![]() |
What is Taliban: तालिबान का मतलब, किस तरह हुआ इसका उदय? |
What is Taliban: तालिबान का मतलब, किस तरह हुआ इसका उदय?
तालिबान शब्द का मतलब
सबसे पहले आपके मन में ख्याल
आता होगा कि आखिर
"तालिबान" शब्द का मतलब (Taliban Meaning) क्या है? तालिबान एक पश्तों भाषा का शब्द है। पश्तो भाषा में छात्रों (Students)
को तालिबान कहा जाता
है। पश्तून में तालिबान का मतलब 'छात्र' होता है, एक तरह से यह उनकी शुरुआत (मदरसों) को
जाहिर करता है। उत्तरी पाकिस्तान में सुन्नी इस्लाम का कट्टरपंथी रूप सिखाने
वाले एक मदरसे में तालिबान का जन्म हुआ।
जब से अफगानिस्तान पर तालिबान ने कब्जा कर लिया
है और राष्ट्रपति अशरफ गनी (Ashraf Ghani) ने भी देश छोड़ दिया है। देश छोड़ने के बाद उन्होंने कहा कि अगर
मैं देश नहीं छोड़ता तो और ज्यादा खून खराबा होता। राजधानी काबुल पूरी तरह बर्बाद
हो जाती। दिनभर
तालिबान और अफगानिस्तान की खबरें देखते, पढ़ते और सुनते रहने के बाद आपके मन ये
सवाल जरूर आया होगा कि आखिर ये तालिबन है क्या? अगर आप भी जानना चाहते हैं कि तालिबान
क्या है और इसका मकसद क्या है? तो इस पोस्ट को जरुर पढ़िए।
तालिबान का उदय कैसे हुआ
साल 1980 में जब सोवियत संघ ने अफगानिस्तान में फौज
उतारी थी,
तब अमेरिका ने ही
स्थानीय मुजाहिदीनों को हथियार और ट्रेनिंग देकर जंग के लिए उकसाया था। नतीजन, सोवियत संघ तो हार मानकर चला गया, लेकिन अफगानिस्तान में एक कट्टरपंथी आतंकी
संगठन तालिबान का जन्म हो गया। कहा जाता है तालिबानियों ने पाकिस्तान के मदरसों में शिक्षा ली। हालांकि पाकिस्तान कहता है कि तालिबान के
उदय में उसका कोई किरदार नहीं है।
तालिबान का मकसद क्या है
अफगानिस्तान में
तालिबान की जड़ें इतनी मजबूत हैं कि अमेरिका के नेतृत्व में कई देशों की फौज के
उतरने के बाद भी इसका खात्मा नहीं किया जा सका। तालिबान के मकसद की बात करें तो उसका एक ही
मकसद है कि अफगानिस्तान में इस्लामिक अमीरात की स्थापना करना है।
तालिबान की
कार्यशैली
सोवियत काल के बाद जो गृहयुद्ध छिड़ा, 1990s
के उन शुरुआती सालों
में तालिबान मजबूत हुआ। शुरुआत में लोग उन्हें बाकी मुजाहिदीनों के मुकाबले इसलिए
ज्यादा पसंद करते थे क्योंकि तालिबान का वादा था कि भ्रष्टाचार और अराजकता खत्म
कर देंगे। मगर तालिबान के हिंसक रवैये और इस्लामिक कानून वाली क्रूर सजाओं ने
जनता में आतंक फैला दिया।
संगीत, टीवी और सिनेमा पर रोक लगा दी गई। मर्दों
को दाढ़ी रखना जरूरी हो गया था, महिलाएं बिना सिर से पैर तक खुद को ढके बाहर नहीं निकल सकती थीं।
तालिबान ने 1995 में हेरात और 1996 में काबुल पर कब्जा कर लिया था। 1998 आते-आते लगभग पूरे अफगानिस्तान पर
तालिबान की हुकूमत हो चुकी थी।
तालिबान की कमाई कहां से होती है?
तालिबान को पैसों की कोई कमी नहीं। हर साल
एक बिलियन डॉलर से ज्यादा की कमाई होती है। एक अनुमान के मुताबिक, उन्होंने 2019-20 में 1।6 बिलियन डॉलर कमाए। तालिबान की आय के मुख्य जरिए इस प्रकार हैं:
ड्रग्स: हर साल 416 मिलियन डॉलर
खनन: पिछले साल 464 मिलियन डॉलर
रंगदारी: 160 मिलियन डॉलर
चंदा: 2020 में 240 मिलियन डॉलर
निर्यात: हर साल 240 मिलियन डॉलर
रियल एस्टेट: हर साल 80 मिलियन डॉलर
दोस्तों से मदद: रूस, ईरान, पाकिस्तान और सऊदी अरब जैसे देशों से 100 मिलियन डॉलर से 500 मिलियन डॉलर के बीच सहायता मिलती है।
तालिबान को कौन चलाता है?
