कविता के बहाने कविता की व्याख्या कक्षा 12 / Kavita ke bahaney poem class 12 summary and solutions

कविता के बहाने/कुँवर नारायण

कविता एक उड़ान है चिड़िया के बहाने
कविता की उडा़न भला चिड़िया क्या जाने
बाहर भीतर
इस घर उस घर
कविता के पंख लगा उड़ने के माने
चिड़िया क्या जाने?


कविता एक खिलना है फूलों के बहाने
कविता का खिलना भला फूल क्या जाने
बाहर भीतरइस
घर उस घर
बिना मुरझाए महकने के माने
फूल क्या जाने?

कविता एक खेल है बच्चों के बहाने
कविता की उडा़न भला चिड़िया क्या जाने
बाहर भीतर
यह घर वह घर
स्ब घर एक कर देने के माने
बच्चा ही जाने।



कुंवर नारायण की यह कविता छंद मय भी है और छंद से मुक्त भी। इस कविता में कवि ने कविता में छह पंक्तियों वाला एक नया ही छंद निर्मित कर दिया है। ऐसा उन्होंने सायास नहीं किया है। अभिव्यक्ति के दौरान उसका स्वाभाविक निर्माण हो गया है।

यह कवि का अपना काव्य-शिल्प है। अपनी अभिव्यक्ति के लिये उन्हें जो षिल्प अनुकूल लगा, उन्होंने उसे सृजित कर लिया है। यह भी एक सजग कवि का कौशल ही है।

कवि की भाव-भूमि : पिछली सदी के छठवें दषक में कुंवर नारायण जी ने कविता रचना षुरु की थी। वे ‘नयी कविता’ वाले समय के कवि हैं। उनकी कविता में सहजता है। उलझाव वाली शैली नहीं है। विवरण मात्र प्रस्तुत करने वाला सरलीकरण भी नहीं है। वैचारिकता की अन्तर्धारा तो है, पर उसका घटाटोप नहीं है कि कविता उसमें खो जाये। सादगी और स्पष्टता है। यथार्थ की खरोंचें कविता में आती हैं, पर उसकी जीवंतता बाधित नहीं होती।

कविता की भाव-भूमि : कविता असल में क्या होती है, उसके इसी अर्थ को खोलने की कोशिश कवि ने की है। प्रकृति अपने आप में बड़ी और महत्वपूर्ण शक्ति है, पर वह प्रकृति के ही अन्य रूप, यानी एक बच्चे की तुलना में सीमाबद्ध ही होती है। बच्चे, चिड़िया और फूल की बनिस्पत बड़ी संभावना हैं। उनके सपने और आकांक्षाओं की परिधि असीम है। बिंबों और प्रतीक विधान से भी यह कविता समृद्ध है।

संदर्भ : प्रस्तुत कविता हमारी पाठ्य पुस्तक ‘आरोह’ के ‘कविता बहाने’ षीर्शक से ली गयी है। इसके रचनाकार कुंवर नारयण जी हैं।

प्रसंग : कविता के वजूद के तात्पर्य को कवि ने चिड़िया, फूल और बच्चे के माध्यम से स्पष्ट किया है।

व्याख्या : कवि यहां पर बता रहे हैं कि असल में एक कविता के मायने या तात्पर्य क्या होते हैं। वे कहते हैं कि जिस तरह चिड़िया अपने पंखों के सहारे उड़ान भरती है, उसी तरह कविता भी कवि के हृदय में उत्पन्न होने वाले विचारों की ऐसी उड़ान है, जो अनंत तक पहुंचना चाहती है।

कुंवर नारायण पहली पंक्ति में कविता और चिड़िया में एक समानता दर्षाते हैं, परंतु वे अगली ही पंक्ति में इसे उलट देते हैं। कहते हैं कि कविता उड़ान तो है, पर कविता में व्याप्त कल्पनाओं की उड़ान चिड़िया की उड़ान से भिन्न है।

कविता अपने अंदर मनुष्य समाज की जिन चिंताओं को लेकर उनके निदान खोजने की तलाश में उड़ती फिरती है। मनुष्य के अंदर और बाहर की यात्रा करती हैं यहां से वहां और वहां से यहां पड़ताल करने में जुटी रहती है। उसके इस भाव को चिड़िया समझ पाने में असमर्थ ही होती है।

चिड़िया की उड़ान की एक सीमा है, पर कविता की उड़ान और उद्देश्य सीमाहीन हैं।अगले छंद में कविता की तुलना फूल से करते हुए, कवि कहते हैं कि जिस तरह एक फूल खिलता है, उसी तरह एक कविता भी खिलती है। वह फूल कह तरह ही अपनी सुगंध बिखेरती है। पर बावजूद इसके कविता के चिलने औ।र फूल के खिलने में मौलिक अंतर होता है। कविता सात्विकता का, सकारात्मकता का और सृजनात्मकता का संदेष फैलाती है। फैलाती ही रहती है। वह अमर होती है। उसका संदेश अमर होता है।

