गुलाम बनाने वाले /धर्मवीर भारती

और भी पहले वे कई बार आए हैं

एक बार

जब उनके हाथों में भाले थे

घोड़ों की टापों से खैबर की चट्टानें काँपी थी

 

एक बार

जब भालों के बजाय

उनके हाथों में तिजारती परवाने थे

बगल में संगीने थी

लेकिन इस बार और चुपके से आये हैं

 

आधे हैं, जिनके हाथों मे हैं

कैमरे,

थैलियाँ,

टुरिस्ट्स पासपोर्ट,

रंग-बिरंगी फिल्में:

आधे हैं जिनके पास

रंग-बिरंगे चेहरे

(जिनको वे हुक्म के मुताबिक बादल सकते हैं)

दो-दो आने वाले

(दूर किसी नगर में छपे हुए)

पैम्फलेट,

रोटी और पैम्फलेट के ढेरों में ढक-ढककर आयी हैं

दूर किसी नगरी में ढली हुई जंजीरें !

 

ढंग है नया

लेकिन बात यह पुरानी है :

घोड़ों पर रखकर, या थैली में भरकर,

या रोटी से ढककर, या फिल्मों में रंगकर

वे जंजीरें, केवल जंजीरें ही लाये हैं

और भी पहले वे कई बार आए हैं!