कैदी और कोकिला-माखनलाल चतुर्वेदी Kaidi aur Kokila Class 9 

पाठ - कैदी और कोकिला   कवि - माखनलाल चतुर्वेदी

क्या गाती हो?
क्यों रह जाती हो
कोकिल बोलो तो!
क्या लाती हो?
सन्देश किसका है?
कोकिल बोलो तो!
इस कविता में जेल में बंद स्वाधीनता सेनानी की व्यथा को दर्शाया गया है। कैदी कोयल से पूछता है कि वह क्या गाती और बीच में चुप क्यों हो जाती है। कैदी यह जानना चाहता है कि कोयल किसका संदेश लेकर आई है।
ऊँची काली दीवारों के घेरे में
डाकू, चोरों, बटमारों के डेरे में
जीने को देते नहीं पेट भर खाना
जीवन पर अब दिन रात कड़ा पहरा है
शासन है, या तम का प्रभाव गहरा है?
हिमकर निराश कर चला रात भी काली
इस समय कालिमामयी क्यूँ आली?




कवि ने जेल के माहौल का बड़ा सटीक वर्णन किया है। जेल डाकू, चोरों जैसे खतरनाक अपराधियों का बसेरा होता है। जेल में भर पेट भोजन भी नसीब नहीं होता है। वहाँ ना जीने दिया जाता है और ना ही मरने दिया जाता है। जीवन की हर गतिविधि पर कड़ा पहरा लगा होता है। ऐसा लगता है जैसे शासन नहीं बल्कि अंधेरे का प्रभाव पड़ा हुआ है। रात इतनी बीत चुकी है कि अब चाँद भी निराश करके जा चुका है। ऐसे में कवि को आश्चर्य होता है कि कोयल जैसा निरीह प्राणि वहाँ क्या कर रहा है।

क्यों हूक पड़ी?
वेदना बोझ वाली सी
कोकिल बोलो तो
क्या लुटा?
मृदुल वैभव की रखवाली सी
कोकिल बोलो तो!

कवि को लगता है कि कोयल की आवाज में एक वेदना से भरी हूक उठ रही है। ऐसा लगता है कि कोयल का संसार लुट गया है। मनुष्य जिस मानसिक स्थिति में होता है उसी तरह के मतलब वह अपने परिवेश से भी निकालता है। यदि आप खुश हैं तो सुबह के सूरज की लाली आपको सुंदर लगेगी। दूसरी ओर, यदि आप दुखी हैं तो वही लाली आपको रक्तरंजित लगने लगेगी।

क्या हुई बावली?
अर्ध रात्रि को चीखी कोकिल बोलो तो!
किस दावानल की ज्वालायें हैं दीखी?
कोकिल बोलो तो!

कवि को लगता है कि शायद कोयल ने आधी रात में जंगल की आग की भयावहता देख ली है इसलिए चीख रही है।

क्या? देख न सकती जंजीरों का गहना?
हथकड़ियाँ क्यों? ये ब्रिटिश राज का गहना।
कोल्हू का चर्रक चूं जीवन की तान।
गिट्टी पर अंगुलियों ने लिखे गान!
हूँ मोट खींचता लगा पेट पर जूआ
खाली करता हूँ ब्रिटिश अकड़ का कूआ
दिन में करुणा क्यों जगे, रुलानेवाली
इसलिए रात में गजब ढ़ा रही आली?

कैदी के जीवन पर जेल के असर का चित्रण यहाँ हुआ है। वहाँ पर बेड़ियाँ और हथकड़ियाँ ही कैदी का गहना बन जाती हैं। कोल्हू चलने से जो चर्र चूँ की आवाज आती है वही कैदी का जीवन गान बन जाती है। कोल्हू के डंडे पर कैदियों की अंगुलियों के निशान इस तरह पड़ गये हैं जैसे उस पर गाने उकेर दिये गये हों।
कवि को लगता है कि जुआ खींच कर वह अंग्रेजों की अकड़ का कुआँ साफ कर रहा है। दिन में शायद करुणा को जागने का समय नहीं मिल पाया होगा, इसलिए रात में वह कोयल के रूप में कैदियों का ढ़ाढ़स बंधाने आई है।

इस शांत समय में,
अंधकार को बेध, रो रही हो क्यों?
कोकिल बोलो तो
चुप चाप मधुर विद्रोह बीज
इस भाँति बो रही हो क्यों?
कोकिल बोलो तो!

यहाँ पर कवि को लगता है कि कोयल चुपचाप विद्रोह के बीज बो रही है। मनुष्य की एक असीम क्षमता होती है और वो है कठिन से कठिन परिस्थिति में भी उम्मीद की किरण देखने की। कवि को यहाँ पर कोयल के गाने में उम्मीद की किरण दिख रही है।

काली तू रजनी भी काली,
शासन की करनी भी काली,
काली लहर कल्पना काली,
मेरी काल कोठरी काली,
टोपी काली, कमली काली,
मेरी लौह श्रृंखला खाली,
पहरे की हुंकृति की व्याली,
तिस पर है गाली ए आली!

