महिला सशक्तिकरण पर निबंध /Essay on Women Empowerment in Hindi/नारी सशक्तिकरण पर निबंध/भारत की नारी/आधुनिक नारी/

महिला सशक्तिकरण पर निबंध /Essay on Women Empowerment in Hindi/नारी सशक्तिकरण पर निबंध/भारत की नारी/आधुनिक नारी/



महिला सशक्तिकरण पर निबंध /Essay on Women Empowerment in Hindi/नारी सशक्तिकरण पर निबंध/भारत की नारी/आधुनिक नारी/


 नारी आदिकाल से मां, बहन, पत्नी, मित्र आदि अनेकों रूपों में मानव समाज के सामने आती रही है। पुरुष और महिला जीवन रूपी रथ के दो समान पहिये हैं। उनमें से किसी एक के बिना जीवन अधूरा रह जाता है। नारी पत्नी के रूप में परामर्श दात्री और मां के रूप में हमारी गुरु है। इसलिए जीवन रूपी रथ को चलाने के लिए उसके दोनों पहिये जरूरी है। अर्थात पुरुष और महिला दोनों का समान महत्व है। दोनों का सफल होना अनिवार्य है।

 महिला वर्ग की स्थिति को सुधारने हेतु उन्हें शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार देना अनिवार्य है। क्योंकि शिक्षा के अभाव में उनमें अज्ञानता पैदा हो गई। जिसके कारण उनके जीवन के चित्र कुरूप होने लगे। अज्ञानता के कारण ही स्त्रियों में हीन भावना उत्पन्न हो गई तथा उस पर तरह-तरह के अत्याचार होने लगे। किंतु आधुनिक युग में इस बात को अनुभव किया गया कि यह सब शिक्षा के अभाव में ही हुआ है। इस स्थिति से बचने के लिए महिलाओं को शिक्षा का अधिकार देना अनिवार्य है। एक स्वस्थ समाज के निर्माण हेतु महिलाओं का ज्ञानवान होना अनिवार्य है। शिक्षा ग्रहण करके आज महिलाओं जीवन के हर क्षेत्र में पुरुष के समान आगे बढ़ने लगी हैं। आज महिला योग्य डॉक्टर, योग्य प्रशासक, योग्य प्राध्यापक, योग्य व्यवस्थापिका, यहां तक कि कुशल पुलिस अधिकारी और सेनानायिका भी बन गई है।

 आज भारत में नारी को संविधान द्वारा समानता का अधिकार प्रदान किया गया है। इससे पूर्व नारी को पुरुष ने अपने समान नहीं समझा था। आज नारी को न केवल मतदान करने का ही अधिकार दिया गया है, अपितु उसे हर क्षेत्र में बड़े से बड़े पद पर आसीन होने का समान अधिकार है। आज नारी पुरुष के समान जिला परिषद, नगर परिषद, विधानसभा, लोकसभा आदि सभी छोटे-बड़े चुनाव में भाग ले सकती है। इसी प्रकार आर्थिक और सामाजिक क्षेत्र में भी महिलाओं को समानता का अधिकार प्राप्त है। इससे महिला का समाज में न केवल आत्मसम्मान ही बड़ा अपितु उसमें नवचेतना भी जागृत हुई है। जिसके बल पर महिला वर्ग आज नए लक्ष्यों को प्राप्त कर रहा है। उसने अपनी शक्ति को पहचान लिया है।

 जीवन में न्याय मिलना थी अनिवार्य है। महिलाओं के संदर्भ में तो यह बात और भी अधिक अनिवार्य हो जाती है, क्योंकि हमारे समाज में महिला वर्ग के प्रति अत्यधिक शोषण, अन्याय, अत्याचार होते रहे हैं। आज भी स्वतंत्र भारत में महिलाओं को पूर्ण न्याय नहीं मिल पाता। पुरुष प्रधान समाज में कदम-कदम पर महिलाओं पर अत्याचार और अन्याय हो रहा है। न्याय की दृष्टि से पुरुष और महिला को समान समझा जाना चाहिए। आज नारियों को दहेज न लाने के कारण अनेक प्रकार से पीड़ित किया जाता है। यहां तक कि उन्हें आत्महत्या करने के लिए विवश कर दिया जाता है या जीवित जला दिया जाता है। ऐसा कुकर्म करने वाले व्यक्ति को कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए।

महिलाओं को पुरुषों के समान विचार अभिव्यक्त करने का अधिकार होना चाहिए। विचार लिखकर या बोलकर ही व्यक्त किए जा सकते हैं। वह राष्ट्र ही सभ्य अथवा उन्नत कहा जा सकता है जहां हर नागरिक विचार अभिव्यक्त करने की स्वतन्त्रता होती है। महिलाओं को यदि बोलकर या लिखकर भाषण देने का अधिकार नहीं होगा तो उनका बौद्धिक विकास संभव नहीं होगा। बुद्धि और प्रतिभा का विकास न होने के कारण वे अनेक प्रकार की कुरूपता ओं से ग्रस्त हो ग्रस्त हो जाएंगी। अतः महिला वर्ग को विचारों को अभिव्यक्त करने का अधिकार अवश्य मिलना चाहिए।

 महिलाओं को सामाजिक स्वतंत्रता का अधिकार भी मिलना चाहिए। हमारे समाज में महिला वर्ग पर अनेक सामाजिक अन्याय व अत्याचार किए जाते रहे हैं। उसे पुरुष की इच्छा अनुसार पर्दा प्रथा का पालन करना पड़ता है। इसी प्रकार विवाह को लेकर उसके साथ सामाजिक अन्याय किया जाता है। जिस पुरुष के साथ उसका विवाह किया जाता है। उसके संबंध में महिलाओं की इच्छा के विरुद्ध उनका विवाह कर दिया जाता है। इस प्रकार सामाजिक स्वतंत्रता के अभाव में नारी का जीवन अत्यंत कष्टमय बन जाता है। उन्हें स्वतंत्रता का अधिकार मिलना चाहिए, ताकि वह अपनी इच्छा अनुसार विवाह कर सके और अपना जीवन सुखमय व्यतीत कर सकें।

 आज का युग स्वतंत्रता का युग है। संविधान में सभी नागरिकों को राजनीतिक स्वतंत्रता का अधिकार दिया गया है। महिलाओं को भी राजनीति में सक्रिय भाग लेने की स्वतंत्रता होनी चाहिए ताकि वे विधानसभा और लोकसभा में जाकर महिलाओं के पक्ष में आवाज उठा सकें। उनके अधिकारों की सुरक्षा कर सके और उन पर हो रहे तरह-तरह के अत्याचारों को सामने ला सकें। भारत वर्ष में राजनीतिक क्षेत्र में महिलाओं के लिए स्थान सुरक्षित कर दिए गए हैं। आज महिलाओं के लिए ग्राम पंचायत से लेकर लोकसभा तक में महिला वर्ग के स्थान सुरक्षित हैं।