डॉ. के. के. अग्रवाल

डॉ. के. के. अग्रवाल


देश में कोविड-19 महामारी में एक रोशनी एवं उम्मीद बने डॉ. के.के. अग्रवाल ने आखिर स्वयं कोरोना संक्रमण से अपनी जान गंवा दी है। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य-सेवा का अनूठा इतिहास रचते-रचते 17 मई 2021 को उनका निधन हो गया, उनका निधन न केवल चिकित्सा जगत के लिये, बल्कि राष्ट्र एवं समाजसेवा के क्षेत्र लिये एक बड़ा आघात है, अपूरणीय क्षति है। चिकित्सा जगत के उज्ज्वल नक्षत्र, जनसेवा और स्वास्थ्य जागरूकता के पुरोधा के निधन को हम एक युग की समाप्ति कह सकते हंै। वे असंख्य लोगों के जीवन रक्षक बने, कोरोना महामारी में अग्रणी योद्धा के रूप में उन्होंने अनेक लोगों की जीवन-रक्षा की। वे राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में स्वास्थ्य-क्रांति के जनक थे। कोविड महामारी के दौरान उन्होंने कई वीडियो और शैक्षिक कार्यक्रमों के माध्यम से जनता को जागरूक करने और 10 करोड़ से अधिक लोगों तक कोरोना रक्षा के सूत्र पहुंचाने का कीर्तिमान स्थापित किया। एक हृदय रोग विशेषज्ञ के साथ डॉ. अग्रवाल हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया के प्रमुख भी थे। कोरोना संक्रमित होने के बाद उन्हें नई दिल्ली के अखिल भारत आयुरोलॉजी संस्थान में इलाज के लिए भर्ती कराया गया था, जहां वे पिछले सप्ताह से वेंटीलेटर की मदद से जिन्दगी और मौत के बीच संघर्ष करते हुए आखिरकार 62 साल की उम्र में उन्होंने अपनी जान दे दी है।


डॉ. कृष्ण कुमार अग्रवाल यानी डॉ. के.के. अग्रवाल का जन्म 5 सितम्बर 1958 नई दिल्ली में पिता श्री कीमतराय अग्रवाल और मां श्रीमती सत्यवती अग्रवाल के यहां हुआ। आपकी धर्मपत्नी डॉ. वीना अग्रवाल एवं दो बच्चे निलेश और नैना है। आपको 2010 में मेडिकल क्षेत्र में योगदान के लिए भारत सरकार की तरफ से पद्मश्री से सम्मानित किया गया था। डॉ. अग्रवाल ने 1979 में नागपुर यूनिवर्सिटी से एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद इसी विश्वविद्यालय से 1983 में एमएस की डिग्री हासिल की। दिल्ली के दरियागंज में प्रारभिक शिक्षा हासिल की। साल 2005 में डॉ. के.के. अग्रवाल को डॉ. बीसी रॉय पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है, यह पुरस्कार मेडिकल के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए दिया जाता है। उन्हें चिकित्सा से जुड़े अनेक राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के पुरस्कारों से नवाजा गया। वे राष्ट्रीय विज्ञान संचार पुरस्कार से भी सम्मानित हुए। उनका हिन्दी भाषा के प्रति विशेष रुझान रहा एवं उसकी समृद्धि एवं प्रतिष्ठा के लिये व्यापक प्रयत्न किये, उनकी हिन्दी के प्रति की गयी उल्लेखनीय सेवाओं के लिये विश्व हिंदी सम्मान भी प्रदत्त किया गया। उन्होंने पुरातन वैदिक दवाओं और आधुनिक दवाओं के मेलजोल को लेकर कई किताबें लिखी हैं। डॉ अग्रवाल प्रतिभा से भरपूर बहुआयामी व्यक्तित्व थे। वह सीनियर फिजिशियन, कार्डियोलॉजिस्ट और माइंड बॉडी कंसल्टेंट और एक विश्व स्तरीय क्लिनिकल इको कार्डियोग्राफर, लेखक, एंकर, वक्ता, स्तंभकार, स्वास्थ्य संचारक, सामाजिक कार्यकर्ता, शिक्षक, प्रशिक्षक एवं मोटीवेटर थे। उन्होंने आध्यात्मिक चिकित्सा में भी प्रशिक्षण प्राप्त किया और 1988 में सैन डिएगो से डॉ. दीपक चोपड़ा के अधीन एक प्रमाणित ध्यान शिक्षक बन गए।