यहाँ पर जेल की हर चीज को कालिमा लिए बताया गया है। काला रंग हमारे यहाँ दु:ख और बुरी भावना का प्रतीक होता है। उस कालिमापन में जब पहरे का बिगुल बजता है तो वह गाली के समान लगता है।

इस काले संकट सागर पर
मरने की, मदमाती!
कोकिल बोलो तो!
अपने चमकीले गीतों को
क्योंकर हो तैराती!
कोकिल बोलो तो!

कवि का मानना है कि कोयल अपना मधुर संगीत उस काले संकट के सागर पर बेकार खर्च कर रही है। कवि को लगता है कि कोयल अपनी जान देने को आमादा है।

तुझे मिली हरियाली डाली
मुझे मिली कोठरी काली!
तेरा नभ भर में संचार
मेरा दस फुट का संसार!
तेरे गीत कहावें वाह
रोना भी है मुझे गुनाह!
देख विषमता तेरी मेरी
बजा रही तिस पर रणभेरी!

यहाँ पर एक गुलाम और एक आजाद जिंदगी का अंतर दिखाया गया है। यह बताया गया है कि इनमे जमीन आसमान का अंतर है। जहाँ एक चिड़िया खुले नभ में घूमने को स्वच्छंद है वहीं एक कैदी को दस फुट की छोटी सी जगह में रहना पड़ता है। लोग कोयल के गाने की प्रशंसा करते हैं वही पर एक कैदी के लिए रोना भी मना है। इस विषमता को देखकर कवि का मन अंदर तक हिल जाता है।

इस हुंकृति पर,
अपनी कृति से और कहो क्या कर दूँ?
कोकिल बोलो तो!
मोहन के व्रत पर,
प्राणों का आसव किसमें भर दूँ?
कोकिल बोलो तो!

अब कवि कहता है कि कोयल की पुकार पर वह कुछ भी करने को तैयार है। मोहन का अर्थ है मोहनदास करमचंद गाँधी। कवि चाहता है कि जेल के बाहर जो भी आजाद प्राणि मिले, कोयल के द्वारा उसमें गुलामी के खिलाफ लड़ने की जान फूँक दे।


कैदी और कोकिला

NCERT Solution

प्रश्न: 1: कोयल की कूक सुनकर कवि की क्या प्रतिक्रिया थी?
उत्तर: कोयल की कूक ने कवि को अंदर तक झकझोर कर रख दिया है। वह कोयल के साथ एक संवाद स्थापित करके अपना अकेलापन दूर करना चाहता है। वह कोयल के माध्यम से कई संदेश देना चाहता है। वह कोयल की स्वच्छंदता से जलता भी है लेकिन कोयल से दोस्ती भी करना चाहता है। वह कोयल को अपनी वेदना बताना चाहता है और उसे आजादी की लड़ाई का दूत भी बनाना चाहता है।
प्रश्न: 2: कवि ने कोकिल के बोलने के किन कारणों की संभावना बताई?
उत्तर: कवि को लगता है कि कोयल किसी का संदेश लेकर आई होगी। कवि को ये भी लगता है कि कोयल वहाँ पर विद्रोह के बीज बोने आई होगी। कवि को ये भी लगता है कि कोयल उसके साथ सहानुभूति दिखाने आई होगी।
प्रश्न:3: किस शासन की तुलना तम के प्रभाव से की गई है और क्यों?
उत्तर: इस कविता में अंग्रेजी हुकूमत की तुलना तम के प्रभाव से की गई है। अंग्रेजी राज के दौरान भारत के ऊपर गुलामी का अंधेरा छा गया था। उस दौर में भारत के किसी भी व्यक्ति के पास स्वतंत्रता नहीं थी।
प्रश्न: 4: कविता के आधार पर पराधीन भारत की जेलों में दी जाने वाली यंत्रणाओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर: उस समय जेलों में कैदी को भरपेट खाना भी नहीं दिया जाता था। कैदी को रहने के लिए एक तंग कोठरी दी जाती थी जिसमें ठीक से रोशनी भी नहीं पहुँचती थी। कैदी से कोल्हू चलवाया जाता था और पत्थर तुड़वाये जाते थे। कैदी को किसी से मिलने की इजाजत नहीं थी। कैदी के लिए रोना भी मना था।
प्रश्न: 5: भाव स्पष्ट कीजिए:
(अ) मृदुल वैभव की रखवाली सी, कोकिल बोलो तो!

