काले मेघा पानी दे धर्मवीर भारती
कक्षा 12 kale megha pani de dharmveer bharti class 12
आज हम धर्मवीर भारती के निबंध ‘काले मेघा पानी दे’ का सारांश
जानते हैं:-
इस संस्मरणात्मक निबंध में लेखक ने
लोक विश्वास और वैज्ञानिक सत्य के बीच चलने वाले द्वंद्व का चित्रण किया है। वे
अपने बचपन की एक घटना का ब्यौरा प्रस्तुत करते हुए बताते हैं कि पानी न बरसने के
कारण उत्पन्न विकट अकाल का सामना करने और इंद्र देवता से पानी मांगने के लिये
लड़कों की टोली गांव में घर-घर जाया करती थी।
वे गाया करते थे-
वे गाया करते थे-
काले मेघा पानी दे
गगरी फूटी बैल पियासा
पानी दे, गुड़धानी दे
काले मेघा पानी दे
गगरी फूटी बैल पियासा
पानी दे, गुड़धानी दे
काले मेघा पानी दे
लोग अपने घरों में बचा कर रखा गया पानी इन
पर डालते। लेखक के मन में विचार आता कि जब पानी की इतनी कमी हैं, तो इस तरह
पानी की बर्बादी करना कहां तक उचित है।
पर इसके अवैज्ञानिक और हानिकारक होने पर भी एक तरह की सांस्कृतिक परंपरा होने के चलते उसकी भी एक रचनात्मक भूमिका होती है। ऐसा लेखक की जीजी का कहना है। यहां यही प्रश्न उठाया गया है कि विज्ञान का सत्य बड़ा है या फिर प्रेम और संस्कृति का रस? या फिर दोनों ही ?
पर इसके अवैज्ञानिक और हानिकारक होने पर भी एक तरह की सांस्कृतिक परंपरा होने के चलते उसकी भी एक रचनात्मक भूमिका होती है। ऐसा लेखक की जीजी का कहना है। यहां यही प्रश्न उठाया गया है कि विज्ञान का सत्य बड़ा है या फिर प्रेम और संस्कृति का रस? या फिर दोनों ही ?
धर्मवीर भारती के निबंध ‘काले मेघा पानी
दे’ के गद्यांश आधारित प्रश्न।
प्रसंग : इन बातों को आज पचास से
ज्यादा बरस होने को आए पर ज्यों की त्यों मन पर दर्ज है। कभी-कभी कैसे-कैसे
संदर्भों में ये बातें मन को कचोट जाती है, हम आज देश के लिए करते क्या है?
माँगे हर क्षेत्र में बड़ी-बड़ी है पर त्याग का कही नाम निशान नहीं
है। अपना स्वार्थ आज एकमात्र लक्ष्य रह गया है। हम चट्खारे लेकर इसके या उसके
भ्रष्टाचार की बातें करते है पर क्या कभी हमने जाँचा है कि अपने स्तर पर अपने
दायरे में हम उसी भ्रष्टाचार के अंग तो नहीं बन रहे है। काले मेघा दल के दल उमडते
है, पानी झमाझम बरसता है, पर गगरी फूटी
की फूटी रह जाती है, बैल पियासे के पियासे रह जाते है?
आखिर कब बदलेग़ी यह स्थिति ?
प्रश्न : (क) कौन
सी बात लेखक के मन पर ज्यों की त्यों दर्ज है और क्यों?
उत्तर
: लेखक के मन पर यह बात ज्यों की त्यों दर्ज
है, जो उनकी जीजी ने कही थी, कि पहले
खुद ही देना पड़ता है, तब देवता तुम्हें चौगुना-अठगुना करके
लौटाते हैं। लेखक के मन में यह बात इसलिये दर्ज़ है क्योंकि उनकी जीजी ने पूरे
विश्वास से कही थी।
प्रश्न : (ख) लेखक
को देश संदर्भ में कौन सी बात कचोटती है?
