![]() |
Introduction of Machine Translation/मशीनी अनुवाद का परिचय |
1.मशीनी अनुवाद का परिचय :- Introduction of Machine Translation
अनुवाद के
कई प्रकार
हैं जिनमें
“मशीनी
अनुवाद” भी
अनुवाद का
एक प्रकार
है। मशीनी
अनुवाद में
मानव का
केवल सहायक
के रुप
में उपयोग
किया जाता
है
और
बाकी काम
कंप्यूटर के
माध्यम से
पूर्ण किया
जाता है।
जिसे एक
विशिष्ट कंप्यूटर
प्रोग्राम के
द्वारा संचालित
किया जाता
है। लेकिन
अनुवाद केवल
शब्दों का
खेल नहीं
है, अनुवाद
के स्त्रोत
पाठ में
संस्कृति, भाव
और संवेदनाओं
का भी
प्रभाव होता
हैं। दो
भाषाओं के
शब्दों के
उलटफेर में
कंप्यूटर मानव
बुद्धि (Human
Intelligence) से आगे
निकल गया
लेकिन जब
बात संस्कृति, संवेदना
और भावनाओं
के भाषांतरण
की आई
तो कंप्यूटर
पुन: मानव
की शरण
में आ
गया।
इस
जटिलता को
दूर करने
में कंप्यूटर
इस कदर
फँसा हुआ
है कि
अब बिना
मानव सहायता
के कंप्यूटर
से अनुवाद
कर पाना
मुश्किल हो
रहा है।
पूर्णत: सफल
मशीनी अनुवाद
(Machine
Translation) का निर्माण
न होना
ही इसका
सबसे बड़ा
उदाहरण है।
इस कार्य
में मशीनी
अनुवाद निर्माणकर्त्ताओं
ने अभी
हार नहीं
मानी है।
भारतीय
अनुवाद यंत्र
भी इन
समस्याओं के
बराबर शिकार
होते हुए
नजर आ
रहे हैं।
इसीलिए अनुवाद
यंत्र निर्माण
करने से
पूर्व अनुवाद
की समस्याओं
के विषय
में जान
लेना आवश्यक
हो जाता
है। मशीनी
अनुवाद की
संकल्पना को
व्यवस्थित रुप
से देखने
के लिए
मशीनी अनुवाद
(Machine
Translation) की परिभाषाओं
को निम्न
रुप से
देख सकते
हैं।
प्रो.सूरजभान
सिंह के
अनुसार मशीनी
अनुवाद की
सामान्य परिभाषा
यह है
कि “अनुवाद
की ऐसी
प्रक्रिया जिसमें
कंप्यूटर प्रणाली (Computer
System) के जरिए
एक भाषा
से दूसरी
भाषा में
अपने आप
अनुवाद हो, इस
प्रक्रिया में
अनुवाद की
जाने वाली
सामग्री(Text)
को (Input)आगत
शब्द के
रुप में
देते है।
कंप्यूटर की
भीतरी प्रणाली
जिसमें दोनों
भाषाओं के
शब्दों, मुहावरो
और व्याकरणिक
नियमों का
ज्ञान संचित
रहता है, अपने
आप उस
सामग्री का
दूसरी भाषा
में अनुवाद
करती है
और कुछ
ही क्षणों
में निर्गत
पाठ (output)
के रुप
में अनुदित
सामग्री प्राप्त
हो जाती
है।”
डॉ. दीपा
गुप्ता के
अनुसार मशीनी
अनुवाद (Machine
Translation) की परिभाषा
कुछ इस
प्रकार है।
“मशीनी
अनुवाद एक
ऐसी प्रक्रिया
है जो
पाठ की इकाईयों
को एक
भाषा (स्रोत
भाषा) से
दूसरी भाषा(लक्ष्य भाषा)
में कंप्यूटर
के माध्यम
से अनूदित
करती है।“Machine
Translation (MT) is the process of translating text units of one language
(source language) into a second language (target language) by using computers.”
