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संगतकार/मंगलेश डबराल की कविता संगतकार/Sangatkar poem in Hindi/Manglesh Dabraal poem Sangatkar class 10/Sangatkaar sarlarth |
संगतकार/मंगलेश डबराल की कविता संगतकार/Sangatkaar poem in Hindi/Manglesh Dabraal poem Sangatkaar class 10/Sangatkaar sarlarth
कविता - संगतकार
कवि - मंगलेश डबराल
मुख्य गायक के चट्टान जैसे भारी स्वर का साथ देती
वह आवाज सुंदर कमजोर काँपती हुई थी
वह मुख्य गायक का छोटा भाई है
या उसका शिष्य
या पैदल चलकर सीखने आने वाला दूर का कोई रिश्तेदार
वह आवाज सुंदर कमजोर काँपती हुई थी
वह मुख्य गायक का छोटा भाई है
या उसका शिष्य
या पैदल चलकर सीखने आने वाला दूर का कोई रिश्तेदार
प्रसंग : प्रस्तुत पद्यांश
हमारी हिंदी की पाठ्यपुस्तक "क्षितिज भाग- 2" में संकलित कविता" संगतकार" से लिया गया है। इसके रचयिता “मंगलेश डबराल जी” हैं। इस कविता में
उन्होंने गायन में मुख्य गायक का साथ देने वाले संगतकार की भूमिका के महत्व का
प्रतिपादन किया है। यह कविता मुख्य गायक का साथ देने वाले संगतकार की भूमिका पर
विचार करती है।
भावार्थ : जब भी
कहीं संगीत का आयोजन होता है तो मुख्य गायक के साथ संगत करने वाला अक्सर देखा जाता
है। ज्यादातर लोग संगतकार पर ध्यान नहीं देते हैं और वह पृष्ठभूमि का हिस्सा मात्र
बनकर रह जाता है। वह हमारे लिए एक गुमनाम चेहरा हो सकता है। हम उसके बारे में
तरह-तरह की अटकलें लगा सकते हैं। लेकिन मुख्य गायक की प्रसिद्धि के आलोक में हममे
से बहुत कम ही लोग उस अनजाने संगतकार की महत्वपूर्ण भूमिका पर विचार कर पाते हैं।
मुख्य गायक की गरज में
वह अपनी गूँज मिलाता आया है प्राचीने काल से
गायक जब अंतरे की जटिल तानों के जंगल में खो चुका होता है
या अपने ही सरगम को लाँघकर
चला जाता है भटकता हुअ एक अनहद में
तब संगतकार ही स्थायी को सँभाले रहता है
जैसे समेटता हो मुख्य गायक का पीछे छूटा हुआ सामान
जैसे उसे याद दिलाता हो उसका बचपन
जब वह नौसिखिया था।
वह अपनी गूँज मिलाता आया है प्राचीने काल से
गायक जब अंतरे की जटिल तानों के जंगल में खो चुका होता है
या अपने ही सरगम को लाँघकर
चला जाता है भटकता हुअ एक अनहद में
तब संगतकार ही स्थायी को सँभाले रहता है
जैसे समेटता हो मुख्य गायक का पीछे छूटा हुआ सामान
जैसे उसे याद दिलाता हो उसका बचपन
जब वह नौसिखिया था।
प्रसंग : प्रस्तुत पद्यांश
हमारी हिंदी की पाठ्यपुस्तक "क्षितिज भाग- 2" में संकलित कविता" संगतकार" से लिया गया है। इसके रचयिता “मंगलेश डबराल जी” हैं। इस कविता में
उन्होंने गायन में मुख्य गायक का साथ देने वाले संगतकार की भूमिका के महत्व का
प्रतिपादन किया है। यह कविता मुख्य गायक का साथ देने वाले संगतकार की भूमिका पर
विचार करती है।
भावार्थ : सदियों
से यह परंपरा रही है कि मुख्य गायक के सुर में संगतकार अपना सुर मिलाता आया है।
मुख्य गायक की भारी आवाज के पीछे संगतकार की आवाज दब सी जाती है। लेकिन संगतकार हर
क्षण अपनी भूमिका को पूरी इमानदारी से निभाता है। जब गायक अंतरे की जटिल तानों और
आलापों में खो जाता है और सुर से कहीं भटक जाता है तो ऐसे समय में संगतकार स्थायी
को सँभाले रहता है। उसकी भूमिका इसी तरह की होती है जैसे कि वह आगे चलने वाले पथिक
का छूटा हुआ सामान बटोरकर कर अपने साथ लाता है। साथ ही वह मुख्य गायक को उसके बीते
दिनों की याद भी दिलाता है जब मुख्य गायक नौसिखिया हुआ करता था।