उत्तर
: लेखक को देश संदर्भ में यह बात कचोटती है कि
हम आज देश के लिए करते क्या है? माँगे हर क्षेत्र में
बड़ी-बड़ी है पर त्याग का कही नाम निशान नहीं है। अपना स्वार्थ आज एकमात्र लक्ष्य रह
गया है।
प्रश्न : (ग) अंतिम
पंक्तियों में काले मेघा किसके प्रतीक है? सप्रमाण बताइए।
उत्तर :
अंतिम पंक्तियों में काले मेघा लोक कल्याण के लिये सरकारों द्वारा
किये जाने वाले कार्यों के प्रतीक हैं, परंतु भ्रश्टाचार के
कारण उनका लाभ आम जन को नहीं मिल पाता। उदाहरण के लिये प्रधानमंत्री आवास योजना के
तहत बनने वाले मकानों का प्रचार तो बहुत होता है, परंतु
वास्तव में वह सभी निर्धनों को नहीं मिल पाता।
प्रश्न : (घ) पानी
बरसने पर भी गगरी क्यों फूटी रह जाती है? बैल क्यों प्यासे
रह जाते है?
उत्तर
: पानी बरसने पर भी गगरी इसलिये फूटी रह जाती
है, क्योंकि हम उसका सदुपयोग और संरक्षण नहीं कर पाते।
इसीलिये बैल प्यासे रह जाते हैं, अर्थात उनका लाभ नहीं मिल
पाता।
धर्मवीर भारती के निबंध ‘काले मेघा पानी
दे’ के सामान्य प्रश्नोत्तर
प्रश्न : 1 : लोगों
ने लड़कों की टोली को मेढक-मंडली नाम किस आधार पर दिया? यह
टोली अपने आपको इंदर सेना कहकर क्यों बुलाती थी?
उत्तर : गाँव के लड़के कीचड़ में
लथपथ होकर गली-गली घूमकर लोगों से पानी माँगते थे। गाँव के कुछ लोगों को लड़कों का
नंग-धड़ग होकर कीचड़-कांदो में लथपथ होना बुरा लगता था। वे इसे गँवारपन और
अंधविश्वास समझते थे, इसीलिए उन्होंने लड़कों की टोली को मेढक
मंडली-नाम दिया था। बच्चों का ऐसा मानना था कि वे इंद्र की सेना के सैनिक है और
उसी के लिए वे लोगों से पानी का दान माँगते हैं। अतः वे स्वयं को इंदर सेना के नाम
से पुकारते थे।
प्रश्न : 2. जीजी
ने इंदर सेना पर पानी फेंके जाने को किस तरह सही ठहराया?
उत्तर : जीजी ने इंदर सेना पर पानी फेंके जाने को इस प्रकार से सही ठहराया -
उत्तर : जीजी ने इंदर सेना पर पानी फेंके जाने को इस प्रकार से सही ठहराया -
1. त्याग और
दान की महत्ता के कारण ही धर्मग्रंथों में दान को सबसे ऊँचा स्थान दिया गया है। जो
चीज अपने पास ही कम हो, पर अपनी आवश्यकता को पीछे रख कर,
वही चीज दूसरों को दान कर देना ही त्याग है। कुछ पाने के लिए कुछ
देना पड़ता है। अतः देवता से भी कुछ माँगने के पहले उन्हें कुछ दान भी करना पड़ता है।
2. इंदरसेना
पर पानी फ़ेंकना पानी की बरबादी नहीं है, बल्कि इंद्रदेव को
जल का अर्ध्य चढ़ाना ही है।
3. जिस
प्रकार किसान फ़सल उगाने के लिए ज़मीन पर अपने सबसे अच्छे बीजों का दान कर बुवाई करता
है, वैसे ही पानी वाले बादलों की फ़सल पाने के लिए इन्दर सेना
पर पानी डाल कर पानी की बुवाई की जाती है।
प्रश्न : 3 : ‘पानी
दे, गुड़धानी दे’ मेघों से पानी के साथ-साथ गुड़धानी की माँग
क्यों की जा रही है?
