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वाक्य की परिभाषा, भेद और उदाहरण |
Vakay in Hindi- वाक्य – वाक्य की परिभाषा, भेद और
उदाहरण : हिन्दी व्याकरण
भाषा हमारे भावों-विचारों की अभिव्यक्ति का
माध्यम है। भाषा की रचना वर्णों, शब्दों और वाक्यों
से होती है। दूसरे शब्दों में वर्णों से शब्द, शब्दों से वोक्य और
वाक्यों से भाषा का निर्माण हुआ है। इस प्रकार वाक्य शब्दों के समूह का नाम है, लेकिन सभी प्रकार के शब्दों को एक स्थान पर रखकर
वाक्य नहीं बना सकते हैं।
वाक्य की परिभाषा शब्दों का वह व्यवस्थित रूप
जिसमें एक पूर्ण अर्थ की प्रतीति होती है, वाक्य कहलाता है।
आचार्य विश्वनाथ ने अपने ‘साहित्यदर्पण’ में लिखा है
“वाक्यं स्यात्
योग्यताकांक्षासक्तियुक्तः पदोच्चयः।”
अर्थात् योग्यता, आकांक्षा, आसक्ति से युक्त पद समूह को वाक्य कहते हैं।
वाक्य के तत्त्व
वाक्य के तत्त्व निम्न हैं-
1. सार्थकता- सार्थकता वाक्य का प्रमुख गुण है। इसके लिए
आवश्यक है कि वाक्य में सार्थक शब्दों का ही प्रयोग हो, तभी वाक्य भावाभिव्यक्ति के लिए सक्षम होगा; जैसे-राम रोटी पीता है।। यहाँ ‘रोटी पीना’ सार्थकता का बोध
नहीं कराता, क्योंकि रोटी खाई जाती है। सार्थकता की दृष्टि से
यह वाक्य अशुद्ध माना जाएगा। सार्थकता की दृष्टि से सही वाक्य होगा-राम रोटी खाता
है। इस वाक्य को पढ़ते ही पाठक के मस्तिष्क में वाक्य की सार्थकता उपलब्ध हो जाती
है। कहने का आशय है कि वाक्य का यह तत्त्व वाक्य रचना की दृष्टि से अनिवार्य है।
इसके अभाव में अर्थ का अनर्थ सम्भव है।
2. क्रम- क्रम से तात्पर्य है-पदक्रम। सार्थक शब्दों को
भाषा के नियमों के अनुरूप क्रम में रखना चाहिए। वाक्य में शब्दों के अनुकूल क्रम
के अभाव में अर्थ का अनर्थ हो जाता है; जैसे-नाव में नदी
है। इस वाक्य में सभी शब्द सार्थक हैं, फिर भी क्रम के अभाव
में वाक्य गलत है। सही क्रम करने पर नदी में नाव है वाक्य बन जाता है, जो शुद्ध है।
3. योग्यता- वाक्य में सार्थक शब्दों के भाषानुकूल क्रमबद्ध
होने के साथ-साथ उसमें योग्यता अनिवार्य तत्त्व है। प्रसंग के अनुकूल वाक्य में
भावों का बोध कराने वाली योग्यता या क्षमता होनी चाहिए। इसके अभाव में वाक्य
अशुद्ध हो जाता है; जैसे-हिरण उड़ता है। यहाँ पर हिरण और उड़ने की
परस्पर योग्यता नहीं है, अत: यह वाक्य अशुद्ध है। यहाँ पर उड़ता के स्थान
पर चलता या दौड़ता लिखें तो वाक्य शुद्ध हो जाएगा।
4. आकांक्षा- आकांक्षा का अर्थ है-श्रोता की जिज्ञासा। वाक्य