तालिबान का नेतृत्व क्वेटा शूरा नाम की
काउंसिल करती है। यह काउंसिल क्वेटा से काम करती है। 2013 में तालिबान के संस्थापक मुल्ला उमर की
मौत हुई और उसके उत्तराधिकारी मुल्ला अख्तर मंसूर को 2016 की ड्रोन स्ट्राइक में मार गिराया गया।
तबसे मावलावी हैबतुल्ला अखुंदजादा तालिबान का कमांडर है। उमर का बेटा मुल्ला
मोहम्मद याकूब भी हैबतुल्ला के साथ है। इसके अलावा तालिबान का सह-संस्थापक मुल्ला
अब्दुल गनी बरादर और हक्कानी नेटवर्क का मुखिया सिराजुद्दीन हक्कानी भी तालिबान
का हिस्सा है।
तालिबान ने दुनिया में आतंक कब-कब फैलाया?
तालिबान ने साल 2001 में बामियान में स्थित महात्मा बुद्ध की
दो मूर्तियों को बम से उड़ा दिया था।
2012 में तालिबान ने एक स्कूली छात्रा मलाला
युसूफजई को निशाना बनाया। मलाला को बाद में नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित
किया गया।
तालिबान के टॉप 5 कमांडर कौन है?
हैबतुल्लाह अखुंदज़ादा: 2016 में अमेरिका के ड्रोन हमले में मुल्ला मंसूर अख्तर मारा गया था। मुल्ला मंसूर अख्तर के हाथ में तब तालिबान की कमान थी, लेकिन उसके बाद हैबतुल्लाह अखुंदज़ादा को तालिबान का नेता नियुक्त किया गया था। अब संगठन के सभी अहम फैसले हैबतुल्लाह अखुंदज़ादा के द्वारा ही लिए जाते हैं।
मुल्ला याकूब: तालिबान के संस्थापक मुल्ला उमर का बेटा मुल्ला याकूब संगठन के विदेशों
में चल रहे ऑपरेशन की कमान संभालता है। ‘अलजज़ीरा’ की रिपोर्ट के मुताबिक, मुल्ला याकूब अभी अफगानिस्तान में ही है।
तालिबान के शीर्ष कमांडर के लिए याकूब ने ही हैबतुल्लाह का नाम आगे किया था क्योंकि
उसे जमीन पर लड़ाई का बहुत कम अनुभव था।
सिराजुद्दीन हक्कानी: मुजाहिदीन कमांडर जलालुद्दीन हक्कानी का
बेटा सिराजुद्दीन ‘हक्कानी नेटवर्क’ की कमान संभालता है। इसका काम तालिबान के लिए पैसे और हथियार मुहैया
करवाना है। अफगानिस्तान में कई आत्मघाती हमलों की जिम्मेदारी भी ये ले चुका है।
मुल्ला अब्दुल घनी बरादार: अब्दुल घनी बरादार तालिबान का सह-संस्थापक
है। अभी अब्दुल घनी के पास तालिबान के राजनीतिक संगठनों की जिम्मेदारी है। अब्दुल
घनी ने सोवियत के खिलाफ लंबी लड़ाई लड़ी थी। इस दौरान वह मुल्ला उमर के साथ हर
मौके पर नज़र आता था। संगठन के अहम फैसले उसके इजाज़त के बिना नहीं लिए जाते।
शेर मोहम्मद अब्बास स्टैनिकजई: अफगानिस्तान से तालिबान सरकार के हटने से
पहले स्टैनिकजई डिप्टी मिनिस्टर था। लंबे समय तक शेर मोहम्मद दोहा में रहा था। साल
2015
में वह संगठन के
पॉलिटिकल ऑफिस का हेड बन गया था। शेर मोहम्मद ने अफगानिस्तान सरकार को सत्ता से
हटने की चुनौती भी दी थी।
अफगानिस्तान का नया राष्ट्रपति कौन है
मुल्ला अब्दुल घनी बरादार अफगानिस्तान का नया
राष्ट्रपति है। अब्दुल घनी बरादार तालिबान का सह-संस्थापक
है। अभी अब्दुल घनी के पास तालिबान के राजनीतिक संगठनों की जिम्मेदारी है। अब्दुल
घनी ने सोवियत के खिलाफ लंबी लड़ाई लड़ी थी। इस दौरान वह मुल्ला उमर के साथ हर
मौके पर नज़र आता था। संगठन के अहम फैसले उसके इजाज़त के बिना नहीं लिए जाते।
इसे भी पढ़ें : Raksha Bandhan Quotes in Hindi/रक्षाबंधन पर अनमोल सुविचार
0 टिप्पणियाँ