
आत्मनिर्भर भारत में विज्ञान और तकनीक का योगदान | Roll of science and technology in make in India (Atamnirbhar Bharat)

आत्मनिर्भर भारत में विज्ञान और तकनीक का योगदान | Roll of science and technology in make in India (Atamnirbhar Bharat)
आत्मनिर्भरता
एक व्यापक संकल्पना है जिसमें स्वाभिमान और स्वावलंबन जैसे दो अहम पहलू समाहित
होते हैं। आत्मनिर्भरता एक व्यक्ति से आरंभ होते हुए, परिवार, समाज
और राष्ट्र पर आकर पूरी होती है। इसे प्राय: आर्थिक मजबूती से जोड़कर देखा जाता है।
मगर इसमें नागरिक संप्रभुता, सामाजिक समरसता, विज्ञान, तकनीक, नवाचार, परस्पर विश्वास जैसे अंगों का महत्व कतई कम नहीं होता
है।
भारत
के प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने आत्मनिर्भर भारत की सोच और योजना को देश
के सामने रखा है। यह संकल्पना 12 मई 2020 को तब
प्रकाश में आई जब प्रधान मंत्री कोरोना वायरस से संबंधित आर्थिक पैकेज की घोषणा कर
रहे थे। इस आत्मनिर्भर भारत मिशन का लक्ष्य दुनिया के देशों से परस्पर
साझेदारी-सहयोग को आगे बढ़ाते हुए भारत को अपने पैरों पर खड़े होने का है। इस नए
आगाज में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश और तकनीक का स्वागत है। आत्मनिर्भर भारत का
निहितार्थ देश को वैश्विक अर्थव्यवस्था का एक बड़ा और महत्वपूर्ण हिस्सा बनाने से
है।
इस
अभियान में स्थानीय उत्पादकों (लोकल मैन्यूफैक्चरर) और सेवा प्रदाताओं को सशक्त (वोकलफॉर लोकल) बनाने पर बल दिया गया है। इससे देश की अर्थव्यवस्था और जीवन स्तर
में सुधार होगा। इस अभियान के अंतर्गत उत्पादन से लेकर आपूर्ति के हर एक क्षेत्र
में देश को आत्मनिर्भर बनाना है ताकि बाहरी देशों से वस्तुओं. सेवाओं के आयात में
कमी आए और हमारी सामग्रियों के निर्यात में वृद्धि हो। इस तरह भविष्य की किसी आपदा
से देश कम से कम प्रभावित होगा।
मार्च
2020 से
पूर्व भारत में पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट (पीपीई) का उत्पादन नगण्य था। मई 2020 में
यह 150000 प्रतिदिन
हो गया। महज दो महीने के भीतर भारत में 7000 करोड़ का पीपीई उद्योग खड़ा हो गया और चीन के बाद
दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा पीपीई उत्पादक देश हमारा देश भारत बन गया। यह आत्मनिर्भर
भारत मिशन की कामयाबी का एक नायब उदाहरण है।
आत्मनिर्भर भारत मिशन की मुख्य बातें
1. केंद्र सरकार
द्वारा ‘आत्मनिर्भर भारतअभियान’ की घोषणा का अहम
लक्ष्य अर्थव्यवस्था के हर एक क्षेत्र से मांग, आपूर्ति और उत्पादन
को प्रोत्साहन देना है ताकि भारत भविष्य में होने वाले किसी भी संकट या अनहोनी से
निपटने हेतु पर्याप्त सक्षम तथा आत्मनिर्भर हो जाए।
