सबसे तेज़ बौछारें गयीं। भादो गया
सवेरा हुआ
खरगोश की आँखों जैसा लाल सवेरा
शरद आया पुलों को पार करते
हुए
अपनी नयी चमकीली साइकिल तेज
चलाते हुए
घंटी बजाते हुए जोर-जोर से
चमकीले इशारों से बुलाते
हुए
पतंग उड़ाने वाले बच्चों के
झुंड को
चमकीले इशारों से बुलाते
हुए और
आकाश को इतना मुलायम बनाते
हुए
कि पतंग ऊपर उठ सके-
दुनिया की सबसे हलकी और
रंगीन चीज उड़ सके-
दुनिया का सबसे पतला कागज
उड़ सके-
बाँस की सबसे पतली कमानी
उड़ सके
कि शुरू हो सके सीटियों, किलकारियों और
तितलियों की इतनी नाजुक
दुनिया।
जन्म से ही वे अपने साथ लाते हैं कपास
पृथ्वी घूमती हुई आती है
उनके बेचन पैरों के पास
जब वे दौड़ते हैं बेसुध
छतों को भी नरम बनाते हुए
दिशाओं को मृदंग की तरह
बजाते हुए
जब वे पेंग भरते हुए चले
आते हैं
डाल की तरह लचीले वेग सो
अकसर
छतों के खतरनाक किनारों तक-
उस समय गिरने से बचाता हैं
उन्हें
सिर्फ उनके ही रोमांचित
शरीर का संगीत
पतंगों की धड़कती ऊँचाइयाँ
उन्हें थाम लेती हैं
महज़ एक धागे के सहारे।
पतंगों के साथ-साथ वे भी उड़ रहे हैं
अपने रंध्रों के सहारे
अगर वे कभी गिरते हैं छतों
के खतरनाक किनारों से
और बच जाते हैं तब तो
और भी निडर होकर सुनहले
सूरज के सामने आते हैं
पृथ्वी और भी तेज घूमती हुई जाती है
उनके बेचैन पैरों के पास।
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