उत्तर : गुड़धानी
अनाज और गुड़ के मिश्रण को कहते हैं। यहाँ पर गुड़धानी से तात्पर्य अच्छी फसल से है।
हमारी अर्थव्यस्था कृषि पर आधारित होने के कारण जब अच्छी वर्षा होगी तभी अच्छी फसल
भी होगी इसलिए पानी के साथ गुड़धानी की माँग की जा रही है।
प्रश्न : 4 : ‘गगरी
फूटी बैल पियासा’ इंदर सेना के इस खेलगीत में बैलों के प्यासा रहने की बात क्यों
मुखरित हुई है?
उत्तर : बैल भारतीय कृषि
संस्कृति की रीढ़ हैं। बैल ही खेतों को जोतकर अन्न उपजाते हैं। उनके प्यासे रहने पर
कृषि प्रभावित होती है। इसलिए ‘गगरी फूटी बैल पियासा’ इंदर सेना के इस खेलगीत में
बैलों के प्यासा रहने की बात में मुखरित हुई है।
प्रश्न : 5 : इंदर
सेना सबसे पहले गंगा मैया की जय क्यों बोलती है? नदियों का
भारतीय सामाजिक, सांस्कृतिक परिवेश में क्या महत्त्व है?
उत्तर : गंगा भारतीय समाज में
सबसे पूजनीय नदी है। उसका भारतीय इतिहास में धार्मिक, पौराणिक
और सांस्कृतिक महत्त्व भी है। वह भारतीयों के लिए एक अपितु माँ के समान है। उसमें
पानी मात्र नहीं बहता, बल्कि अमृत तुल्य जल बहता है। भारतीय
संस्कृति में नदियों के किनारे मानव सभ्यताएँ फली-फूली हैं। इसलिए ही इंदर सेना
सबसे पहले गंगा मैया की जय बोलती है।
प्रश्न : 6 : रिश्तों
में हमारी भावना-शक्ति का बँट जाना विश्वासों के जंगल में सत्य की राह खोजती हमारी
बुद्धि की शक्ति को कमजोर करती है। पाठ में जीजी के प्रति लेखक की भावना के संदर्भ
में इस कथन के औचित्य की समीक्षा कीजिए।
उत्तरः- लेखक की जीजी लेखक से
अनगिनत ऐसे धार्मिक कार्य करवाती थी, जिसे लेखक अंधविश्वास
मानता था। पर जीजी के प्रति प्रेम और आदर होने के कारण वह सभी कार्यों को बिना
किसी तर्क के पूरा कर देता था। यहाँ तक कि इंदर सेना पर पानी न फेंकने वाले उसके
अपने तर्क जीजी के तर्कों के आगे हार जाते हैं, इस का कारण
भी जीजी से उसका भावनात्मक लगाव ही था। अतः हम कह सकते हैं कि रिश्तों में हमारी
भावना-शक्ति का बँट जाना विश्वासों के जंगल में सत्य की राह खोजती हमारी बुद्धि की
शक्ति को कमजोर करती है।
प्रश्न : 7 : क्या
इंदर सेना आज के युवा वर्ग का प्रेरणास्रोत हो सकती है? क्या
आपके स्मृति-कोष में ऐसा कोई अनुभव है जब युवाओं ने संगठित होकर समाजोपयोगी
रचनात्मक कार्य किया हो उल्लेख करें।
उत्तर : हां,
अवष्य ही इंदर सेना सही मायनों में आज के युवा वर्ग का प्रेरणास्रोत
बन सकती है। क्योंकि किसी भी सामाजिक समस्या को सुलझाने के लिए सामूहिक प्रयास ही
आवश्यक होते हैं। ऐसा ही प्रयास इंदर सेना द्वारा भी किया जाता था। सामूहिक शक्ति
से हम किसी भी आंदोलन को सफल बना सकते हैं। पर्यावरण संबंधी ‘चिपको आंदोलन’, महात्मा
गाँधी जी का ‘भारत छोड़े’ आन्दोलन सामूहिक प्रयासों से ही सफल हुए।
प्रश्न : 8 : तकनीकी
विकास के दौर में भी भारत की अर्थव्यवस्था कृषि पर निर्भर है। कृषि समाज में चैत्र,
वैशाख आदि सभी माह बहुत महत्त्वपूर्ण हैं, पर
आषाढ़ का चढ़ना उनमें उल्लास क्यों भर देता है?