आज कबीर, तुलसी, सूरदास नहीं हैं, पर उनकी कहिवता और कविता में व्याप्त संदेश है। आगे भी रहेगा। पर फूल एक अवधि के बाद मुरझा जाता है। उसका खिलना क्षणभंगुर है। सीमित है। इसलिये फूल कविता से पीछे रह जाता है। कविता उससे आगे निकल जाती है।

तीसरे छंद में कवि, कविता की तुलना एक बच्चे से करते हैं। वे कहते हैं कि बच्चा जैसे खेलता है, कविता भी वैसा ही एक खेल है। खेल यहां अपने व्यापक अर्थ में आया है। बच्चे का खेलना उसके आंतरिक उद्गारों का साकार होकर सामने आ जाना है। वह बच्चे की आत्मा की अभिव्यक्ति है।

बच्चा निष्कलुष होता है। मेरा घर-तेरा घर, इसका घर-उसका घर ऐसे भेद वह नहीं करता। सब तरफ दौड़ता-भागता, जाता-पहुंचता है। सब घर उसके अपने घर हैं। संसार ही उसका है। कविता भी भेद नहीं करती। वह भी संसार को जोड़कर देखने की आदी होती है। इसलिये कविता बच्चे के अर्थ को और बच्चा कविता के अर्थ को जानने में सक्षम होते हैं।

तात्पर्य यह भी है कि कविता कोरी कल्पनाओं और आत्म-मुग्धता में डूबा रहने वाला सृजन न होकर, जीवन के साथ जुड़ाव रखने वाला सृजन होता है।

पद सौष्ठव :

1 ‘
कविता एक उड़ान है चिड़िया के बहाने’, ‘कविता एक खिलना है फूलों के बहाने’ और ‘ कविता एक खेल है बच्चों के बहाने’ – उत्प्रेक्षा अलंकार।
2 ‘
कविता की उडा़न भला चिड़िया क्या जाने’ और ‘कविता का खिलना भला फूल क्या जाने’ में विरोधाभास अलंकार है।
3
कविता की भाशा सरल और आकर्षक है। सपाट नहीं।
4
कविता के गुण और तात्पर्य बताये गये हैं।
5
बिंबों और प्रतीक विधान से भी कविता समृद्ध है।

विशेष : कवि, कविता की नयी परिभाषा घड़ता हुआ प्रतीत होता है।

प्रश्न : 1 इस कविता के बहाने बताएँ कि ‘सब घर एक कर देने के माने‘ क्या है?
उत्तर : इस कविता के बहाने ‘सब घर एक कर देने के माने‘ यह हैं कि एक बच्चा अपने मन से निष्कलुष होता है। उसके मन में अपने-पराये का कोई भेद नहीं होता। इसी तरह एक सार्थक और सामाजिक सरोकार रखने वाली कविता भी भेदभावों से परे होती है।

प्रश्न : 2: उड़ने‘ और ‘खिलने‘ का कविता से क्या संबंध बनता है?
उत्तर : ‘उड़ने‘ का कविता से यह संबंध बनता है कि वह असीम कल्पना और परिकल्पनाएं कर सकती है। इसी तरह ‘खिलने‘ से कविता का यह संबंध बनता है कि उसकी सार्थकता कालजयी होती है। एक बेहतर और सामाजिक सरोकारों से बंधी कविता का प्रभाव सदा बना रहता है। वह सुगंध रूपर अपना संदेष सदैव देती रहती है।

प्रश्न : 3 कविता और बच्चे को समानांतर रखने के क्या कारण हो सकते हैं?
उत्तर : कविता और बच्चे को समानांतर रखने के कारण यह हैं –
अ. दोनों ही निष्कलुष होते हैं।
ब. दोनों किसी से भेदभाव नहीं करते।
स. दोनों के हृदय प्यार और सहजता से भरे होते हैं।
द. दोनों ही अपनी बाहों में सारे संसार को समेट लेने की आकांक्षा रखते हैं।

प्रश्न : 4 कविता के संदर्भ में ‘बिना मुरझाए महकने के माने‘ क्या होते हैं?
उत्तर : कविता के संदर्भ में ‘बिना मुरझाए महकने के माने‘ यह होते हैं कि एक सार्थक और सामाजिक सरोकारों से जुड़ी कविता समयातीत होती है। फूल तो एक अवधि के बाद मुरझा जाता है, पर कविता अपनी सार्थकता कभी नहीं खोती। जैसे कबीर, सूर, तुलसी, निराला और मुक्तिबोध की रचनाओं की ताजगी और संदर्भ आज भी बना हुआ है।