2. आत्मनिर्भर भारत
मिशन से संबंधित पैकेज को चार हिस्सों में बांटा गया है और प्रत्येक भाग में
महत्वपूर्ण क्षेत्र समाहित हैं।
3. इस मिशन का
महत्वपूर्ण उद्देश्य देश के वंचित और कमजोर समुदाय को स्वावलंबी बनाने के लिए
उन्हें आर्थिक सहयोग प्रदान करना है। इसके तहत सूक्ष्म, लघु और मंझोले
उद्योगों को आर्थिक सहायता देकर उन्हें रोजगार के प्लेटफार्म में तब्दील करना है।
4. सूक्ष्म, लघु और मंझोले
उद्योगों के अतिरिक्त कृषि तथा इससे जुड़ी गतिविधियों को भी महत्व दिया गया है।
5. विभिन्न क्षेत्रों
में निजी भागीदारी की संभावना को प्रोत्साहन देना।
6. रक्षा क्षेत्र में
एफडीआई की अभिवृद्धि करना।
7. इस मिशन को सहयोग
देने के उद्देश्य से आईआईटी एलुमनाई काउंसिल द्वारा देश में 21000 करोड़ का सबसे बड़ा
फंड स्थापित किया गया।
8. रिलायंस जियो द्वारा जुलाई 2020 में मेड इन इंडिया 5जी नेटवर्क की
घोषणा की गई। यह कंपनी शत प्रतिशत स्वदेशी तकनीक के उपयोग से भारत में वर्ल्ड
क्लास 5जी सेवा की शुरुआत
करने जा रही है।
कोविड-19 की
विश्वव्यापी महामारी के परिणामस्वरूप लॉकडाउन से देश की घरेलू आर्थिक गतिविधियों
जैसे कि निवेश, निर्यात
आदि में लगभग 70 प्रतिशत
ठहराव उत्पन्न हो गया। इसके कारण देश की जीडीपी में वृद्धि थम गई। इस स्थिति से
देश को उबारने और मंद पड़ चुकी अर्थव्यवस्था को गति प्रदान करने के उद्देश्य से इस
आत्मनिर्भर भारत अभियान की घोषणा की गई। इसके अंतर्गत 20 लाख
करोड़ के आर्थिक पैकेज की घोषणा की गई जो राष्ट्रीय जीडीपी के 10 प्रतिशत
के बराबर है।
आत्मनिर्भर भारत
अभियान पैकेज के मुख्य हिस्से:
कोविड-19 से
देश और दुनिया अब धीरे-धीरे उबरने की राह पर दिख रही है या यूं कहें कि हम सबको अब
इसके साथ जीने की आदत पड़ने लगी है। तो इस व्यापक महामारी के साथ और इसके बाद ‘आत्मनिर्भर’ भारत
का जो सपना है, उससे
जुड़े आर्थिक पैकेज की बात है, आइये उसके चारों महत्वपूर्ण हिस्सों के बारे में थोड़ी
जानकारी करते चलें।
आत्मनिर्भर भारत
अभियान का पहला हिस्सा
इस
हिस्से में सूक्ष्म, लघु
एवं मंझोले उद्यमों (एमएसएसई), एनबीएफसी-एचएफसी, कांट्रेक्टरों, रियल एस्टेट सेक्टर और वेतनभोगी लोगों के लिए अनुदान
तथा साथ ही ॠण गारंटी दी जाएगी। आत्मनिर्भर भारत अभियान पैकेज से इस हिस्से के
अंतर्गत 594550 करोड़
का प्रावधान किया गया है।
आत्मनिर्भर भारत
अभियान का दूसरा हिस्सा
राहत
पैकेज के इस हिस्से के अंतर्गत प्रवासी श्रमिकों, छोटे किसानों, स्ट्रीट वेंडर और निर्धन लोग आच्छादित किए गए हैं तथा
इसमें 310000 करोड़
का प्रावधान सरकार ने किया है।
आत्मनिर्भर भारत
अभियान का तीसरा हिस्सा
इसके
अधीन 150000 करोड़