भाव की दृष्टि से इतना पूर्ण होना चाहिए कि भाव को समझने के लिए कुछ जानने की
इच्छा या आवश्यकता न हो, दूसरे शब्दों में, किसी
ऐसे शब्द या समूह की कमी न हो जिसके बिना अर्थ स्पष्ट न होता हो। उदाहरण के लिए
कोई व्यक्ति हमारे सामने आए और हम केवल उससे ‘तुम’ कहें तो वह कुछ भी नहीं समझ पाएगा। यदि कहें कि
अमुक कार्य करो तो वह पूरी बात समझ जाएगा। इस प्रकार वाक्य का आकांक्षा तत्त्व
अनिवार्य है।
5. आसक्ति- आसक्ति
का अर्थ है-समीपता। एक पद सुनने के बाद उच्चारित अन्य पदों के सुनने के समय में
सम्बन्ध, आसक्ति कहलाता है। यदि उपरोक्त सभी बातों की
दृष्टि से वाक्य सही हो, लेकिन किसी वाक्य का एक शब्द आज, एक कल और एक परसों कहा जाए तो उसे वाक्य नहीं कहा
जाएगा। अतएव वाक्य के शब्दों के उच्चारण में समीपता होनी चाहिए। दूसरे शब्दों में, पूरे वाक्य को एक साथ कहा जाना चाहिए।
6. अन्वय- अन्वय का अर्थ है कि पदों में व्याकरण की दृष्टि से लिंग, पुरुष, वचन, कारक आदि का सामंजस्य होना चाहिए। अन्वय के अभाव
में भी वाक्य अशुद्ध हो जाता है। अत: अन्वय भी वाक्य का महत्त्वपूर्ण तत्त्व है; जैसे-नेताजी का लड़का का हाथ में बन्दूक था। इस
वाक्य में भाव तो स्पष्ट है लेकिन व्याकरणिक सामंजस्य नहीं है। अत: यह वाक्य
अशुद्ध है।यदि इसे नेताजी के लड़के के हाथ में बन्दूक थी, कहें तो वाक्य व्याकरणिक दृष्टि से शुद्ध होगा।
वाक्य के अंग- वाक्य के अंग निम्न प्रकार हैं-
1. उद्देश्य- वाक्य
में जिसके बारे में कुछ बताया जाता है, उसे उद्देश्य कहते
हैं;
जैसे-
राम खेलता है। (राम-उद्देश्य)
श्याम दौड़ता है।
(श्याम-उद्देश्य)
उपरोक्त वाक्यों में
राम और श्याम के विषय में बताया गया है। अत: राम और श्याम यहाँ उद्देश्य रूप में
प्रयुक्त हुए हैं।
2. विधेय- वाक्य
में उद्देश्य के बारे में जो कुछ कहा जाता है, उसे विधेय कहते हैं;
जैसे-
बच्चे फल खाते हैं।
(फल खाते हैं-विधेय)
राहुल क्रिकेट मैच
देख रहा है। (क्रिकेट मैच देख रहा है-विधेय)
उपरोक्त वाक्यों में फल खाते हैं और क्रिकेट मैच
देख रहा है वाक्यांश क्रमशः बच्चे तथा राहुल के बारे में कहे गए हैं। अतः
स्थूलांकित वाक्यांश विधेय रूप में प्रयुक्त हुए हैं।
वाक्यों का वर्गीकरण
वाक्यों का वर्गीकरण
दो आधारों पर किया गया है
1. रचना के आधार पर
रचना के आधार पर
वाक्य तीन प्रकार के होते हैं-
(i) सरल
वाक्य- वे वाक्य जिनमें एक उद्देश्य तथा एक विधेय हो।
सरल या साधारण वाक्य कहलाते हैं। जैसे-श्याम खाता है। इस वाक्य में एक ही कर्ता
(उद्देश्य) तथा एक ही क्रिया (विधेय) है। अत: यह वाक्य सरल या साधारण वाक्य है।