डॉ. के.के. अग्रवाल के जीवन की कोशिश रही कि लोग उनके होने को महसूस ना करें। बल्कि उन्होंने काम इस तरह किया कि लोग तब याद करें, जब वे उनके बीच में ना हों। इस तरह उन्होंने अपने जीवन को एक नया आयाम दिया और जनता के दिलों पर छाये रहे। उनका व्यक्तित्व एक ऐसा आदर्श व्यक्तित्व हैं जिन्हें चिकित्सा, समाजसेवा और सुधारवाद का अक्षय कोश कहा जा सकता है। उनका आम व्यक्ति से सीधा संपर्क रहा। यही कारण है कि आपके जीवन की दिशाएं विविध एवं बहुआयामी रही हैं। डाॅक्टरी पेशे से जुड़े होने के बावजूद आपके जीवन की धारा एक दिशा में प्रवाहित नहीं हुई, बल्कि जीवन की विविध दिशाओं का स्पर्श किया। यही कारण है कि कोई भी महत्त्वपूर्ण क्षेत्र एवं कोई भी महत्वपूर्ण चिकित्सा-पद आपके जीवन से अछूता रहा हो, संभव नहीं लगता। आपके जीवन की खिड़कियाँ राष्ट्र एवं समाज को नई दृष्टि देने के लिए सदैव खुली रही। इन्हीं खुली खिड़कियों से आती ताजी हवा के झोंकों का अहसास भारत की जनता सुदीर्घ काल तक करती रहेगी।


सार्वजनिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी डॉ. के.के. अग्रवाल ने नये-नये प्रयोग एवं अनुष्ठान किये। आपने स्वास्थ्य जागरूकता के क्षेत्र में राष्ट्र को कई मौलिक एवं अभिनव सार्वजनिक स्वास्थ्य मॉड्यूल दिए हैं। उन्होंने 1991 में पहली बार परफेक्ट हेल्थ मेला का शुभारंभ किया जो दिल्ली में नियमित आयोजित हो रहा है। रन फॉर योर हार्टकी अवधारणा भी उन्होंने दी और हार्ट के मजबूत बनाने के लिये दिल्ली की जनता को खूब दौडाया। इन दोनों अवसरों पर भारत सरकार ने राष्ट्रीय डाक स्मारक टिकट जारी किया। उन्होंने 1993 में दिल्ली प्रशासन के साथ मिलकर तालकटोरा गार्डन में परफेक्ट हेल्थ मेला आयोजित किया जिसे बीबीसी ने एशिया में सर्वश्रेष्ठ कार्यक्रम स्वास्थ्य घोषित किया था। भारत सरकार ने बाद में राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति के तहत इस मॉड्यूल को अपनाया। लाॅयन क्लब नई दिल्ली अलकनंदा की अध्यक्ष रही डाॅ. चंचलपाल ने क्लब के स्वास्थ्य-कार्यक्रमों में उनकी सन्निधि का लाभ दिया। दोनों ही मूलचन्द अस्पताल से जुड़े होने से यह संभव हो पाया।


