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चंपा काले काले अच्छर नहीं चीन्हती/चंपा काले काले अच्छर नहीं चीन्हती कविता के अभ्यास के प्रश्न /Champa kale kale acchar nahi chinhati class 11 NCERT Solutions |
चंपा काले-काले अक्षर नहीं चीन्हती
त्रिलोचन |
चंपा काले काले अच्छर नहीं चीन्हती
मैं जब पढ़ने लगता हूँ वह आ जाती है
खड़ी खड़ी चुपचाप सुना करती है
उसे बड़ा अचरज होता है :
इन काले चिन्हों से कैसे ये सब स्वर
निकला करते हैं।
चंपा सुंदर की लड़की है
सुंदर ग्वाला है : गायें भैंसें रखता है
चंपा चौपायों को लेकर
चरवाही करने जाती है
चंपा अच्छी है
चंचल है
न ट ख ट भी है
कभी कभी ऊधम करेती है
कभी कभी वह कलम चुरा देती है
जैसे तैसे उसे ढूँढ़ कर जब लाता हूँ
पाता हूँ - अब कागज गायब
परेशान फिर हो जाता हूँ
चंपा कहती है :
तुम कागद ही गोदा करते हो दिन भर
क्या यह काम बहुत अच्छा है
यह सुनकर मैं हँस देता हूँ
फिर चंपा चुप हो जाती है
उस दिन चंपा आई, मैंने कहा कि
चंपा, तुम भी पढ़ लो
हारे गाढ़े काम सरेगा
गांधी बाबा की इच्छा है -
सब जन पढ़ना लिखना सीखें
चंपा ने यह कहा कि
मैं तो नहीं पढ़ूँगी
मैं जब पढ़ने लगता हूँ वह आ जाती है
खड़ी खड़ी चुपचाप सुना करती है
उसे बड़ा अचरज होता है :
इन काले चिन्हों से कैसे ये सब स्वर
निकला करते हैं।
चंपा सुंदर की लड़की है
सुंदर ग्वाला है : गायें भैंसें रखता है
चंपा चौपायों को लेकर
चरवाही करने जाती है
चंपा अच्छी है
चंचल है
न ट ख ट भी है
कभी कभी ऊधम करेती है
कभी कभी वह कलम चुरा देती है
जैसे तैसे उसे ढूँढ़ कर जब लाता हूँ
पाता हूँ - अब कागज गायब
परेशान फिर हो जाता हूँ
चंपा कहती है :
तुम कागद ही गोदा करते हो दिन भर
क्या यह काम बहुत अच्छा है
यह सुनकर मैं हँस देता हूँ
फिर चंपा चुप हो जाती है
उस दिन चंपा आई, मैंने कहा कि
चंपा, तुम भी पढ़ लो
हारे गाढ़े काम सरेगा
गांधी बाबा की इच्छा है -
सब जन पढ़ना लिखना सीखें
चंपा ने यह कहा कि
मैं तो नहीं पढ़ूँगी
तुम तो कहते थे गांधी बाबा अच्छे हैं
वे पढ़ने लिखने की कैसे बात कहेंगे
मैं तो नहीं पढ़ूँगी
मैंने कहा चंपा, पढ़ लेना अच्छा है
ब्याह तुम्हारा होगा, तुम गौने जाओगी,
कुछ दिन बालम संग साथ रह चला जाएगा जब कलकत्ता
बड़ी दूर है वह कलकत्ता
कैसे उसे सँदेसा दोगी
कैसे उसके पत्र पढ़ोगी
चंपा पढ़ लेना अच्छा है!
चंपा बोली : तुम कितने झूठे हो, देखा,
हाय राम, तुम पढ़-लिख कर इतने झूठे हो
मैं तो ब्याह कभी न करूँगी
और कहीं जो ब्याह हो गया
तो मैं अपने बालम को संग साथ रखूँगी
कलकत्ता में कभी न जाने दूँगी
कलक्त्ते पर बजर गिरे।
वे पढ़ने लिखने की कैसे बात कहेंगे
मैं तो नहीं पढ़ूँगी
मैंने कहा चंपा, पढ़ लेना अच्छा है
ब्याह तुम्हारा होगा, तुम गौने जाओगी,
कुछ दिन बालम संग साथ रह चला जाएगा जब कलकत्ता
बड़ी दूर है वह कलकत्ता
कैसे उसे सँदेसा दोगी
कैसे उसके पत्र पढ़ोगी
चंपा पढ़ लेना अच्छा है!
