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डॉ. भारत भूषण अग्रवाल |
डॉ. भारत भूषण अग्रवाल का जन्म
कवि, लेखक
और समालोचक डॉ. भारत
भूषण अग्रवाल का
जन्म 3 अगस्त,
1919 (तुलसी-जयंती)
को मथुरा
(उ.प्र.)
के सतघड़ा
मोहल्ले में
हुआ। उनका
निधन 23 जून,
1975 (सूर-जयंती)
को हुआ।
इन्होंने आगरा
तथा दिल्ली
में उच्च
शिक्षा प्राप्त
की फिर
आकाशवाणी में
तथा में
तथा अनेक
साहित्यिक संस्थाओं
में सेवा
की। पैतृक
व्यवसाय से
दूर, उन्होंने
साहित्य रचना
को ही
अपना कर्म
माना। पहला
काव्य-संग्रह
'छवि
के बंधन'
(1941) प्रकाशित होने
के बाद, वे
मारवाड़ी समाज
के मुखपत्र
'समाज
सेवक' के
संपादक होकर
कलकत्ता गए।
यहीं उनका
परिचय बांग्ला
साहित्य और
संस्कृति से
हुआ। भारतभूषणजी
'तारसप्तक'
(1943) में महत्वपूर्ण
कवि के
रूप में
सम्मिलित हुए
और अपनी
कविताओं तथा
वक्तव्यों के
लिए चर्चित
हुए। अपनी
अन्य कृतियों
'जागते
रहो' (1942), 'मुक्तिमार्ग'
(1947) के लेखन
के दौरान
वे इलाहाबाद
से प्रकाशित
पत्रिका 'प्रतीक' से
भी जुड़े
और 1948 में
आकाशवाणी में
कार्यक्रम अधिकारी
बने। 1959
में उनका
एक संग्रह
'ओ
अप्रस्तुत मन' प्रकाशित
हुआ, जो
उनकी रचनात्मक
परिपक्वता और
वैचारिक प्रौढ़ता
का निदर्शन
था।
डॉ. भारतभूषण
अग्रवाल 1960
में साहित्य
अकादेमी के
उपसचिव बने
और अकादमी
के प्रकाशनों
तथा कार्यक्रमों
को राष्ट्रीय
स्तर पर
प्रतिष्ठित करने
में अपना
योगदान दिया।
1975
में वे
उच्चतर अध्ययन
संस्थान, शिमला
के विजिटिंग
फ़ेलो बने
और मृत्युपर्यंत
'भारतीय
साहित्य में
देश-विभाजन' विषय
पर शोध
करते रहे।
अपनी
व्यंग्यमुखर प्रखरता
के नाते
उनकी रचनाएं
जहां अपने
समकालीनों से
सर्वथा अलग
प्रतीत होती
हैं, वहां
आज भी
उतनी ही
महत्वपूर्ण और
प्रासंगिक बनी
हुई हैं।
डॉ. भारत भूषण अग्रवाल की प्रमुख कृतियाँ:-
छवि
के बंधन, जागते
रहो, ओ अप्रस्तुत
मन, अनुपस्थित
लोग, मुक्तिमार्ग, एक
उठा हुआ
हाथ, उतना
वह सूरज
है कविता-संग्रह
पर साहित्य
अकादमी पुरस्कार, एक
उठा हुआ
हाथ, उतना
वह सूरज
है, अहिंसा, चलते-चलते, परिणति, प्रश्नचिह्न, फूटा
प्रभात, भारतत्व, मिलन, विदा
बेला, विदेह, समाधि
लेख । बहुत बाक़ी
है, अनुपस्थित
लोग, कागज़के
फूल, प्रसंगवश
और कवि
की दृष्टि।
डॉ. भारत
भूषण अग्रवाल
की रचनावली
चार खंडों
में प्रकाशित
हो चुकी
है।
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