(ii) मिश्र
वाक्य- वे वाक्य, जिनमें एक साधारण
वाक्य हो तथा उसके अधीन या आश्रित दूसरा उपवाक्य हो, मिश्र
वाक्य कहलाते हैं। जैसे-श्याम ने लिखा है, कि वह कल आ रहा है।
वाक्य में श्याम ने लिखा है-प्रधान उपवाक्य, वह कल आ रहा है
आश्रित उपवाक्य है तथा दोनों समुच्चयबोधक अव्यय ‘कि’ से जुड़े हैं, अत: यह मिश्र वाक्य
है।
(iii) संयुक्त
वाक्य- वे वाक्य, जिनमें एक से अधिक
प्रधान उपवाक्य हों (चाहे वह मिश्र वाक्य हों या साधारण वाक्य) और वे संयोजक
अव्ययों द्वारा जुड़े हों,
संयुक्त वाक्य कहलाते हैं। जैसे-वह लखनऊ
गया और शाल ले आया। इस वाक्य में दोनों ही प्रधान उपवाक्य हैं तथा और संयोजक
द्वारा जुड़े हैं। अत: यह संयुक्त वाक्य है।
रचना के आधार पर
वाक्य के भेद एवं उनकी पहचान नीचे दी गई तालिकानुसार समझी जा सकती है।
2. अर्थ के आधार पर - अर्थ के
आधार पर वाक्य आठ प्रकार के होते हैं-
(i) विधिवाचक वाक्य- वे वाक्य जिनसे किसी बात या कार्य के होने का
बोध होता है, विधिवाचक वाक्य कहलाते हैं;
जैसे-
श्याम आया।
तुम लोग जा रहे हो।
(ii) निषेधवाचक वाक्य- वे वाक्य, जिनसे किसी बात या
कार्य के न होने अथवा इनकार किए जाने का बोध होता है, निषेधवाचक वाक्य कहलाते हैं;
जैसे-
राम नहीं पढ़ता है।
मैं यह कार्य नहीं
करूँगा आदि।
(iii) आज्ञावाचक वाक्य- वे वाक्य, जिनसे किसी प्रकार
की आज्ञा का बोध होता है,
आज्ञावाचक वाक्य कहलाते हैं;
जैसे-
श्याम पानी लाओ।
यहीं बैठकर पढ़ो
आदि।
(iv) विस्मयवाचक वाक्य- वे वाक्य जिनसे किसी प्रकार का विस्मय, हर्ष, दुःख, आश्चर्य आदि का बोध होता है, विस्मयवाचक वाक्य कहलाते हैं;
जैसे-
अरे! वह उत्तीर्ण हो
गया।
अहा! कितना सुन्दर
दृश्य है आदि।
(v) सन्देहवाचक वाक्य- वे वाक्य, जिनसे किसी प्रकार
के सन्देह या भ्रम का बोध होता है, सन्देहवाचक वाक्य
कहलाते हैं;
जैसे-
वह अब जा चुका होगा।
महेश पढ़ा-लिखा है
या नहीं आदि।
(vi) इच्छावाचक वाक्य- वे वाक्य, जिनसे किसी प्रकार
की इच्छा या कामना का बोध होता है, इच्छावाचक वाक्य
कहलाते हैं;
जैसे-
ईश्वर आपकी यात्रा
सफल करे।
आप जीवन में उन्नति
करें।
आपका भविष्य उज्ज्वल
हो आदि।
(vii) संकेतवाचक वाक्य - वे वाक्य, जिनसे किसी प्रकार
के संकेत या इशारे का बोध होता है, संकेतवाचक वाक्य
कहलाते हैं;
जैसे-
जो परिश्रम करेगा वह
सफल होगा।
अगर वर्षा होगी तो
फसल भी अच्छी होगी आदि।
(viii) प्रश्नवाचक वाक्य- वे वाक्य, जिनसे किसी प्रश्न
के पूछे जाने का बोध होता है, प्रश्नवाचक वाक्य
कहलाते हैं;
जैसे-
आपका क्या नाम है?
