![]() |
Sandhi (Seam)-संधि |
- विद्या + आलय =विद्यालय
- दु: + जन= दुर्जन
- देव + इंद्र= देवेंद्र
- रेखा + अंकित = रेखांकित
- स्वर संधि
- व्यंजन संधि
- विसर्ग संधि
1. स्वर संधि
जब दो स्वर आपस में जुड़ते हैं या दो स्वरों के मिलने से उनमें जो परिवर्तन आता है, तो वह स्वर संधि कहलाती है। जैसे :
- विद्यालय : विद्या + आलय
इस उदाहरण में आप देख सकते है कि जब दो स्वरों को मिलाया गया तो मुख्य शब्द में हमें अंतर देखने को मिला। दो आ मिले एवं उनमे से एक आ का लोप हो गया।
स्वर संधि के भेद:
- दीर्घ संधि
- गुण संधि
- वृद्धि संधि
- यण संधि
- अयादि संधि
1. दीर्घ संधि
संधि करते समय अगर (अ, आ) के साथ (अ, आ) हो तो ‘आ‘ बनता है, जब (इ, ई) के साथ (इ , ई) हो तो ‘ई‘ बनता है, जब (उ, ऊ) के साथ (उ ,ऊ) हो तो ‘ऊ‘ बनता है। जब ऐसा होता है तो हम इसे दीर्घ संधि कहते है।
2. गुण संधि
जब संधि करते समय (अ, आ) के साथ (इ , ई) हो तो ‘ए‘ बनता है, जब (अ ,आ)के साथ (उ , ऊ) हो तो ‘ओ‘ बनता है, जब (अ, आ) के साथ (ऋ) हो तो ‘अर‘ बनता है तो यह गुण संधि कहलाती है।
3. वृद्धि संधि
जब संधि करते समय जब अ , आ के साथ ए , ऐ हो तो ‘ ऐ ‘ बनता है और जब अ , आ के साथ ओ , औ हो तो ‘ औ ‘ बनता है। उसे वृधि संधि कहते हैं।
4. यण संधि
जब संधि करते समय इ, ई के साथ कोई अन्य स्वर हो तो ‘ य ‘ बन जाता है, जब उ, ऊ के साथ कोई अन्य स्वर हो तो ‘ व् ‘ बन जाता है , जब ऋ के साथ कोई अन्य स्वर हो तो ‘ र ‘ बन जाता है।
5. अयादि संधि
जब संधि करते समय ए , ऐ , ओ , औ के साथ कोई अन्य स्वर हो तो (ए का अय), (ऐ का आय), (ओ का अव), (औ – आव) बन जाता है। यही अयादि संधि कहलाती है।
2. व्यंजन संधि
जब संधि करते समय व्यंजन के साथ स्वर या कोई व्यंजन के मिलने से जो रूप में ओअरिवर्तन होता है, उसे ही व्यंजन संधि कहते हैं।
उदाहरण :
- दिक् + अम्बर = दिगम्बर
- अभी + सेक = अभिषेक
- दिक् + गज = दिग्गज
- जगत + ईश = जगदीश
3. विसर्ग संधि
जब संधि करते समय विसर्ग के बाद स्वर या व्यंजन वर्ण के आने से जो विकार उत्पन्न होता है, हम उसे विसर्ग संधि कहते हैं।
उदाहरण:
- अंतः + करण : अन्तकरण
- अंतः + गत : अंतर्गत
- अंतः + ध्यान : अंतर्ध्यान
- अंतः + राष्ट्रीय : अंतर्राष्ट्रीय
0 टिप्पणियाँ