का प्रावधान सरकार द्वारा किया गया है। इसमें मुख्य फोकस कृषि और इससे जुड़े
क्षेत्र जैसे कि डेयरी, पशुपालन
और मत्स्यपालन को सशक्त बनाना है।
आत्मनिर्भर भारत अभियान का चौथा हिस्सा
अभियान
के इस हिस्से में 48100 करोड़
का प्रावधान है और इसमें 8 सेक्टरों
को सम्मिलित किया गया है। ये 8 सेक्टर हैं-ं कोयला, खनिज, रक्षा उत्पादन, एयरस्पेस प्रबंधन, सामाजिक बुनियादी ढांचे से संबद्ध परियोजनाएं, विद्युत
वितरण कंपनी, अंतरिक्ष
सेक्टर और परमाणु ऊर्जा।
आत्मनिर्भर
भारत अभियान के अंतर्गत रक्षा अनुसंधान एवं उत्पादन
आत्मनिर्भर
भारत अभियान के अंतर्गत रक्षा अनुसंधान और इससे जुड़ी तकनीकों तथा सुविधाओं के
उत्पादन के क्षेत्रों को भी तवज्जो प्रदान की गई है। देश की सुरक्षा से जुड़े इस
अहम सेक्टर में आत्मनिर्भरता मायने रखती है। रक्षा अस्त्रों की एक सूची केंद्रीय
वित्त मंत्री ने जारी कर इनके आयात पर प्रतिबंध लगाने की बात कही है। उनका आशय इन
अस्त्रों से जुड़े शोध और उत्पादन भारत की स्वदेशी तकनीकों से ही किया जाएगा तथा
इनकी खरीद भी केवल देश के भीतर की जाएगी अर्थात इन अस्त्रों की खरीद विदेशों से
नहीं होगी। इन अस्त्रों के स्पेयर पार्ट्स के शीघ्र स्वदेशी विकल्प विकसित करने पर
भी सरकार ने बल दिया है।
अंतरिक्ष विज्ञान में मेक इन इंडिया
इसके
अंतर्गत निजी सेक्टर को अंतरिक्ष अन्वेषण के मामले में पहल करने के लिए प्रोत्साहन
दिया जाएगा। इन प्राइवेट सेक्टर को इस महत्वपूर्ण क्षेत्र में अत्याधुनिक अनुसंधान
तथा कौशल विकास के लिए इसरो तक पहुंच बनाने की सुविधा भी मुहैया की जाएगी।
भारत
सरकार की योजना के अनुसार सरकारी सेक्टर के साथ निकट भविष्य में निजी सेक्टर को भी
आउटर स्पेश की सैर की इजाजत दी जाएगी। तकनीक उद्यमियों को रिमोट सेंसिंग डाटा
उपलब्ध कराने के लिए एक उदार भू-आकाशीय डाटा पॉलिसी बनाई जाएगी।
भारत
में निजी सेक्टर को अंतरिक्ष अन्वेषण से जोड़ने की पहल के फलस्वरूप उपग्रह, प्रक्षेपण
और अंतरिक्ष आधारित सेवाओं के मामलों में आत्मनिर्भरता आएगी।
आत्मनिर्भर भारत अभियान के अंतर्गत परमाणु ऊर्जा अनुसंधान
आत्मनिर्भर
भारत अभियान के अंतर्गत परमाणु ऊर्जा अनुसंधान को भी शामिल किया गया है। कैंसर के
किफायती उपचार के लिए मेडिकल आइसोटोप के उत्पादन की दिशा में परमाणु ऊर्जा
अनुसंधान सुनिश्चित किया जाना है। यह अनुसंधान सार्वजनिक-निजी साझेदारी (पीपीपी)
मोड में किया जाएगा।
फूड
प्रासेसिंग सेक्टर में विकिरण तकनीक का इस्तेमाल कर उपयुक्त वैज्ञानिक सुविधाएं भी
स्थापित की जाएंगी। यह सुविधा कृषि सुधार में सहायता करने के साथ किसानों को
आत्मनिर्भर भी बनाएगी।
सूक्ष्म, लघु और मंझोले उद्यम
देश
की आबादी का एक बड़ा अनुपात गैर कृषि सेक्टर से संबंध रखता है और इसके अंतर्गत लगभग