तुम किस कक्षा में
पढ़ते हो? आदि।
उपवाक्य
जिन क्रियायुक्त
पदों से आंशिक भाव व्यक्त होता है, उन्हें उपवाक्य कहते
हैं;
जैसे-
यदि वह कहता
यदि मैं पढ़ता
यद्यपि वह अस्वस्थ
था आदि।
उपवाक्य के भेद
उपवाक्य के दो भेद
होते हैं जो निम्न हैं
1. प्रधान उपवाक्य
जो उपवाक्य पूरे
वाक्य से पृथक् भी लिखा जाए तथा जिसका अर्थ किसी दूसरे पर आश्रित न हो, उसे प्रधान उपवाक्य कहते हैं।
2. आश्रित उपवाक्य
आश्रित उपवाक्य प्रधान उपवाक्य के बिना पूरा अर्थ
नहीं दे सकता। यह स्वतंत्र लिखा भी नहीं जा सकता; जैसे—यदि सोहन आ जाए तो मैं उसके साथ चलूँ। यहाँ यदि
सोहन आ जाए-आश्रित उपवाक्य है तथा मैं उसके साथ चलूँ-प्रधान उपवाक्य है।
आश्रित उपवाक्यों को पहचानना अत्यन्त सरल है। जो
उपवाक्य कि, जिससे कि, ताकि, ज्यों ही, जितना, ज्यों, क्योंकि, चूँकि, यद्यपि, यदि, जब तक, जब, जहाँ तक, जहाँ, जिधर, चाहे, मानो, कितना भी आदि शब्दों से आरम्भ होते हैं वे आश्रित
उपवाक्य हैं। इसके विपरीत,
जो उपवाक्य इन शब्दों से आरम्भ नहीं होते
वे प्रधान उपवाक्य हैं।
आश्रित उपवाक्य तीन प्रकार के होते हैं।
जिनकी पहचान निम्न
प्रकार से की जा सकती है
संज्ञा उपवाक्य
संज्ञा उपवाक्य का प्रारम्भ कि से होता है।
विशेषण उपवाक्य
विशेषण उपवाक्य का प्रारम्भ जो अथवा इसके किसी रूप (जिसे, जिसको, जिसने, जिनको आदि) से होता है।
क्रिया विशेषण
उपवाक्य क्रिया-विशेषण उपवाक्य का प्रारम्भ ‘जब’, ‘जहाँ’, ‘जैसे’ आदि से होता है।
वाक्यों का
रूपान्तरण
किसी वाक्य में अर्थ परिवर्तन किए बिना उसकी
संरचना में परिवर्तन की प्रक्रिया वाक्यों का रूपान्तरण कहलाती है। एक प्रकार के
वाक्य को दूसरे प्रकार के वाक्यों में बदलना वाक्य परिवर्तन या वाक्य रचनान्तरण
कहलाता है। वाक्य परिवर्तन की प्रक्रिया में इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि
वाक्य का केवल प्रकार बदला जाए, उसका अर्थ या काल
आदि नहीं।
वाक्य परिवर्तन करते
समय ध्यान रखने योग्य बातें-
वाक्य परिवर्तन करते
समय निम्नलिखित बातें ध्यान रखनी चाहिए
केवल वाक्य रचना
बदलनी चाहिए, अर्थ नहीं।
सरल वाक्यों को
मिश्र या संयुक्त वाक्य बनाते समय कुछ शब्द या सम्बन्धबोधक अव्यय अथवा योजक आदि से
जोड़ना। जैसे- क्योंकि, कि, और, इसलिए, तब आदि।
संयुक्त/मिश्र
वाक्यों को सरल वाक्यों में बदलते समय योजक शब्दों या सम्बन्धबोधक अव्ययों का लोप
करना।
1. सरल वाक्य से मिश्र वाक्य में परिवर्तन
लड़के ने अपना दोष
मान लिया। – (सरल वाक्य)
लड़के ने माना कि दोष उसका है। – (मिश्र वाक्य)
राम मुझसे घर आने को
कहता है। – (सरल वाक्य)
राम मुझसे कहता है कि मेरे घर आओ। – (मिश्र वाक्य)
