विभिन्न माध्यमों के लिए लेखन
1. प्रमुख
जनसंचार माध्यम - प्रिंट, टी०वी०, रेडियो और इंटरनेट
(1) प्रिंट
माध्यम (मुद्रित माध्यम)-
· जनसंचार के आधुनिक माध्यमों में सबसे पुराना माध्यम है ।
· आधुनिक छापाखाने का आविष्कार जर्मनी के
गुटेनबर्ग ने किया।
· भारत में पहला छापाखाना सन 1556 में गोवा में खुला, इसे ईसाई मिशनरियों ने धर्म-प्रचार की पुस्तकें छापने के लिए खोला था
· मुद्रित माध्यमों के अन्तर्गत अखबार, पत्रिकाएँ, पुस्तकें आदि आती हैं ।
मुद्रित माध्यम की विशेषताएँ:
· छपे हुए शब्दों में स्थायित्व होता है, इन्हें
सुविधा अनुसार पढा़ जा सकता है।
· यह माध्यम लिखित भाषा का विस्तार है।
· यह चिंतन, विचार- विश्लेषण का माध्यम है।
मुद्रित माध्यम की सीमाएँ :
· निरक्षरों के लिए मुद्रित माध्यम किसी काम के नहीं होते।
· ये तुरंत घटी घटनाओं को संचालित नहीं कर सकते।
· इसमें स्पेस तथा शब्द सीमा का ध्यान रखना पड़ता है।
· इसमें एक बार समाचार छप जाने के बाद अशुद्धि-सुधार नहीं किया जा सकता।
मुद्रित माध्यमों में
लेखन के लिए ध्यान रखने योग्य बातें:
· भाषागत शुद्धता का ध्यान रखा जाना चाहिए।
· प्रचलित भाषा का प्रयोग किया जाए।
· समय, शब्द व स्थान की सीमा का ध्यान रखा जाना
चाहिए।
· लेखन में तारतम्यता एवं सहज प्रवाह होना चाहिए।
2. रेडियो (आकाशवाणी) :
रेडियो एक श्रव्य माध्यम है ।
इसमें शब्द एवं आवाज का मह्त्व होता है। रेडियो एक रेखीय माध्यम है। रेडियो समाचर
की संरचना उल्टापिरामिड शैली पर आधारित होती है। उल्टापिरामिड शैली में समाचर को
तीन भागों बाँटा जाता है-इंट्रो, बाँडी और समापन। इसमें
तथ्यों को महत्त्व के क्रम से प्रस्तुत किया जाता है, सर्वप्रथम सबसे ज्यादा
महत्त्वपूर्ण तथ्य को तथा उसके उपरांत महत्त्व की दृष्टि से घटते क्रम में तथ्यों को रखा जाता है।
रेडियो समाचार-लेखन के लिए बुनियादी बातें :
· समाचार वाचन के लिये तैयार की गई कापी साफ़-सुथरी और टाइप्ड कॉपी हो ।
· कापी को ट्रिपल स्पेस में टाइप किया जाना चाहिए।
· पर्याप्त हाशिया छोडा़ जाना चाहिए।
· अंकों को लिखने में सावधानी रखनी चाहिए।
· संक्षिप्ताक्षरों के प्रयोग से बचा जाना चाहिए।
3. टेलीविजन(दूरदर्शन)
:
जनसंचार का सबसे लोकप्रिय व सशक्त माध्यम है। इसमें ध्वनियों के साथ-साथ दृश्यों का भी समावेश होता है। इसके लिए समाचार लिखते समय इस बात का ध्यान रखा जाता है कि शब्द व पर्दे पर दिखने वाले दृश्य में समानता हो।
जनसंचार का सबसे लोकप्रिय व सशक्त माध्यम है। इसमें ध्वनियों के साथ-साथ दृश्यों का भी समावेश होता है। इसके लिए समाचार लिखते समय इस बात का ध्यान रखा जाता है कि शब्द व पर्दे पर दिखने वाले दृश्य में समानता हो।
टी०वी० खबरों के विभिन्न चरण :
दूरदर्शन मे कोई भी सूचना
निम्न चरणों या सोपानों को पार कर दर्शकों तक पहुँचती है -
(1) फ़्लैश या ब्रेकिंग न्यूज
(2) ड्राई एंकर
(3) फ़ोन इन
(4) एंकर-विजुअल