तारसप्तक में जब बैठने लगता है उसका गला
प्रेरणा साथ छोड़ती हुई उत्साह अस्त होता हुआ
आवाज से राख जैसा कुछ गिरता हुआ
तभी मुख्य गायक को ढ़ाँढ़स बँधाता कहीं से चला आता है संगतकार का स्वर
प्रेरणा साथ छोड़ती हुई उत्साह अस्त होता हुआ
आवाज से राख जैसा कुछ गिरता हुआ
तभी मुख्य गायक को ढ़ाँढ़स बँधाता कहीं से चला आता है संगतकार का स्वर
प्रसंग : प्रस्तुत पद्यांश
हमारी हिंदी की पाठ्यपुस्तक "क्षितिज भाग- 2" में संकलित कविता" संगतकार" से लिया गया है। इसके रचयिता “मंगलेश डबराल जी” हैं। इस कविता में
उन्होंने गायन में मुख्य गायक का साथ देने वाले संगतकार की भूमिका के महत्व का
प्रतिपादन किया है। यह कविता मुख्य गायक का साथ देने वाले संगतकार की भूमिका पर
विचार करती है।
भावार्थ : जब
तारसप्तक पर जाने के दौरान गायक का गला बैठने लगता है और उसकी हिम्मत जवाब देने
लगती है तभी संगतकार अपने स्वर से उसे सहारा देता है।
कभी-कभी वह यों ही दे देता है उसका साथ
यह बताने के लिए कि वह अकेला नहीं है
और यह कि फिर से गाया जा सकता है
गाया जा चुका राग
यह बताने के लिए कि वह अकेला नहीं है
और यह कि फिर से गाया जा सकता है
गाया जा चुका राग
प्रसंग : प्रस्तुत पद्यांश
हमारी हिंदी की पाठ्यपुस्तक "क्षितिज भाग- 2" में संकलित कविता" संगतकार" से लिया गया है। इसके रचयिता “मंगलेश डबराल जी” हैं। इस कविता में
उन्होंने गायन में मुख्य गायक का साथ देने वाले संगतकार की भूमिका के महत्व का
प्रतिपादन किया है। यह कविता मुख्य गायक का साथ देने वाले संगतकार की भूमिका पर
विचार करती है।
भावार्थ : कभी-कभी
संगतकार इसलिए भी गाता है ताकि मुख्य गायक को ये न लगे कि वह अकेला ही चला जा रहा
है। कभी-कभी वह इसलिए भी गाता है ताकि मुख्य गायक को बता सके कि किसी राग को
दोबारा गाया जा सकता है।
और उसकी आवाज में जो एक हिचक साफ सुनाई देती है
या अपने स्वर को ऊँचा न उठाने की जो कोशिश है
उसे विफलता नहीं
उसकी मनुष्यता समझा जाना चाहिए।
या अपने स्वर को ऊँचा न उठाने की जो कोशिश है
उसे विफलता नहीं
उसकी मनुष्यता समझा जाना चाहिए।
प्रसंग : प्रस्तुत पद्यांश
हमारी हिंदी की पाठ्यपुस्तक "क्षितिज भाग - 2" में संकलित कविता" संगतकार" से लिया गया है। इसके रचयिता “मंगलेश डबराल जी” हैं। इस कविता में
उन्होंने गायन में मुख्य गायक का साथ देने वाले संगतकार की भूमिका के महत्व का
प्रतिपादन किया है। यह कविता मुख्य गायक का साथ देने वाले संगतकार की भूमिका पर
विचार करती है।
भावार्थ : इन सारी प्रक्रिया के दौरान संगतकार की आवाज हमेशा
दबी हुई होती है। ज्यादातर लोग इसे उसकी कमजोरी मान लेते होंगे। लेकिन ऐसा नहीं
है। वह तो गायक की आवाज को प्रखर बनाने के लिए त्याग करता है और जानबूझकर अपनी
आवाज को दबा लेता है।
सार : यह कविता
संगतकार के बारे में है लेकिन यह हर उस व्यक्ति की तरफ इशारा करती है जो किसी
सहारे की भूमिका में होता है। दुनिया के लगभग हर क्षेत्र में किसी एक व्यक्ति की
सफलता के पीछे कई लोगों का योगदान होता है। हम और आप उस एक खिलाड़ी या अभिनेता या
नेता के बारे में जानते हैं जो सफलता के शिखर पर होता है। लेकिन हम उन लोगों के
बारे में नहीं जानते जो उस खिलाड़ी या अभिनेता या नेता की सफलता के लिए नेपथ्य में
रहकर अथक परिश्रम करता है।
संगतकार (अभ्यास के प्रश्न )
प्रश्न : संगतकार के माध्यम से कवि
किस प्रकार के व्यक्तियों की ओर संकेत करना चाह रहा है?