मैं तुम्हारे साथ
खेलना चाहता हूँ। – (सरल वाक्य)
मैं चाहता हूँ कि तुम्हारे साथ खेलूँ। – (मिश्र वाक्य)
आप अपनी समस्या
बताएँ। – (सरल वाक्य)
आप बताएँ कि आपकी समस्या क्या है? – (मिश्र वाक्य)
मुझे पुरस्कार मिलने
की आशा है। – (सरल वाक्य)
आशा है कि मुझे पुरस्कार मिलेगा। – (मिश्र वाक्य)
महेश सेना में भर्ती
होने योग्य नहीं है। – (सरल वाक्य)
महेश इस योग्य नहीं है कि सेना में भर्ती
हो सके। – (मिश्र वाक्य)
राम के आने पर मोहन
जाएगा। – (सरल वाक्य)
जब राम जाएगा तब मोहन आएगा। – (मिश्र वाक्य)
मेरे बैठने की जगह
कहाँ है? – (सरल वाक्य)
वह जगह कहाँ है जहाँ मैं बै? – (मिश्र वाक्य)
मैं तुम्हारे साथ
व्यापार करना चाहता हूँ। –
(सरल वाक्य)
मैं चाहता हूँ कि तुम्हारे साथ व्यापार
करूँ। – (मिश्र वाक्य)
श्याम ने आगरा जाने
के लिए टिकट लिया। – (सरल वाक्य)
श्याम ने टिकट लिया ताकि वह आगरा जा सके। – (मिश्र वाक्य)
मैंने एक घायल हिरन
देखा। – (सरल वाक्य)
मैंने एक हिरण देखा जो घायल था। – (मिश्र वाक्य)
मुझे उस कर्मचारी की
कर्तव्यनिष्ठा पर सन्देह है। – (सरल वाक्य)
मुझे सन्देह है कि वह कर्मचारी
कर्तव्यनिष्ठ है। – (मिश्र वाक्य)
बुद्धिमान व्यक्ति
किसी से झगड़ा नहीं करता है। – (सरल वाक्य)
जो व्यक्ति बुद्धिमान है वह किसी से झगड़ा
नहीं करता है। – (मिश्र वाक्य)
यह किसी बहुत बुरे
आदमी का काम है। – (सरल वाक्य)
वह कोई बुरा आदमी है जिसने यह काम किया
है। – (मिश्र वाक्य)
न्यायाधीश ने कैदी
को हाज़िर करने का आदेश दिया। – (सरल वाक्य)
न्यायाधीश ने आदेश दिया कि कैदी हाज़िर
किया जाए। – (मिश्र वाक्य)
2. सरल वाक्य से संयुक्त वाक्य में परिवर्तन
पैसा साध्य न होकर
साधन है। – (सरल वाक्य)
पैसा साध्य नहीं है, किन्तु साधन है। – (संयुक्त
वाक्य)
अपने गुणों के कारण
उसका सब जगह आदर-सत्कार होता था। – (सरल
वाक्य)
उसमें गुण थे इसलिए उसका सब जगह
आदर-सत्कार होता था। – (संयुक्त वाक्य)
दोनों में से कोई
काम पूरा नहीं हुआ। – (सरल वाक्य)
न एक काम पूरा हुआ न दूसरा। – (संयुक्त वाक्य)
पंगु होने के कारण
वह घोड़े पर नहीं चढ़ सकता। – (सरल वाक्य)
वह पंगु है इसलिए घोड़े पर नहीं चढ़ सकता।
– (संयुक्त वाक्य)
परिश्रम करके सफलता
प्राप्त करो। – (सरल वाक्य)
परिश्रम करो और सफलता प्राप्त करो। – (संयुक्त वाक्य)
रमेश दण्ड के भय से
झठ बोलता रहा। – (सरल वाक्य)
रमेश को दण्ड का भय था, इसलिए वह झूठ बोलता रहा। – (संयुक्त वाक्य)
वह खाना खाकर सो
गया। – (सरल वाक्य)
उसने खाना खाया और सो गया। – (संयुक्त वाक्य)
उसने गलत काम करके
अपयश कमाया। – (सरल वाक्य)
उसने गलत काम किया और अपयश कमाया। – (संयुक्त वाक्य)