(5)एंकर-बाइट
(6) लाइव
(7) एंकर-पैकेज
(2) ड्राई एंकर
(3) फ़ोन इन
(4) एंकर-विजुअल
(5)एंकर-बाइट
(6) लाइव
(7) एंकर-पैकेज
4. इंटरनेट :
संसार का सबसे नवीन व लोकप्रिय माध्यम है। इसमें जनसंचार के सभी माध्यमों के गुण समाहित हैं। यह जहाँ सूचना, मनोरंजन, ज्ञान और व्यक्तिगत एवं सार्वजनिक सवादों के आदान-प्रदान के लिए श्रेष्ठ माध्यम है,वहीं अश्लीलता, दुष्प्रचार व गंदगी फ़ैलाने का भी जरिया है।
संसार का सबसे नवीन व लोकप्रिय माध्यम है। इसमें जनसंचार के सभी माध्यमों के गुण समाहित हैं। यह जहाँ सूचना, मनोरंजन, ज्ञान और व्यक्तिगत एवं सार्वजनिक सवादों के आदान-प्रदान के लिए श्रेष्ठ माध्यम है,वहीं अश्लीलता, दुष्प्रचार व गंदगी फ़ैलाने का भी जरिया है।
इंटरनेट पत्रकारिता :
इंटरनेट पर समाचारों का प्रकाशन या आदान-प्रदान इंटरनेट पत्रकारिता कहलाता है। इंटरनेट पत्रकारिता दो रूपों में होती है। प्रथम-समाचार संप्रेषण के लिए नेट का प्रयोग करना । दूसरा- रिपोर्टर अपने समाचार को ई-मेल द्वारा अन्यत्र भेजने व समाचार को संकलित करने तथा उसकी सत्यता, विश्वसनीयता सिद्ध करने तथा उसकी सत्यता, विश्वसनीयता सिद्ध करने के लिए करता है।
इंटरनेट पर समाचारों का प्रकाशन या आदान-प्रदान इंटरनेट पत्रकारिता कहलाता है। इंटरनेट पत्रकारिता दो रूपों में होती है। प्रथम-समाचार संप्रेषण के लिए नेट का प्रयोग करना । दूसरा- रिपोर्टर अपने समाचार को ई-मेल द्वारा अन्यत्र भेजने व समाचार को संकलित करने तथा उसकी सत्यता, विश्वसनीयता सिद्ध करने तथा उसकी सत्यता, विश्वसनीयता सिद्ध करने के लिए करता है।
इंटरनेट पत्रकारिता का इतिहास:
विश्व-स्तर पर इंटरनेट
पत्रकारिता का विकास निम्नलिखित चरणों में हुआ-
(1) प्रथम चरण------- 1982 से 1992
(2) द्वितीय चरण------1993 से 2001
(3) तृतीय चरण-------2002 से अब तक
भारत में इंटरनेट पत्रकारिता का पहला चरण 1993 से तथा दूसरा चरण 2003 से
शुरू माना जाता है। भारत में सच्चे अर्थों में वेब पत्रकारिता करने वाली साइटें ’रीडिफ़ डॉट कॉम’, इंडिया इफ़ोलाइन’ व ’सीफ़ी’ हैं ।
रीडिफ़ को भारत की पहली साइट कहा जाता है । वेब
साइट पर विशुद्ध पत्रकारिता शुरू करने का श्रेय ’तहलका डॉट्कॉम’ को जाता है।
हिंदी में नेट पत्रकारिता ’वेब दुनिया’ के साथ शुरू हुई। यह हिन्दी का
संपूर्ण पोर्टल है। प्रभा साक्षी नाम का अखबार प्रिंट रूप में न होकर
सिर्फ़ नेट पर ही उपलब्ध है। आज पत्रकारिता के लिहाज से हिन्दी की सर्व श्रेष्ठ
साइट बीबीसी की है, जो इंटरनेट के मानदंडों के अनुसार
चल रही है। हिन्दी वेब जगत में ’अनुभूति’, अभिव्यक्ति, हिन्दी नेस्ट, सराय आदि साहित्यिक पत्रिकाएँ भी अच्छा काम कर रही हैं। अभी हिन्दी वेब जगत की सबसे बडी़ समस्या मानक की बोर्ड तथा फ़ोंट की है । डायनमिक फ़ौंट के अभाव के कारण हिन्दी की ज्यादातर साइटें खुलती ही नहीं हैं ।
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