चंपा बोली : तुम कितने झूठे हो, देखा,
हाय राम, तुम पढ़-लिख कर इतने झूठे हो
मैं तो ब्याह कभी न करूँगी
और कहीं जो ब्याह हो गया
तो मैं अपने बालम को संग साथ रखूँगी
कलकत्ता में कभी न जाने दूँगी
कलक्त्ते पर बजर गिरे।
प्रश्न 1:इस कविता का प्रतिपादय बताइए।
उत्तर -'चपा काले-काले अच्छर नहीं
चीन्हती' कविता धरती संग्रह में संकलित है। यह पलायन के लोक
अनुभवों को मार्मिकता से अभिव्यक्त करती है। इसमें 'अक्षरों
के लिए 'काले काले विशेषण का प्रयोग किया गया है जो एक ओर
शिक्षा-व्यवस्था के अंतर्विरोधों को उजागर करता है तो दूसरी ओर उस दारुण यथार्थ से
भी हमारा परिचय कराता है जहाँ आर्थिक मजबूरियों के चलते घर टूटते हैं। काव्य
नायिका चंपा अनजाने ही उस शोषक व्यवस्था के प्रतिपक्ष में खड़ी हो जाती है जहाँ
भविष्य को लेकर उसके मन में अनजान खतरा है। वह कहती है 'कलकत्ते
पर बजर गिरे।' कलकत्ते पर वज़ गिरने की कामना, जीवन के खुरदरे यथार्थ के प्रति चंपा के संघर्ष और जीवन को प्रकट करती है।
प्रश्न 2:चपा को क्या अचरज होता है तथा क्यों?
उत्तर -चंपा निरक्षर है। जब कवि अक्षरों को पढ़ना शुरू
करता है तो चंपा को हैरानी होती है कि इन अक्षरों से स्वर कैसे निकलते हैं, वह अक्षर व ध्वनि के संबंध को
समझ नहीं पाती। उसे नहीं पता कि लिखे हुए अक्षर ध्वनि को व्यक्त करने का ही एक रूप
है। निरक्षर होने के कारण वह यह बात समझ नहीं पाती।
प्रश्न : 3 कविता की नायिका चंपा किसका प्रतिनिधित्व करती है।
उत्तर -कविता की नायिका चंपा देश की निरक्षर व ग्रामीण
स्त्रियों का प्रतिनिधित्व करती है। ये अबोध बालिकाएँ प्रायः उपेक्षा का शिकार
होती हैं। दे पढ़ाई-लिखाई को निरर्थक समझकर पढ़ने के अवसर को त्याग देती हैं।
प्रश्न 4:विवाह और पति के बारे में चपा की क्या धारणा है?
उत्तर - विवाह की बात सुनते ही चंपा लजाकर शादी करने से
मना करती है, परंतु जब पति की
बात आती है तो वह सदैव उसे अपने साथ रखने की बात कहती है। वह पति को अलग करने वाले
कलकत्ता के विनाश की कामना तक करती है।
प्रश्न 5: लेखक चंपा को पढ़ने के लिए किस प्रकार प्रेरित करता
है?
उत्तर - लेखक चंपा से कहता है कि पढ़ाई कठिन समय में काम
आती है। गाँधी बाबा की भी इच्छा थी कि सभी लोग पढ़े लिखें। साथ ही कवि चंपा को
समझाता है कि एक न एक दिन तुम्हारी शादी होगी और तुम्हारा पति रोजगार की तलाश में
कलकत्ता (कोलकाता) जाएगा। उस समय अपना संदेश पत्र के माध्यम से उस तक पहुँचा सकोगी
और पति के पत्र पढ़ सकेगी।
प्रश्न 6: चंपा ने कवि को झूठा क्यों
कहा?
उत्तर - जब कवि ने उसके विवाह तथा पति के कलकत्ता जाने
की बात कही तो वह भड़क उठी। उसने कहा कि तुम पढ़-लिखकर भी बहुत झूठे हो। पहले तो
वह विवाह नहीं करेगी। दूसरे, यदि शादी हो भी गई तो वह अपने पति को साथ रखेगी। केवल पढ़ने के लिए इतनी
बड़ी कहानी की जरूरत नहीं है। अतः उसने कवि को झूठा कहा।
प्रश्न 7:गाँधी जी का प्रसंग किस संदर्भ
में आया तथा क्यों?
उत्तर -गाँधी जी का प्रसंग साक्षरता के सिलसिले में
आया है। गाँधी जी की इच्छा थी कि सभी लोग पढ़ना-लिखना सीखें। गाँवों में गाँधी जी
का अच्छा प्रभाव है। कवि इसी प्रभाव के जरिए चंपा को पढ़ने के लिए तैयार करना
चहाता था। इस कारण गाँधी जी का प्रसंग आया।
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