उपर्युक्त परिभाषाओं
से स्पष्ट
होता है
कि अंशत:
मानव सहायता
के साथ
(यंत्र) कंप्यूटर
का उपयोग
कर एक
प्राकृतिक मानव
भाषा का
दूसरी प्राकृतिक
मानव भाषा
में अनुवाद
करना ही
मशीनी अनुवाद
(Machine
Translation) या यंत्रानुवाद
है। इसी
के आधार
पर मशीनी
अनुवाद (Machine
Translation) में
मशीन की
सहभागिता के
आधार पर
मशीनी
अनुवाद (Machine Translation) को तीन भागों में विभाजित किया गया हैं।
1) पूर्णत: मशीनी
अनुवाद (Fully
Machine Translation)
2) मानव साधित
मशीनी अनुवाद
(Human
Aided Machine Translation)
3) मशीन साधित
मानव अनुवाद
(Machine
Aided Human Translation)
मशीनी अनुवाद
की प्रक्रिया
का
संक्षिप्त इतिहास:-
विश्वभर के
मशीनी अनुवाद
के इतिहास
पर विचार
किया जाए
तो मशीनी
अनुवाद का
इतिहास लगभग
पचास वर्ष
पुराना है।
सबसे पहले
“मशीनी
अनुवाद यंत्र” निर्माण
करने का
प्रयास 1956 में
जार्ज टाऊन
विश्वविद्यालय वाशिंगटन
में शुरु
हुआ था।
कुछ मशीनी
अनुवाद यंत्र
आज भी
काम कर
रहें हैं।
मशीनी अनुवाद
यंत्रों के
कुछ नाम
इस प्रकार
हैं। “GAT,
SYSTRAN, LOGOS, METEL, TAUM-METEO, EUROTRA, ATLAS-I, ALTAS-II, TAURUS, PIUOT,
ALPA, LOGOS, CULT, TITUS, ARINC-78, METAL, MU, MT.S-NCST आदि।”
भारत
में मशीनी
अनुवाद की
प्रथम शुरुआत
1983
से मानी
जाती है।
जो दक्षिण
भारत के
‘तमिल
विश्वविद्यालय’
में रशियन-तमिल
TUMTS
अनुवाद यंत्र
के लिए
शुरु हुआ।
लेकिन इस
यंत्र की
क्षमता काफी
कम थी।
इस यंत्र
का निर्गत
पाठ (Output)
भी अधिक
उच्च स्तर
का नहीं
था। इसलिए
भारत में
मशीनी अनुवाद
की विधिवत
शुरुआत आई.आई.टी
कानपुर (IIT
Kanpur) में शुरु
हुए “अक्षर
भारती ग्रुप” के
“आंग्लभारती
मशीनी अनुवाद
यंत्र” से
मानी जाती
है। इसके
उपरांत आज
भारत में
कई मशीनी
अनुवाद यंत्रों
पर कार्य
किया जा
रहा हैं।
जिसमें (मॅट)MAT,
(अनुवादक)ANUVADAK,
(मंत्रा)MANTRA,
(शिव)SIVA,
(मंत्र)MANTR,
(अनुवाद-यन्त्र)ANUVADAYAN-TR
(CIILM) (अंग्रेजी-हिंदी)
(अनुसारका)ANUSARAKA
(भारतीय भाषाओं
के लिए), (शक्ति)
Shakti
(अंग्रेजी-मराठी, हिंदी, तेलगु
के लिए)
है। भारत
सरकार ने
भारतीय भाषाओं
से भारतीय
भाषाओं के
लिए मशीनी
अनुवाद यंत्र
की एक
नई महत्वपूर्ण
योजना आरंभ
की है।
जिसमें “Indian
Language to Indian Language Machine Translation system” निर्मित
किए जा
रहें हैं।