डॉ. के.के. अग्रवाल एक प्रेरणास्पद एवं रचनात्मक लेखक और चिकित्सा पत्रकारिता में अग्रणी रहें। स्वास्थ्य जागरूकता एवं भारतीय संस्कृति के अनुरूप आध्यात्मिक-योगमय जीवन के लिये उन्होंने समाचार पत्रों और पत्रिकाओं में जीवंत एवं प्रखर लेखों से योगदान दिया है और स्वास्थ्य पर रेडियो और टीवी वार्ताओं में लगाचार एवं बढ़-चढ़कर भाग लिया है। वह स्वास्थ्य के क्षेत्र में सबसे अधिक उद्धृत डॉक्टरों में से एक हैं।  वे एक बहुमुखी उपचारक और एक अध्यात्म उपदेशक थे। उन्होंने चिकित्सा की सभी प्रणालियों को बढ़ावा दिया। उन्होंने सन् 2000 में अपोलो अस्पताल में समग्र चिकित्सा विभाग की स्थापना की। वे नवभारत टाइम्स के कल्पवृक्ष और आनंद योग स्तंभ  और दैनिक जागरण के आध्यात्मिक काॅलम में नियमित रूप से लिखते थे। डीडी न्यूज पर बॉडी माइंड एंड सोलपर 52 एपिसोड का एक प्रभावी एवं जीवनोपयोग सिरियल का निर्माण और सह-निर्देशन किया। अनेक प्रमुख एवं राष्ट्रीय टीवी चैनलस् पर वे उत्तम स्वास्थ्य के लिये सलाह देते रहे। उन्होंने हम हैं राही प्यार के’, ‘कर्म योद्धाजैसी फिल्मों के साथ स्वास्थ्य जागरूकता पैदा करने के लिए फिल्म प्रीमियर का उपयोग किया।


डॉ. के.के. अग्रवाल ने एक कर्मयोगी की भांति जीवन जीया। वे स्वास्थ्य-सेवा के क्षेत्र के दुर्लभ व्यक्तित्व थे। उदात्त संस्कार, लोकजीवन से इतनी निकटता, इतनी सादगी-सरलता, इतना संस्कृतिप्रेम, इतना समाजसेवा का संस्कार और इतनी सचाई से समाज निर्माण के संकल्प ने उनके व्यक्तित्व को बहुत और बहुत ऊँचा बना दिया था। वे अन्तिम साँस तक देश की सेवा करते रहे। उनका निधन एक राष्ट्रवादी स्वास्थ्य-सोच के सेवाआयाम का अंत है। वे सिद्धांतों एवं आदर्शों पर जीने वाले व्यक्तियों की श्रृंखला के प्रतीक थे। उनके जीवन से जुड़ी सेवाभावना, विधायक धारणा और यथार्थपरक सोच ऐसे शक्तिशाली हथियार थे जिसका वार कभी खाली नहीं गया। वे सबके प्रिय एवं चेहते थे। जरूरतमंदों की सहायता करते हुए, नये स्वास्थ्य-आयामों को गढ़ते हुए, मुस्कराते हुए और हंसते हुए छोटों से स्नेहपूर्ण व्यवहार और हम उम्र लोगों से बेलौस हंसी-मजाक करने वाले डॉ. अग्रवाल की जिंदगी प्रेरक, अनूठी एवं विलक्षण इस मायने में मानी जाएगी कि उन्होंने जिंदगी के सारे सरोकारों को छुआ। वे समाजसेवी थे तो उन्होंने पर्यावरण व संस्कृति उत्थान की भी अलख जगायी। वे दिल्ली की जनता के लिए हमेशा सुलभ रहते थे। उन्होंने युवावस्था से ही काफी लगन और सेवा भाव से समाज की सेवा की। वे नंगे पांव चलने वाले एवं लोगों के दिलों पर राज करने वाले समाजसेवियों में थे, उनके दिलो-दिमाग में दिल्ली एवं वहां की जनता हर समय बसी रहती थी। निराशा, अकर्मण्यता, असफलता और उदासीनता के अंधकार को उन्होंने अपने आत्मविश्वास और जीवन के आशा भरे दीपों से पराजित किया। वे चिकित्सा-जगत के एक रत्न थे। उन्होंने हमेशा अच्छे मकसद के लिए काम किया, तारीफ पाने या पद के लिए नहीं। खुद को जाहिर करने के लिए जीवन जीया, दूसरों को खुश करने के लिए नहीं। उन्होंने देश में जो स्वास्थ्य-सेवा का रचनात्मक सृजनात्मक संसार रचा, उनकी रोशनी युग-युगों तक पथ-दर्शन करती रहेगी।