उत्तर: कवि को लगता है कि कोयल की आवाज में एक वेदना से भरी हूक उठ रही है। ऐसा लगता है कि कोयल का संसार लुट गया है। मनुष्य जिस मानसिक स्थिति में होता है उसी तरह के मतलब वह अपने परिवेश से भी निकालता है। यदि आप खुश हैं तो सुबह के सूरज की लाली आपको सुंदर लगेगी। दूसरी ओर, यदि आप दुखी हैं तो वही लाली आपको रक्तरंजित लगने लगेगी।
(आ) हूँ मोट खींचता लगा पेट पर जूआ, खाली करता हूँ ब्रिटिश अकड़ का कूँआ।

उत्तर: इस पंक्ति में कवि ने कैदी पर हो रहे अत्याचार के बारे में लिखा है। कैदी से कोल्हू चलवाया जाता था। दूसरे शब्दों में कैदी से किसी बैल की तरह काम लिया जाता था। लेकिन ऐसी स्थिति में भी कैदी के अंदर से देशभक्ति की भावना मिट नहीं पाती है। उसे लगता है कि कोल्हू चलाकर वह ब्रिटिश हुकूमत की अकड़ को मिटा रहा है।
प्रश्न: 6: अर्धरात्रि में कोयल की चीख से कवि को क्या अंदेशा है?
उत्तर: कवि को लगता है कि शायद कोयल ने आधी रात में जंगल की आग की भयावहता देख ली है इसलिए चीख रही है।
प्रश्न: 7: कवि को कोयल से ईर्ष्या क्यों हो रही है?
उत्तर: कवि को दो बातों से ईर्ष्या हो रही है। एक ओर तो कोयल के लिए खुला आकाश है जिसकी कोई सीमा नहीं है, वहीं दूसरी ओर कवि एक दस फुट के कमरे में बंद है। लोग कोयल के गाने की तारीफ करते हैं, लेकिन एक कैदी के लिए तो रोना भी मना है।
प्रश्न: 8: कवि के स्मृति पटल पर कोयल के गीतों की कौन सी मधुर स्मृतियाँ अंकित हैं, जिन्हें वह अब नष्ट करने पर तुली है?
उत्तर: सामान्य परिस्थिति में कोयल के गाने को सकारात्मक तौर पर देखा जाता है। कोयल का गाना प्रेम, खुशी, वसंत, आदि का प्रतीक होता है। कवि को भी कोयल के बारे में यही बातें पता हैं। लेकिन जब कोयल आधी रात को जेल में गाती है तो कवि को लगता है कि कोयल के गाने के मायने बिलकुल अलग हो गये हैं। कवि को लगता है कि कोयल अपने गाने के पुराने मतलबों को मिटा रही है।
प्रश्न: 9: हथकड़ियो को गहना क्यों कहा गया है?
उत्तर: कोई भी स्वाधीनता सेनानी किसी अपराध के कारण हथकड़ियाँ नहीं पहनता है बल्कि अपने देश की आबरू बचाने के लिए हथकड़ियाँ पहनता है। इसलिए यहाँ पर हथकड़ियों को गहना कहा गया है।
प्रश्न:10: ‘काली तू .......ऐ आली!’ इन पंक्तियों में ‘काली’ शब्द की आवृत्ति से उत्पन्न चमत्कार का विवेचन कीजिए।
उत्तर: इन पंक्तियों में ‘काली’ शब्द का उपयोग अलग-अलग अर्थों में किया गया है। इससे हिंदी भाषा की विशेषता और सौंदर्य का पता चलता है। एक ओर तो काली कोयल को सुंदर माना जाता है वहीं दूसरी ओर काल कोठरी की कालिमा को अच्छा नहीं माना जाता है। इन पंक्तियों में कवि ने काले रंग की भयावहता का सटीक चित्रण किया है और दिखाया है कि किस तरह से कालिमा हर ओर व्याप्त है।
प्रश्न:11: काव्य सौंदर्य स्पष्ट कीजिए:
(अ) किस दावानल की ज्वालाएँ हैं दीखी?

उत्तर: यहाँ पर कवि ने एक उपमा देकर अपने अंदर और बाहर की बेचैनी को चित्रित किया है। दावानल यानि जंगल की आग बड़ी भयावह होती है और बड़ी तेजी से फैलती है।
(आ) तेरे गीत कहावें वाह, रोना भी है मुझे गुनाह!
देख विषमता तेरी मेरी, बजा रही तिस पर रणभेरी!

उत्तर: इन पंक्तियों में कवि ने कोयल की आजादी और अपनी गुलामी की तुलना की है। यहाँ पर गाने और रोने के बीच की खाई को दिखाया गया है।

प्रश्न:: कवि जेल के आसपास अन्य पक्षियों का चहकना भी सुनता होगा लेकिन उसने कोकिला की ही बात क्यों की है?
उत्तर: कोयल की एक अपनी विशिष्ट पहचान होती है। कोयल का काला रंग उसकी सुरीली आवाज के साथ एक अजीब से मेल को दर्शाता है। कोयल के कूकने को वसंत के आगमन के रूप में देखा जाता है और इसे प्रेम का प्रतीक भी समझा जाता है। इन्हीं विशेषताओं के कारण कवि ने कोयल को चुना होगा।
प्रश्न:: आपके विचार से स्वतंत्रता सेनानियों और अपराधियों के साथ एक सा व्यवहार क्यों किया जाता होगा?
उत्तर: अंग्रेजों के नजरिये से देखें तो स्वतंत्रता सेनानी खतरनाक अपराधी थे क्योंकि वे अंग्रेजों के शासन के लिए खतरा बन रहे थे। इसलिए स्वतंत्रता सेनानियों और अपराधियों के साथ एक सा व्यवहार किया जाता होगा।