अनुवाद की प्रक्रिया अपने-आप में एक अति कठिन कार्य है। मशीनी अनुवाद की प्रक्रिया पर विचार किया जाए तो यह प्रक्रिया मानव द्वारा किए गए अनुवाद(Human Translation) की प्रक्रिया के समान ही है। लेकिन मशीनी अनुवाद की प्रक्रिया में मानव को केवल एक सहायक के रुप में ही कार्य करना पड़ता है। अनुवाद की प्रक्रिया में उसका कोई कार्य नहीं होता।
इसलिए मशीनी अनुवाद
की प्रक्रिया
अधिक जटिल
बन जाती
है। जिसमें
अनुवाद के
शब्द चयन
से लेकर
वाक्य व्याकरणिक
संरचना और
अर्थ चयन
का भी
काम मशीन
को ही
करना पड़ता
हैं। मशीन
भावनाशून्य और
सभ्यता-संस्कृति
से अनभिज्ञ
होने के
कारण “मशीन
अनुवाद” प्रक्रिया
को सही
रुप से
अंजाम नहीं
दे पाती
है। इस
प्रक्रिया में
पाठ (Text)
को कई
भाषा संसाधनों(LTs)
से होकर
जाता है।
मशीनी अनुवाद
की संपूर्ण
प्रक्रिया संक्षिप्त
रुप में
निम्न से
देख सकते
है।
मशीनी अनुवाद
की प्रक्रिया
: - मशीनी
अनुवाद के
लिए सबसे
प्रमुख कंप्यूटर
में “अभिष्ट
भाषिक संरचना
का यह
व्युत्पादन कंप्यूटर
में केंद्रीय
संसाधक इकाई
के माध्यम
से होता
है। कंप्यूटर
की इस
केंद्रीय संसाधक
इकाई में
एक नियंत्रक
इकाई, एक
मुख्य स्मृति
पटल और
एक गणितीय
इकाई होती
है। जिसके
आदेशों के
आधार पर
कंप्यूटर चलता
है। मशीनी
अनुवाद की
प्रक्रिया भी
इसी के
आधार पर
आगे बढ़ती
है। सबसे
पहले पाठ
निवेशन का
कार्य होता
है। प्रत्येक
मशीनी अनुवाद
यंत्र की
यह प्रक्रिया
दो रुपों
में होती
है।
1.लक्ष्य
पाठ अनुवाद
यंत्र में
दिए गए
बॉक्स में
टाईप कर
दिया जाता
है।
2.
लक्ष्य पाठ
की फाईल
को ब्राऊस
करके। इस
प्रक्रिया के
उपरांत ही
अनुवाद की
प्रक्रिया आरंभ
होती है।
मशीनी
अनुवाद के सभी
साधनों (Tools)
का शब्द
संचयन(Lexical
Data) से अति
निकटतम संबंध
होता है।
जिसके माध्यम
से किसी
पाठ को
स्रोत भाषा
से लक्ष्य
भाषा तक
पहुँचाने में
सहायता प्राप्त
की जाती
है। इस
प्रक्रिया में
होने वाली
एक गलती
संपूर्ण पाठ
के अंतर्गत
समस्या निर्माण
करती है।
ऐसी समस्याओं
को मशीन
स्वयं संशोधित
नहीं कर
पाती है।
भारत में
भी कई
म.अनु.
यंत्र बनाये
जा रहें
हैं जैसे-
सी-डॅक
नोएडा द्वारा
“आँग्ल
भारती-मॅट”, आई.आई.टी.हैदराबाद
“अनुसारका”, सी-डॉक
पुणे द्वारा
“मंत्र”, आई.आई.टी.मुम्बई
द्वारा “मात्रा”, इन्फ़ोसेट
द्वारा “अनुवादक” आदि, परंतु
इनमें से
किसी में
भी अनुवाद
की शुद्धता
की दर
शत-प्रतिशत
नहीं हैं, यह
भी इसकी
एक प्रमुख
समस्या है।
0 टिप्पणियाँ