3. संयुक्त वाक्य से सरल वाक्य में परिवर्तन
सूर्योदय हुआ और
कुहासा जाता रहा। – (संयुक्त वाक्य)
सूर्योदय होने पर कुहासा जाता रहा। – (सरल वाक्य)
जल्दी चलो, नहीं तो पकड़े जाओगे। – (संयुक्त वाक्य)
जल्दी न चलने पर पकड़े जाओगे। – (सरल वाक्य)
वह धनी है पर लोग
ऐसा नहीं समझते। – (संयुक्त वाक्य)
लोग उसे धनी नहीं समझते। – (सरल वाक्य)
वह अमीर है फिर भी
सुखी नहीं है। – (संयुक्त वाक्य)
वह अमीर होने पर भी सुखी नहीं है। – (सरल वाक्य)
बाँस और बाँसुरी
दोनों नहीं रहेंगे। – (संयुक्त वाक्य)
न रहेगा बाँस न बजेगी बाँसुरी। – (सरल वाक्य)
राजकुमार ने भाई को
मार डाला और स्वयं राजा बन गया। – (संयुक्त वाक्य)
भाई को मारकर राजकुमार राजा बन गया। – (सरल वाक्य)
4. मिश्र वाक्य से सरल वाक्य में परिवर्तन
ज्यों ही मैं वहाँ
पहुँचा त्यों ही घण्टा बजा। – (मिश्र वाक्य)
मेरे वहाँ पहुँचते ही घण्टा बजा। – (सरल वाक्य)
यदि पानी न बरसा तो
सूखा पड़ जाएगा। – (मिश्र वाक्य)
पानी न बरसने पर सूखा पड़ जाएगा। – (सरल वाक्य)
उसने कहा कि मैं
निर्दोष हूँ। – (मिश्र वाक्य)
उसने अपने को निर्दोष बताया। – (सरल वाक्य)
यह निश्चित नहीं है
कि वह कब आएगा? – (मिश्र वाक्य)
उसके आने का समय निश्चित नहीं है। – (सरल वाक्य)
जब तुम लौटकर आओगे
तब मैं जाऊँगा। – (मिश्र वाक्य)
तुम्हारे लौटकर आने पर मैं जाऊँगा। – (सरल वाक्य)
जहाँ राम रहता है
वहीं श्याम भी रहता है। –
(मिश्र वाक्य)
राम और श्याम साथ ही रहते हैं। – (सरल वाक्य)
आशा है कि वह साफ बच
जाएगा। – (मिश्र वाक्य)
उसके साफ बच जाने की आशा है। – (सरल वाक्य)
5. मिश्र वाक्य से संयुक्त वाक्य में परिवर्तन
वह उस स्कूल में
पढ़ा जो उसके गाँव के निकट था। – (मिश्र वाक्य)
वह स्कूल में पढ़ा और वह स्कूल उसके गाँव
के निकट था। – (संयुक्त वाक्य)
मुझे वह पुस्तक मिल
गई है जो खो गई थी। – (मिश्र वाक्य)
वह पुस्तक खो गई थी परन्तु मुझे मिल गई
है। – (संयुक्त वाक्य)
जैसे ही उसे तार
मिला वह घर से चल पड़ा। –
(मिश्र वाक्य)
उसे तार मिला और वह तुरन्त घर से चल पड़ा।
– (संयुक्त वाक्य)
काम समाप्त हो जाए
तो जा सकते हो। – (मिश्र वाक्य)
काम समाप्त करो और जाओ। – (संयुक्त वाक्य)
मुझे विश्वास है कि
दोष तुम्हारा है। – (मिश्र वाक्य)
दोष तुम्हारा है और इसका मुझे विश्वास है।
– (संयुक्त वाक्य)
आश्चर्य है कि वह
हार गया। – (मिश्र वाक्य)
वह हार गया परन्तु यह आश्चर्य है। – (संयुक्त वाक्य)
जैसा बोओगे वैसा काटोगे।
– (मिश्र वाक्य)
जो जैसा बोएगा वैसा ही काटेगा। – (संयुक्त वाक्य)
6. संयुक्त वाक्य से मिश्र वाक्य में परिवर्तन
काम पूरा कर डालो
नहीं तो जुर्माना होगा। –