उत्तर : कृषि समाज में आषाढ़ का
चढ़ना इसलिये उल्लास भर देता है, क्योंकि आषाढ़ का महीना वर्षा
ऋतु के आगमन का प्रतीक होता है। यह महीना किसानों में अच्छी फसल की आशा जगाता है।
इसी में अधिकतम वर्षा होती है। इसी कारण आषाढ़ शुरू होते ही किसानों में अच्छी फसल
की उम्मीद और उल्लास बढ़ने लगता है।
प्रश्न : 9 : पाठ
के संदर्भ में इसी पुस्तक में दी गई निराला की कविता बादल-राग पर विचार कीजिए और
बताइए कि आपके जीवन में बादलों की क्या भूमिका है?
उत्तर : कवि निराला की कविता
‘बादल राग’ में बादलों को क्रांति के प्रतीक के रूप में दर्शाया गया है। बादल
अच्दी वर्शा करके, फसलों को प्रचुर मात्रा में उगाकर शोषित
वर्ग को शोषकों से मुक्ति दिलाते हैं। उन्हें उनका अधिकार दिलाते हैं। इसी प्रकार
हमारे जीवन में भी बादलों का बहुत महत्व है। वे हमारे जीवन में अहम् भूमिका निभाते
हैं। वे प्यासी धरती की प्यास बुझाते हैं। फसलें उगाकर अन्न प्रदान करते हैं। इस
तरह नव सृजन की प्रेरणा देते हैं।
प्रश्न : 10 : पानी
का संकट वर्तमान स्थिति में भी बहुत गहराया हुआ है। इसी तरह के पर्यावरण से संबद्ध
अन्य संकटों के बारे में लिखिए।
उत्तरः- पर्यावरण से संबद्ध
अन्य संकट इस प्रकार हैं-वैष्विक तापमान में वृद्धि, नदियों
के प्रवाह में अंतर आना, समुद्र सतह में वृद्धि, मौसम चक्र में बदलाव, भूमि का बंजर होना, अतिवृष्टि होना, अकाल पड़ना, वायु
प्रदूषण की अधिकता, आदि।
प्रश्न : 11 : आपकी
दादी-नानी किस तरह के विश्वासों की बात करती हैं? ऐसी स्थिति
में उनके प्रति आपका रवैया क्या होता है? लिखिए।
उत्तरः- हमारी दादी-नानी अनेक
प्रकार के व्रत-उपवास, त्योहार, धार्मिक
अनुष्ठान आदि में गहरी आस्था रखती हैं। उनकी इस आस्था से हम सभी प्रभावित होते
हैं। हम उनकी कुछ आस्थाओं (बिल्ली का रास्ता काटना, निकलते
समय छींक का आना, आँख का फड़कना, पशुओं
का रोना आदि) को अंधविश्वास भी मानते हैं। फिर भी उसका विरोध नहीं कर पाते,
क्योंकि हमें अपनी दादियों-नानियों से प्रेम होता है। उनकी आस्थाओं
और विष्वासों का एक पारंपरिक और सांस्कृतिक महत्व भी होता है। वह मनुष्य जाति की
विरासत है।
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