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भवानी प्रसाद मिश्र का जीवन परिचय – Bhavani Prasad Mishra Ka Jeevan Parichay |
भवानी प्रसाद मिश्र का जीवन परिचय –
Bhavani Prasad Mishra Ka Jeevan Parichay
भवानी प्रसाद मिश्र हिन्दी के
बहुत ही प्रसिद्ध कवियों में से एक थे। वो दूसरे तार – सप्तक
के एक प्रमुख कवि हैं।उनका जन्म 29 मार्च 1913 ई को होशंगाबाद, मध्य प्रदेश के टिगरिया गाँव में
हुआ था।
शिक्षा :
उनकी प्रारम्भिक शिक्षा सोहागपुर, होशंगाबाद , नरसिंहपुर एवं जबलपुर में हुई। आगे की पढ़ाई के लिए उन्होंने
हिन्दी, अँग्रेजी एवं संस्कृत चुना और
बी.ए. की पढ़ाई पूरी की । बाद में उन्होंने एक स्कूल खोल लिया।
गांधीवादी विचारक:
वो एक गांधीवादी विचारक थे इसलिए उनके संस्कार, विचार, कार्य सब गांधीवादी थे। उनके
गांधीवाद की झलक उनकी कविताओं में स्वच्छंदता और नैतिकता के रूप में देखी जा सकती
है।
1942 में उनको गिरफ्तार कर लिया गया उन्होंने सात वर्ष जेल में बिताए और 1949 में जेल से बाहर आए। उसके बाद चार-पाँच साल उन्होंने महिलाश्रम वर्धा
में शिक्षक के तौर पर बिताए।
कविता संग्रह:
नियमित रूप से उन्होंने कविताएं लिखना लगभग 1930 ई से प्रारम्भ किया। ‘कर्मवीर’ , ‘हंस’, ‘दूसरा सप्तक ‘ में उनकी कवितायें प्रकाशित होने लगीं। उनका प्रथम संग्रह था ‘ गीत फ़रोश ‘ जो कि अत्यन्त लोकप्रिय रहा और उस लोकप्रियता का कारण रहा उसकी नयी शैली और नया पाठ-प्रवाह। ‘चकित है दुःख’ ‘गांधी पंचशती’ ‘बुनी हुई रस्सी’ ‘तुम आते हो’ ‘त्रिकाल संध्या’ आदि उनकी प्रमुख रचनाएँ थीं। 1972 में उन्हें ‘साहित्य अकादमी पुरस्कार’ दिया गया। 1981 में उन्हें उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान का ‘साहित्यकार सम्मान’ दिया गया।
सम्मान :
1983 में उन्हें ‘शिखर सम्मान’ दिया गया। उन्होंने चित्रपट के
लिए संवाद लेखन एवं संवाद निर्देशन का काम भी किया। वे आकाशवाणी के प्रोड्यूसर भी
हुए। बाद में वे दिल्ली भी गए और उन्होंने आकाशवाणी में काम किया । 1985 ई में परिवारजनों के बीच मध्य प्रदेश में उनकी मृत्यु हो गयी।
भवानी प्रसाद मिश्र का जीवन परिचय – Bhavani Prasad Mishra Ka Jeevan Parichay
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