(संयुक्त वाक्य)
यदि काम पूरा नहीं करोगे तो जुर्माना
होगा। – (मिश्र वाक्य)
इस समय सर्दी है
इसलिए कोट पहन लो। – (संयुक्त वाक्य)
क्योंकि इस समय सर्दी है, इसलिए कोट पहन लो। – (मिश्र वाक्य)
वह मरणासन्न था, इसलिए मैंने उसे क्षमा कर दिया। – (संयुक्त वाक्य)
मैंने उसे क्षमा कर दिया, क्योंकि वह मरणासन्न था। – (मिश्र वाक्य)
वक्त निकल जाता है
पर बात याद रहती है। – (संयुक्त वाक्य)
भले ही वक्त निकल जाता है, फिर भी बात याद रहती है। – (मिश्र वाक्य)
जल्दी तैयार हो जाओ, नहीं तो बस चली जाएगी। – (संयुक्त वाक्य)
यदि जल्दी तैयार नहीं होओगे तो बस चली
जाएगी। – (मिश्र वाक्य)
इसकी तलाशी लो और
घड़ी मिल जाएगी। – (संयुक्त वाक्य)
यदि इसकी तलाशी लोगे तो घड़ी मिल जाएगी। – (मिश्र वाक्य)
सुरेश या तो स्वयं
आएगा या तार भेजेगा। – (संयुक्त वाक्य)
यदि सुरेश स्वयं न आया तो तार भेजेगा। – (मिश्र वाक्य)
7. विधानवाचक वाक्य से निषेधवाचक वाक्य में परिवर्तन
यह प्रस्ताव सभी को
मान्य है। – (विधानवाचक वाक्य)
इस प्रस्ताव के विरोधाभास में कोई नहीं
है। – (निषेधवाचक वाक्य)
तुम असफल हो जाओगे। – (विधानवाचक वाक्य)
तुम सफल नहीं हो पाओगे। – (निषेधवाचक वाक्य)
शेरशाह सूरी एक
बहादुर बादशाह था। – (विधानवाचक वाक्य)
शेरशाह सूरी से बहादुर कोई बादशाह नहीं
था। – (निषेधवाचक वाक्य)
रमेश सुरेश से बड़ा
है। – (विधानवाचक वाक्य)
रमेश सुरेश से छोटा नहीं है। – (निषेधवाचक वाक्य)
शेर गुफा के अन्दर
रहता है। – (विधानवाचक वाक्य)
शेर गुफा के बाहर नहीं रहता है। – (निषेधवाचक वाक्य)
मुझे सन्देह हुआ कि
यह पत्र आपने लिखा। – (विधानवाचक वाक्य)
मुझे विश्वास नहीं हुआ कि यह पत्र आपने
लिखा। – (निषेधवाचक वाक्य)
मुगल शासकों में
अकबर श्रेष्ठ था। – (विधानवाचक वाक्य)
मुगल शासकों में अकबर से बढ़कर कोई नहीं
था। – (निषेधवाचक वाक्य)
8. निश्चयवाचक वाक्य से प्रश्नवाचक वाक्य में
परिवर्तन
आपका भाई यहाँ नहीं
है। – (निश्चयवाचक)
आपका भाई कहाँ है? (प्रश्नवाचक)
किसी पर भरोसा नहीं
किया जा सकता है। – (निश्चयवाचक)
किस पर भरोसा किया जाए? – (प्रश्नवाचक)
गाँधीजी का नाम सबने
सुन रखा है। – (निश्चयवाचक)
गाँधीजी का नाम किसने नहीं सुना? – (प्रश्नवाचक)
तुम्हारी पुस्तक
मेरे पास नहीं है। – (निश्चयवाचक)
तुम्हारी पुस्तक मेरे पास कहाँ है? – (प्रश्नवाचक)
तुम किसी न किसी तरह
उत्तीर्ण हो गए। – (निश्चयवाचक)
तुम कैसे उत्तीर्ण हो गए? – (प्रश्नवाचक)
अब तुम बिल्कुल
स्वस्थ हो गए हो। – (निश्चयवाचक)
क्या तुम अब बिल्कुल स्वस्थ हो गए हो? – (प्रश्नवाचक)
यह एक अनुकरणीय
उदाहरण है। – (निश्चयवाचक)