67 मिलियन
सूक्ष्म, लघु
एवं मंझोले उद्यम क्रियाशील हैं। इन उद्यमों को सक्रिय और सशक्त बनाने के लिए
आत्मनिर्भर भारत अभियान के अंतर्गत इन्हें सरकार 3 लाख करोड़ का ॠण प्रदान करेगी। इस ॠण की समय अवधि 4 साल
होगी जिसमें 12 महीने
की मोरेटोरियम अवधि सम्मिलित है। इसके अलावा अत्यंत कमजोर एमएसएमई को सरकार 20000 करोड़
का ॠण मुहैया कराएगी।
सरकार द्वारा एमएसएमई को एक नई परिभाषा दी गई है जिसमें उत्पादन और सेवा प्रदाता एमएसएमई को दर्शाया गया है। इसके अलावा इन उद्यमों में निवेश की सीमा भी बढ़ाई गई है। विदेशी कंपनियों से 200 करोड़ तक के टेंडर को मनाही का भी इसमें प्रावधान है। इस कदम से मुख्यत: लघु उद्यमों को अन्यायपूर्ण स्पर्धा से निजात मिलेगी। इस कदम से मेक इन इंडिया की मुहीम को बल मिलेगा।
कृषि और इससे जुड़े
सेक्टर
कृषि
और इससे जुड़े महत्वपूर्ण सेक्टरों को भी आत्मनिर्भर भारत अभियान से जोड़ा गया है।
वेयरहाउसिंग, कोल्ड
चेन्स, पोस्ट
हार्वेस्ट प्रबंधन, डेयरी
जैसे सेक्टरों में सुधार हेतु वित्तीय सहायता दी जाएगी। इसके अतिरिक्त पशुचारे, हर्बल
तथा औषधीय पौधों के सेक्टरों में निवेश को बढ़ावा दिया जाएगा। कृषि से जुड़ी
बुनियादी व्यवस्थाओं को फंड देने के लिए नाबार्ड अनुदान मुहैया करेगा। इस तरह
सप्लाई चेन में फंड से जुड़ी दुश्वारियों के समाधान के द्वारा स्थानीय उत्पाद
ग्लोबल मार्किट में स्थान पा सकेंगे।
इस
क्षेत्र के अंतर्गत समुद्री और अंतर्देशीय मात्स्यिकी के विकास हेतु प्रधानमंत्री
मत्स्य संपदा योजना भी लाई जाएगी।
ई-ट्रेडिंग प्लेटफार्म, बाधारहित अंतर राज्य व्यापार और आकर्षक मूल्य पर
उत्पादों की बिक्री के विकल्प जैसी नवाचारी युक्तियों के जरिये कृषि विपणन में
सुधार पर ध्यान केंद्रित किया जाना है।
विज्ञान, प्रौद्योगिकी और
नवाचार नीति 2020
प्रधान
वैज्ञानिक सलाहकार कार्यालय तथा विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के
नेतृत्व में भारत सरकार द्वारा एक नई विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं नवाचार नीति 2020 का
विकास किया जा रहा है। इस नीति में विज्ञान, तकनीक और नई सोच (नवाचार) के विकास के लिए एक नई
रणनीति को निश्चित किया गया है। इस नीति में समावेशी डिजाइन को महत्व दिया गया है
और इसका बृहत्तर लक्ष्य देश के सामाजिक आर्थिक कल्याण के लिए वैज्ञानिक व तकनीकी
अनुसंधान की रणनीतियों को पुनर्परिभाषित करना है। इस नीति का संबंध प्रत्यक्ष
परोक्ष रूप में विज्ञान, तकनीक
और नवाचार जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में भारत को आत्मनिर्भर बनाना है।
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