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रामप्पा मंदिर-तेलंगाना/800-Year-Old-Ramappa-Temple/Ramappa-Temple |
रामप्पा मंदिर-तेलंगाना (800-Year-Old-Ramappa-Temple)
रामप्पा मंदिर, जिसे रुद्रेश्वर (भगवान शिव) मंदिर के नाम से भी
जाना जाता है, दक्षिण
भारत में तेलंगाना राज्य में स्थित एक यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है। यह वारंगल से 66 किमी, मुलुगुसे 15
किमी और हैदराबाद से 209 किमी की दूरी पर स्थित है। यह
मुलुगु जिले के वेंकटपुर मंडल के पालमपेट गांव की घाटी में स्थित है। हालांकि अब
यह एक छोटा सा गांव है लेकिन 13वीं और 14वीं शताब्दी के काल में इसका एक गौरवशाली इतिहास रहा है।
मंदिर के परिसर में उपस्थित एक शिलालेख के अनुसार इसका निर्माण वर्ष 1213 ईस्वी में काकतीय शासक गणपति
देव के शासनकाल के दौरान उनके एक सेनापति रेचारला रुद्र देव ने करवाया था।
मंदिरों की आकाशगंगा में सबसे चमकीला तारा-(Ramappa-Temple)
रामप्पा मंदिर (Ramappa-Temple)
एक
शिवालय है, जहां
भगवान रामलिंगेश्वर की पूजा की जाती है। कथित तौर पर, मार्को पोलो ने काकतीय साम्राज्य की अपनी
यात्रा के दौरान इस मंदिर को "मंदिरों की आकाशगंगा का सबसे चमकीला तारा"
कहा था। रामप्पा मंदिर 6 फुट ऊंचे तारे के आकार के
चबूतरे पर भव्य रूप से खड़ा है। गर्भगृह के सामने के कक्ष में कई
नक्काशीदार स्तंभ हैं जिनकी अवस्थिति इस प्रकार रखी गई है कि यह मिलकर प्रकाश और
अंतरिक्ष को अद्भुत रूप से जोड़ने का प्रभाव उत्पन्न करते हैं। मंदिर का नाम इसके
मूर्तिकार रामप्पा के नाम पर रखा गया है, और शायद यह भारत का एकमात्र
मंदिर है जिसका नाम उस शिल्पकार के नाम पर रखा गया है जिसने इसे बनाया था।
रामप्पा मंदिर (Ramappa-Temple) की मुख्य संरचना का निर्माण तो लाल बलुआ पत्थर
से किया गया है, लेकिन
बाहर के स्तंभों को लौह, मैग्नीशियम
और सिलिका से समृद्ध काले बेसाल्ट के बड़े पत्थरों से बनाया गया है। मंदिर पर
पौराणिक जानवरों और महिला नर्तकियों या संगीतकारों की आकृतियों को उकेरा गया है, और यह "काकतीय कला की
उत्कृष्ट कृतियाँ हैं, जो अपनी
महीन नक्काशी, कामुक
मुद्राओं और लम्बे शरीर और सिर के लिए विख्यात हैं"।
रामप्पा मंदिर (Ramappa-Temple)
काकतियों के मंदिर
परिसरों की विशिष्ट शैली,
तकनीक और सजावट, मूर्तिकला के प्रभाव की अभिव्यक्ति है और
काकतीयों की रचनात्मक प्रतिभा का प्रमाण प्रस्तुत करती है । मंदिर छह 6 ऊंचे तारे जैसे मंच
पर खड़ा है, जिसमें दीवारों, स्तंभों
और छतों पर जटिल नक्काशी से सजावट की गई है, जो काकतीय
मूर्तिकारों के अद्वितीय कौशल को प्रमाणित करती है ।
रामप्पा मंदिर (Ramappa-Temple)
को 2019 में यूनेस्को की विश्व धरोहर
स्थल की प्रस्तावित "अस्थायी सूची" में "द ग्लोरियस काकतीय मंदिर
और गेटवे (गौरवशाली काकतीय मंदिर और प्रवेश द्वार)" के रूप में शामिल किया
गया था।
प्रस्ताव
को 10 सितंबर 2020 को यूनेस्को के समक्ष प्रस्तुत किया गया। 25 जुलाई 2021 को, मंदिर को "काकतीय
रुद्रेश्वर (रामप्पा) मंदिर, तेलंगाना" के रूप में विश्व विरासत स्थल के रूप में
शामिल किया गया।
यूरोपीय व्यापारी और यात्री रामप्पा मंदिर (Ramappa-Temple)
की सुंदरता से
मंत्रमुग्ध थे और ऐसे ही एक यात्री ने उल्लेख किया था कि मंदिर दक्कन के मध्ययुगीन
मंदिरों की आकाशगंगा में सबसे चमकीला तारा है । विश्व धरोहर स्थलों की सूची के लिए भारत के
नामांकन में रामप्पा मंदिर (Ramappa-Temple)
को शामिल कराने के
लिए 2010 से तेलंगाना राज्य पुरातत्व विभाग और एएसआई के
साथ मिलकर इसका प्रस्ताव देने वाला एक डोजियर तैयार कर रहे थे।
कोविड-19 महामारी के कारण, संयुक्त
राष्ट्र शैक्षणिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (UNESCO) की विश्व विरासत समिति की बैठक 2020 में आयोजित नहीं की जा सकी थी और 2020 और 2021 के
नामांकनों पर ऑनलाइन बैठक की एक श्रृंखला में चर्चा की जा रही है। सरकार ने 2019 के लिए
यूनेस्को को रामप्पा मंदिर (Ramappa-Temple)
विश्व धरोहर स्थल के तौर पर मान्यता देने का
प्रस्ताव दिया था ।
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