आतंकवाद की समस्या / विश्व में फैलता आतंकवाद /भारत में आतंकवाद की समस्या / Essay on Terrorism in Hindi
आतंकवाद आज एक विश्वव्यापी समस्या बन चुकी है । आतंकवाद
संसार के प्रत्येक राष्ट्र के लिए गंभीर
चुनौती उपस्थित करता है । अमेरिका की 11 सितंबर की घटना, भारत के संसद भवन पर आतंकवादियों द्वारा हमला, रूस
के एक स्कूल में छात्रों की हत्या, इराक, ईरान, चीन आदि में होने वाले बम विस्फोट, इंग्लैंड की भूमिगत ट्रेन में बम धमाके, पुलवामा
में सीआरपीएफ के काफिले पर हमला आदि सभी घटनाएं सिद्ध करती हैं कि आज सारा संसार
आतंकवाद के शिकंजे में जकड़ा हुआ है । विशेषकर भारत के अभिन्न अंग जम्मू-कश्मीर
में आतंकवाद की घटनाएं प्रतिदिन होती रहती हैं । जिससे हजारों निर्दोष लोगों की
जानें चली जाती है । आतंकवाद के अनेक अनेक रूप हैं । इसे परिभाषित करना बड़ा कठिन
है ।
आतंकवाद का अर्थ
निर्दोष लोगों की हत्या करके, भीड़
वाले स्थानों पर बम फेंक कर या अंधाधुंध गोलियां चलाकर लोगों में भय उत्पन्न करना
ही आतंकवाद है । इसके अतिरिक्त अभी आतंकवादी विज्ञान के नवीनतम साधनों का प्रयोग
कर विमानों का अपहरण करने में भी पीछे नहीं हटते । रूस और अमेरिका जैसे शक्तिशाली
देशों में आतंकवादी घटना होने से पता चलता है कि आतंकवाद कितनी गहरी जड़ें जमा
चुका है । धीरे-धीरे आतंकवाद ने पूरे विश्व को अपनी चपेट में ले लिया है ।
आतंकवाद के कारण
वस्तुत आतंकवाद ऐसे स्वार्थी व नीच लोगों द्वारा
फैलाया जाता है, जो दूसरे के घर जला कर अपनी रोटियां सेकते हैं और दूसरों के खून से
अपनी प्यास बुझाते हैं । आतंकवादी चाहे किसी गरीब परिवार से आए हो, किसी व्यापार से जुड़े हो या किसी देश की सरकार के मुख्य अंग बने हुए हो, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता । दूसरे शब्दों में यह कहा जा सकता है कि गरीब
किंतु स्वार्थी व्यक्ति से लेकर किसी देश का नेता तक आतंकवादी गतिविधियों से जुड़ा
हो सकता है । उदाहरण के लिए पाकिस्तान के शासक समय-समय पर अपनी सत्ता को बचाने के
लिए कश्मीर को आतंकवाद में झोंकते रहते हैं । इसके लिए वे अपने देश के गरीब
नागरिकों को धन का लालच देकर भाड़े के लड़ाकू बनाकर भेजते हैं । अधिकांश देशों में
आतंकवादी घटनाएं भाड़े के सैनिकों से ही करवाई जाती हैं ।
सांप्रदायिकता का विष
धार्मिक कट्टरता आतंकवाद का एक प्रमुख कारण माना जाता
है । आज के वैज्ञानिक युग में भी धर्म के नाम पर ये लोग निर्दोष लोगों की जानें
लेने से भी नहीं चूकते । हमारा पड़ोसी देश पाकिस्तान तथा कुछ मुस्लिम राष्ट्र अन्य
धर्मों के प्रति असहिष्णु हैं । वह संकीर्ण धार्मिक भावनाओं के शिकार हैं । इस प्रकार के
राष्ट्र ही आतंकवाद को बढ़ावा दे रहे हैं ।
इन राष्ट्रों
ने धर्म और राजनीति का एकीकरण कर दिया है । जो लोग उनकी धार्मिक परिधि से बाहर हैं, उनके
प्रति यह लोग घृणा की भावना रखते हैं । कश्मीर का उदाहरण हमारे सामने हैं । ऐसे ही
धर्मांध उग्रवादियों के कारण लाखों हिंदू पंडितों को अपना घर-बार छोड़ना पड़ा । पाकिस्तान
की सरकार इस प्रकार के लोगों को घातक हथियार प्रदान कर रही है ।
आतंकवाद के दुष्परिणाम
आतंकवाद के भयंकर दुष्परिणाम निकलते हैं । इससे जन-धन
की हानि होती है । विश्व भर में सैंकड़ों लोग आतंकवाद की चपेट में आकर या तो मारे
जाते हैं या अपंग हो जाते हैं । भवनों, दुकानों, मकानों को बंबों से उड़ा दिया जाता हैं । अधिकांश देश आतंकवाद रोकने के लिए
लाखों करोड़ रुपये खर्च करते है जो गरीबों के विकास के काम आ सकता था । आतंकवाद के
कारण बहुत सारी महिलाएं विधवा तथा छोटे-छोटे बच्चे अनाथ हो जाते हैं ।
आतंकवाद रोकने के उपाय
यह तो निश्चित है कि सभी आतंकवादी आधुनिक हथियारों से
लड़ते हैं । यदि सभी देशों की सरकारें यह सुनिश्चित कर लें कि उनके देश में बनने
वाले हथियार सीमित होंगे और उनकी कड़ी सुरक्षा होगी तथा उन्हें खुले बाजार में
नहीं भेजा जाएगा तो निश्चित ही इस कदम से आतंकवाद पर काबू पाया जा सकता है । सभी
देशों को मिलकर आतंकवाद के विरुद्ध मोर्चा खोलना होगा । यह एक विडंबना ही रही है
कि जब अमेरिका ने वियतनाम पर कब्जा करने की कोशिश की तब रूस ने वहां हथियार व धन भेजा । इस प्रकार
जब रूस ने अफगानिस्तान में अपने सैनिक भेजे तब अमेरिका ने वहां के मुजाहिदीनों को
हथियार दिए ताकि वे रूसी सेना को मारकर भगा सके । आज यह दोनों ही देश अपने द्वारा
उत्पन्न किए गए आतंकवाद रूपी राक्षस से त्रस्त हैं ।
उपसंहार
आतंकवाद न केवल किसी व्यक्ति,
परिवार, समाज या देश के लिए घातक है,
बल्कि यह पूरी मानवता पर कलंक है । सभी देशों को मिलकर इसका डटकर सामना करना चाहिए
। जो भी देश, संगठन या व्यक्ति आतंकवाद को बढ़ाने में सहयोग
देता है, उसे समाप्त कर देना चाहिए । तभी विश्व में शांति
स्थापित हो सकेगी ।
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