क्या यह अनुकरणीय उदाहरण नहीं है? – (प्रश्नवाचक)
9. विस्मयादिबोधक वाक्य से विधानवाचक वाक्य में
परिवर्तन
वाह! कितना सुन्दर
नगर है! – (विस्मयादिबोधक)
बहुत ही सुन्दर नगर है! – (विधानवाचक वाक्य)
काश! मैं जवान होता।
– (विस्मयादिबोधक)
मैं चाहता हूँ कि मैं जवान होता। – (विधानवाचक वाक्य)
अरे! तुम फेल हो गए।
– (विस्मयादिबोधक)
मुझे तुम्हारे फेल होने से आश्चर्य हो रहा
है। – (विधानवाचक वाक्य)
ओ हो! तुम खूब आए।
(विस्मयादिबोधक)
मुझे तुम्हारे आगमन से अपार खुशी है। – (विधानवाचक वाक्य)
कितना क्रूर! – (विस्मयादिबोधक)
वह अत्यन्त क्रूर है। – (विधानवाचक वाक्य)
क्या! मैं भूल कर
रहा हूँ! – (विस्मयादिबोधक)
मैं तो भूल नहीं कर रहा। – (विधानवाचक वाक्य)
हाँ हाँ! सब ठीक है।
– (विस्मयादिबोधक)
मैं अपनी बात का अनुमोदन करता हूँ। – (विधानवाचक वाक्य)
1. वाक्यों का वर्गीकरण कितने आधारों पर किया गया है?
(a) दो (b) तीन (c) चार (d) पाँच
उत्तर :
(a) दो
2. जिन वाक्यों में एक उद्देश्य तथा एक ही विधेय
होता है, उसे कहते हैं
(a) एकल वाक्य (b) सरल
वाक्य (c) मिश्र वाक्य (d) संयुक्त
वाक्य
उत्तर :
(b) सरल वाक्य
3. मिश्र वाक्य कहते हैं
(a) जिनमें एक कर्ता और एक ही क्रिया होती है (b) जिनमें एक से अधिक प्रधान उपवाक्य हों और वे
संयोजक अव्यय द्वारा जुड़े हों (c) जिनमें एक साधारण
वाक्य तथा उसके अधीन दूसरा उपवाक्य हो (d) उपरोक्त
में से कोई नहीं
उत्तर :
(c) जिनमें एक साधारण वाक्य तथा उसके अधीन दूसरा
उपवाक्य हो
4. जिन वाक्यों में एक-से-अधिक प्रधान उपवाक्य हों
और वे संयोजक अव्यय द्वारा जुड़े हों, उसे कहते हैं-
(a) विधिवाचक (b) सरल
वाक्य (c) मिश्र वाक्य (d) संयुक्त
वाक्य
उत्तर :
(d) संयुक्त वाक्य
5. वाक्य के गुणों में सम्मिलित नहीं है
(a) लयबद्धता (b) सार्थकता
(c) क्रमबद्धता (d) आकांक्षा
उत्तर :
(a) लयबद्धता
6. ‘नाव में नदी है’-इस
वाक्य में किस वाक्य गुण का अभाव है?
(a) आकांक्षा (b) क्रम (c) योग्यता (d) आसक्ति
उत्तर :
(b) क्रम
7. वाक्य गुण ‘आकांक्षा’ का अर्थ है
(a) भावबोध की क्षमता (b) सार्थकता (c) श्रोता
की जिज्ञासा (d) व्याकरणानुकूल
उत्तर :
(c) श्रोता की जिज्ञासा
8. वाक्य गुण ‘आसक्ति’ का अर्थ है
(a) व्याकरणानुकूल (b) क्रमबद्धता
(c) योग्यता (d) समीपता
उत्तर :
(d) समीपता
9. अर्थ के आधार पर वाक्य कितने प्रकार के होते हैं?
(a) आठ (b) दस (c) तीन (d) चार
उत्तर :
(a) आठ
10. जिन वाक्यों से किसी कार्य या बात करने का बोध
होता है, उन्हें कहते हैं
(a) आज्ञावाचक (b) विधानवाचक
(c) इच्छावाचक (d) संकेतवाचक
उत्तर :
(b) विधानवाचक
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