उत्तर: संगतकार
के माध्यम से कवि हर उस व्यक्ति की तरफ इशारा करती है जो किसी सहारे की भूमिका में
होता है। दुनिया के लगभग हर क्षेत्र में किसी एक व्यक्ति की सफलता के पीछे कई
लोगों का योगदान होता है। हम और आप उस एक खिलाड़ी या अभिनेता या नेता के बारे में
जानते हैं जो सफलता के शिखर पर होता है। लेकिन हम उन लोगों के बारे में नहीं जानते
जो उस खिलाड़ी या अभिनेता या नेता की सफलता के लिए नेपथ्य में रहकर अथक परिश्रम
करता है।
प्रश्न : संगतकार
जैसे व्यक्ति संगीत के अलावा और किन-किन क्षेत्रों में दिखाई देते हैं?
उत्तर: संगतकार जैसे
व्यक्ति लगभग हर क्षेत्र में दिखाई देते हैं। उदाहरण के लिए किसी स्टार क्रिकेट
खिलाड़ी के पीछे उसके ट्रेनर, कोच, मालिशवाले,
ब्रांड मैनेजर, आदि की अहम भूमिका होती है।
प्रश्न : संगतकार
किन-किन रूपों में मुख्य गायक-गायिकाओं की मदद करते हैं?
उत्तर: संगतकार कई
तरह से मुख्य गायक-गायिकाओं की मदद करते हैं। वह गायक के सुर को उस समय सहारा देता
है जब गायक तार सप्तक पर जाने के प्रयास में कहीं अटक जाता है। वह उस समय स्थायी
को पकड़े रहता है जब गायक अंतरे की जटिलताओं में उलझ जाता है। गायक को अकेलापन
महसूस न हो इसलिए संगीतकार उसे सहारा देता है।
प्रश्न :
भाव
स्पष्ट कीजिए:
और उसकी आवाज में जो एक हिचक साफ सुनाई देती है
या अपने स्वर को ऊँचा न उठाने की जो कोशिश है
उसे विफलता नहीं
उसकी मनुष्यता समझा जाना चाहिए।
उत्तर: इन सारी
प्रक्रिया के दौरान संगतकार की आवाज हमेशा दबी हुई होती है। ज्यादातर लोग इसे उसकी
कमजोरी मान लेते होंगे। लेकिन ऐसा नहीं है। वह तो गायक की आवाज को प्रखर बनाने के
लिए त्याग करता है और जानबूझकर अपनी आवाज को दबा लेता है।
प्रश्न : किसी भी
क्षेत्र में प्रसिद्धि पाने वाले लोगों को अनेक लोग तरह-तरह से अपना योगदान देते
हैं। कोई एक उदाहरण देकर इस कथन पर अपने विचार लिखिए।
उत्तर: सचिन तेंदुलकर
इसका एक अच्छा उदाहरण हो सकता है। कहा जाता है कि सचिन के बड़े भाई उसे कोच रमाकांत
अचरेकर के पास ले गए थे। इस तरह से बड़े भाई ने छोटे भाई की सफलता के लिए अपनी
आकांछाओं की कुर्बानी दी। रमाकांत अचरेकर को लोग सचिन की सफलता के कारण जानते हैं
लेकिन सचिन की सफलता में उनके श्रेय की भूमिका कोई नकार नहीं सकता।
प्रश्न : कभी-कभी
तारसप्तक की ऊँचाई पर पहुँचकर मुख्य गायक का स्वर बिखरता नजर आता है उस समय
संगतकार उसे बिखरने से बचा लेता है। इस कथन के आलोक में संगतकार की विशेष भूमिका
को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: संगतकार उस
अभिन्न सहारे की तरह काम करता है जिसकी जरूरत गायक को हमेशा पड़ती है। सही समय पर
सही सुर लगाकर संगतकार एक तरह से गायक को क्लू देता है ताकि उसके आगे वह अपनी
गायकी की निरंतरता को बनाए रख सके।
प्रश्न : सफलता के
चरम शिखर पर पहुँचने के दौरान यदि व्यक्ति लड़खड़ाता है तब उसे सहयोगी किस तरह
सँभालते हैं?
उत्तर: सफलता का चरम
एक खतरनाक स्थिति होती है। वहाँ पर पहुँचकर अच्छे से अच्छा व्यक्ति भी लड़खड़ा सकता
है। ऐसे में उसे जरूरत होती है एक ऐसे तंत्र की जो उसे गिरने से बचा सके। यह तंत्र
ऐसे व्यक्तियों का समूह होता है जो सफल व्यक्ति को तकनीकी, व्यावसायिक
और भावनात्मक सहारा देने का काम करते हैं।
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