इच्छा की चाह नहीं है।
गणेश
जी ने कहा तुम अपने बेटे-बहू से पूछ कर मांग लो।
बुढ़िया
ने अपने बेटे से पूछा तो उसने गरीबी दूर करने के लिए खूब सारा धन मांगने के लिए
कहा। बहू से पूछा तो उसने एक सुंदर,सुयोग्य पोता मांगने के लिए
कहा। वह विवाह के तीन वर्ष बाद भी संतान सुख को प्राप्त नहीं कर पाई थी।
बुढ़िया
ने आस-पड़ोस के लोगों से पूछा तो उन्होंने बताया
बुढ़ापे
का शरीर है धन-धान्य मांगने से क्या होगा जीवित ही कितने दिन रहना है। पोता भी
मांगती हो तो उससे तुम्हें क्या सुख ? इससे बढ़िया अपनी आंखें मांग
लो,तो
कितने दिन जीवित रहोगी कम से कम संसार को देख लोगी।
बुढिया
काफी देर विचार-विमर्श के बाद अपने प्रभु से मांगने के लिए पहुंचती है
हे
प्रभु ! अगर आप मुझसे प्रसन्न है और मुझे मनोवांछित वर देना ही चाहते हैं तो –
मुझे
नौ करोड़ की माया,निरोगी
काया,अमर
सुहाग,आंखों
की रोशनी,नाती-पोते
और परिवार में सुख-समृद्धि धन-धान्य तथा अंतिम समय में मोक्ष प्रदान करें।
गणेश
जी मुस्कुराते हुए तथाअस्तु कहते हुए बुढ़िया माई की प्रशंसा करने लगे।
धन्य है
माई तूने एक ही सांस में सब कुछ मांग लिया जिसके लिए बड़े-बड़े तपस्वी तब करते
हैं। तूने एक क्षण में प्राप्त कर लिया।
मैं
तुम्हें मनोवांछित फल देने को वचनबद्ध था इसलिए तुम्हें वह सब प्रदान करता हूं,
ऐसा
कहते हुए गणेश भगवान अंतर्ध्यान हो गए।
करवा चौथ का व्रत क्यों किया
जाता है ?
मान्यता
के अनुसार करवा चौथ का व्रत सुहागन अपने पति के लंबी आयु और अपना गृहस्थ सुखद
पूर्वक चल सके इसके लिए करती हैं।
अपने
परिवार और सुहाग पर किसी प्रकार की आंच ना आए इसके लिए वह निर्जला उपवास रखकर
ईश्वर
की आराधना करती है। रात्रि के समय चांद को साक्षी मानकर अपना व्रत खोलती है तथा अपने
सुहाग
की
स्वस्थ और दीर्घायु होने की कामना करती हैं।
इन
व्रत की शक्तियों से सुहागन औरतें कई ऐसे दुर्लभ कार्य भी कर जाती है जो साधारण
मनुष्य के लिए दुष्कर होता है।
अकाल
मृत्यु और असमय हुई घटना में हानी के विरुद्ध वह ईश्वर की सत्ता को भी चुनौती देती
है।
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